चीन ने गर्भपात को बढ़ावा ना देने और फर्टिलिटी इलाज को और सुलभ बनाने का फैसला किया है. ऐसा देश में गिरती जन्म दर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, जो दुनिया में सबसे नीची दरों में से एक हो गई है.
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चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कहा है कि कर और बीमा व्यवस्था से लेकर शिक्षा और आवास के क्षेत्रों में भी परिवारों को सहारा देने वाले कदम उठाए जाएंगे. स्थानीय सरकारों को नवजात बच्चों की देखभाल करने वाली सुविधाएं और परिवार के अनुकूल कार्यस्थलों को बढ़ावा देने के लिए कहा जाएगा.
प्राधिकरण ने कहा कि जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रजनन स्वास्थ्य के विषय में जानकारी दी जाएगी और साथ ही "अनचाहे गर्भ से बचने और चिकित्सीय रूप से गैर जरूरी गर्भपात" को भी कम करने के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी.
प्राधिकरण स्थानीय सरकारों को देश की राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में धीरे धीरे असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी को शामिल करने के लिए मार्गदर्शन भी करेगा. उसने कहा कि ये कदम "आबादी के दीर्घकालिक संतुलित विकास" के लिए बेहद जरूरी हैं.
चीन की चिंता
जनसांख्यिकी विशेषज्ञों का कहना है कि ये दिशा निर्देश ऐसे समय में आए हैं जब चीन की कड़ी "जीरो कोविड" नीति की वजह से लोगों के बच्चा पैदा करने की इच्छाओं को गहरा नुकसान पहुंचा है. इस नीति के तहत कोविड के प्रसार को रोकने के लिए लोगों की जिंदगियों पर कड़ी पाबंदियां लगाई गईं.
2021 में चीन की फर्टिलिटी दर 1.16 थी जो दुनिया में सबसे कम दरों में से है और एक स्थायी आबादी के लिए ओईसीडी की आदर्श दर 2.1 से भी नीचे है. जनसांख्यिकी विशेषज्ञों का कहना है कि 1.4 अरब आबादी वाले चीन में इस साल जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट आने का अनुमान है.
बूढ़ा होता चीन
11:54
2021 में एक करोड़ छह लाख बच्चे पैदा हुए थे, जो 2020 के मुकाबले 11.5 प्रतिशत कम थे. इस साल एक करोड़ से भी कम बच्चों के पैदा होने का अनुमान है. यह संभवतः पहली बार है जब जनसंख्या बढ़ाने के दिशानिर्देशों में गर्भपात को कम करने का जिक्र किया गया है.
गर्भपात सेवाएं कई सालों से आसानी से उपलब्ध रही हैं. 2015 से 2019 के बीच देश में 95 लाख से ज्यादा गर्भपात कराए गए थे. चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार कर चुका है कि वो जनसंख्या की दृष्टि से गिरावट के कगार पर है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
क्या 2027 से पहले ही भारत होगा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश
जनसंख्या से जुड़े एक शोध में चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान के मुकाबले 2027 से पहले ही चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा.
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आबादी के मामले में चीन को पछाड़ देगा भारत!
चीन के जनसंख्या विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से पहले ही दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा लेकिन अब अध्ययन में इससे पहले यह होने का आकलन किया गया है.
तस्वीर: Getty Images/B. Boro
भारत की बढ़ती आबादी
संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत की जनसंख्या में अब से लेकर साल 2050 के बीच करीब 27 करोड़ 30 लाख लोगों की बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसी रिपोर्ट में पूर्वानुमान लगाया गया था कि भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा.
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भारत बनाम चीन
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में भारत की जनसंख्या करीब 1.37 अरब थी जबकि चीन की 1.47 अरब थी. 11 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दशक में चीन की जनसंख्या 5.38 प्रतिशत बढ़कर एक अरब 41 करोड़ हो गई है. 2010 में यह 5.84 फीसदी बढ़ी थी.
तस्वीर: Hu Huhu/Xinhua/imago images
चीन में जन्मदर कम
बीजिंग की पेकिंग यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र के प्रोफेसर लू जिहुआ चीन की कम होती आबादी पर कहते हैं कि गिरावट से पहले चीन की जनसंख्या 2027 तक अपने चरम पर पहुंच सकती है. 1970 के दशक में चीन ने एक बच्चे की नीति लागू की थी जिसके बाद से जनसंख्या वृद्धि की दर कम होती रही है.
तस्वीर: Wang Gang/Costfoto/picture alliance
आबादी और अर्थव्यवस्था
चीन का सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा अब भी बरकरार है लेकिन देश के बड़े शहरों में रहने वाले लोग बच्चे पैदा करने से कतराते हैं. चीन में जनसंख्या एक बड़ा मुद्दा रही है क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि इससे सीधे जुड़ी हुई है. बच्चे कम होने का असर यह होगा कि देश में उपभोग स्तर में भी गिरावट आ सकती है.