अगले दस सालों में चीन अपने परमाणु हथियारों का भंडार बढ़ा कर दोगुना कर सकता है. हथियार जुटाने की चीन की इस कवायद से ना केवल भारत जैसे पड़ोसी देश बल्कि अमेरिका तक खासा चिंतित है.
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चीनी सेना के बारे में अमेरिकी कांग्रेस में अपनी सालाना रिपोर्ट पेश करते हुए पेंटागन ने कहा है कि अगले एक दशक के अंदर चीन ना केवल अपने परमाणु हथियारों की संख्या दोगुनी कर सकता है बल्कि दुनिया का केवल तीसरा ऐसा देश भी बन सकता है जो जल, थल और वायु तीनों मार्गों से परमाणु हमले कर सकता है. इस सैन्य क्षमता को ‘ट्रायड' के नाम से जाना जाता है और फिलहाल विश्व में केवल दो ही देशों - अमेरिका एवं रूस - के पास ट्रायड क्षमता है.
करीब दो सालों से लगातार जारी चीन और अमेरिका के बीच का तनाव जल्दी खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. इस समय अमेरिका एक बार फिर चीन पर उस परमाणु हथियार संधि पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहा है, जो उसने रूस के साथ की हुई है. फिलहाल चीन ने पास 200 के आसपास परमाणु हथियार होने की जानकारी है.
पहली बार अमेरिकी सेना की ओर से इस संख्या का खुलासा किया गया है. चीन का कहना है कि उसे इसमें शामिल होने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि अमेरिका ने खुद अपने पास चीन से 20 गुना बड़ा परमाणु हथियारों का संग्रह बनाया हुआ है. चीन साफ कर चुका है कि वह तभी सोचेगा जब अमेरिका पहले खुद अपने हथियार कम कर चीन के आसपास के स्तर पर आने को तैयार होगा. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार, चीन के पास 320, अमेरिका के पास 3,800 और रूस के पास 4,300 परमाणु हथियार हैं.
भारत-चीन के बीच हिंसक टकराव कब कब हुआ
1962 के बाद पहली बार भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए. इसके पहले भी दोनों सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं.
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लद्दाख (2020)
अप्रैल महीने से ही लद्दाख में चीन और भारतीय सेना की हलचल बढ़ गई थी. चीनी सेना की भारतीय क्षेत्र में हस्तक्षेप बढ़ने और गश्त बढ़ने के बाद भारत ने ऐतराज जताया और सैन्य स्तर पर भी बातचीत चल रही थी. लेकिन 15 जून को गलवान घाटी में जो हुआ शायद ही किसी ने इसके बारे में सोचा होगा. एलएसी पर खूनी संघर्ष के बाद 20 भारतीय सैनिक मारे गए और कुछ जख्मी हो गए.
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डोकलाम (2017)
2017 की गर्मियों में चीन की सेना ने डोकलाम के पास सड़क निर्माण की कोशिश की. यह वह इलाका है जिसपर भूटान और चीन दावा पेश करता आया है. इसलिए भारतीय सेना ने विवादित क्षेत्र का हवाला देते हुए सड़क निर्माण का कार्य रुकवा दिया था. 28 अगस्त को दोनों देशों की सेना के पीछे हटने के बाद इस संकट का समाधान हुआ. यह गतिरोध 72 दिनों तक बना रहा.
अरुणाचल (1987)
जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश को 1986 में राज्य का दर्जा दे दिया तब चीनी सरकार ने इसका विरोध किया. चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार की और समदोरांग चू घाटी में दाखिल होने के बाद हेलीपैड निर्माण शुरू कर दिया. भारतीय सेना ने इसका विरोध किया. दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हो गया.
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1975 का हमला
1967 के युद्ध के बाद एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं थी. 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों पर चीनी सैनिकों ने हमला कर दिया था. असम राइफल्स के जवान गश्त लगा रहे थे और उसी दौरान उन पर हमला हुआ. हमले में भारत के चार जवानों की मौत हो गई थी.
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नाथु ला और चो ला (1967)
1967 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच टकराव दो महीने तक चला. उस दौरान चीनी सैनिकों ने सिक्किम सीमा की तरफ से घुसपैठ कर दी थी. नाथु ला की हिंसक झड़प में 88 भारतीय सैनिकों की मौत हुई वहीं 300 से अधिक चीनी सेना के जवान मारे गए.
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1962 का युद्ध
1962 में चीन और भारत के बीच टकराव बढ़ते हुए युद्ध में तब्दील हो गया. 20 अक्टूबर से लेकर 21 नवंबर तक युद्ध चला और भारतीय सेना के करीब 1,383 जवानों की मौत हुई और चीनी सेना के 722 सैनिक मारे गए.
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पेंटागन की ओर से चीनी हथियारों के जखीरे में जिस तरह की बढ़ोत्तरी की संभावना जताई गई है उसका आधार यह है कि चीन के पास परमाणु हथियार बनाने के लिए अभी ही इतना कच्चा माल मौजूद है. पेंटागन के इस अनुमान की पुष्टि उस विश्लेषण से भी होती है जो अमेरिका की ही डिफेंस एंटेलिजेंस एजेंसी ने किया है. इसी साल चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया था कि चीन ने बहुत कम समय में अपने परमाणु हथियारों की संख्या को 1,000 तक ले जाने का लक्ष्य रखा है.
अमेरिका की इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने इसे चीन के रणनीतिक इरादों की जानबूझ गलत तस्वीर पेश करना बताया. मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट "पूरी तरह शीत काल के युद्ध वाली सोच से भरी हुई है.” इसे चीन की बदनामी की कोशिश बताते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका इससे चीन की मुख्यभूमि और ताइवान के बीच कठोर भावनाएं भड़काना चाह रहा है.
ताइवान और हांगकांग को लेकर अमेरिका लगातार चीन के खिलाफ बोल रहा है और अब उसने देश में चीनी राजनयिकों के लिए भी नई पाबंदियां लगा दी हैं. 2 सितंबर को अमेरिका ने कहा कि चीनी मिशन के अलावा कहीं भी अगर चीनी राजनयिक 50 से अधिक लोगों के समूह को संबोधित करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए अमेरिकी सरकार से अनुमति लेनी होगी. वॉशिंगटन में स्थित कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट यूएस को अगस्त में एक विदेशी मिशन के तौर पर रजिस्टर करना पड़ा है. अमेरिका ने संस्थान पर चीन का "बुरा असर” फैलाने का आरोप लगाया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सरकार चीनी राजनयिकों पर अमेरिकी वोटरों को प्रभावित करने और चीन के लिए जासूसी करने का आरोप भी लगा चुकी है. नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर उन्होंने चीन पर ऐसे आरोपों के हमले और तेज कर दिए हैं. चीन पर सख्ती ट्रंप की विदेश नीति का एक अहम स्तंभ है.
आरपी/एनआर (रॉयटर्स)
चीन से तनाव के बीच भारत ने मशहूर गेमिंग ऐप पबजी समेत 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी बैन को लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम वाला माहौल है. जानिए पबजी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य.
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भारत में बैन पबजी
भारत सरकार ने अपनी ताजा कार्रवाई में 118 चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है. पबजी एक मोबाइल गेमिंग ऐप है जो कि भारत में काफी लोकप्रिय है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 5 करोड़ सक्रिय पबजी यूजर्स हैं. इस गेम से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक हर रोज 13 लाख लोग इसे खेलते हैं. सिर्फ भारत में पबजी को 17.5 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है.
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पबजी क्यों बैन
भारत सरकार का कहना है कि पबजी समेत 118 चीनी ऐप्स को इसलिए बैन किया गया है क्योंकि ये देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा है. पबजी के अलावा जिन गेमिंग ऐप्स को बैन किया गया है वे हैं-लूडो वर्ल्ड, चेस रश, राइज ऑफ किंगडम्स, साइबर हंटर, वॉर पाथ, डांक टैंक्स और गेम ऑफ सुल्तान्स. भारत में अब तक 224 चीनी ऐप्स को बैन किया जा चुका है.
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पबजी की लोकप्रियता
भारत ही नहीं दुनिया भर में पबजी के चाहने वालों और उसे खेलने वालों की कोई कमी नहीं है. चीनी कंपनी टेनसेंट के हाथों में पबजी का कंट्रोल है. सिर्फ सात महीनों में पबजी ने 3 अरब डॉलर की वैश्विक आय कर ली है. चीन और अमेरिका में भी यह काफी लोकप्रिय है.
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पबजी बैन, लगा सदमा!
पबजी खेलने वाले युवाओं को इसके बैन होने से झटका तो लगा ही है लेकिन उनका कहना है कि देश के आगे कुछ नहीं है. कुछ बच्चों ने लॉकडाउन के दौरान समय बिताने के लिए पबजी डाउनलोड किए थे लेकिन गेम में दिलचस्पी बढ़ने के साथ उनका इस प्लेटफॉर्म पर समय ज्यादा बीतने लगा, जिससे माता-पिता भी परेशान हो गए थे. बैन होने से माता-पिता को खुशी तो हुई है लेकिन गेम खेलने वालों में मायूसी है.
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प्रोफेशनल गेमर्स
पबजी पर लोग केवल समय काटने के लिए गेम नहीं खेलते हैं बल्कि इस पर प्रोफेशनल गेमर्स पैसे भी कमाते हैं. भारत में कुछ प्रोफेशनल गेमर्स लाखों रुपये तक कमा लेते हैं. भारत में पबजी के पोस्टर ब्वॉय नमन 'मॉर्टल' माथुर गेम को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम करते आए हैं और उनके यूट्यूब पर 60 लाख से अधिक फालोअर्स हैं. उनकी तरह कई और प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं जो पबजी पर गेम खेलने के साथ साथ पैसे कमाते आए हैं.
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पबजी से कमाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेशनल खिलाड़ी गेमिंग कंपनी के साथ करार कर एक लाख रुपये तक महीना कमा सकते हैं. यही नहीं कोई खिलाड़ी अपने गेम की लाइव स्ट्रीमिंग कर विज्ञापन के जरिए भी महीने के 25 से 30 हजार रुपये कमा सकता है.
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पबजी टूर्नामेंट
पिछले साल भारत में पहली बार पबजी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था. विजेता टीम ने इनाम के तौर पर 30 लाख रुपये जीता था. पबजी टूर्नामेंट्स भी खिलाड़ियों के लिए अच्छी खासी कमाई का जरिया रहा है.
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'पहले से था अंदेशा'
पबजी के प्रोफेशनल खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें पहले से ही पबजी के बैन होने का अंदेशा था. उनके मुताबिक जब से वीडियो शेयरिंग ऐप टिक टॉक बैन हुआ है उन्हें लग ही रहा था कि अब पबजी की बारी आने वाली है. प्रोफेशनल खिलाड़ी इस बैन को झटके के तौर पर ले रहे हैं. उनका कहना है कि यह उनकी आय का जरिया था.
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देसी ऐप्स के लिए मौका
भारत में कई ऐसी तकनीक कंपनियां हैं जो गेमिंग ऐप पर काम करती हैं लेकिन अब तक उन्हें पबजी जितनी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है. कुछ देसी मोबाइल ऐप के लिए पबजी का बैन होना एक अवसर के तौर पर आया है. आने वाले दिनों में वे टूर्नामेंट के जरिए अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकती हैं.
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मां-बाप को लाखों की चपत
कुछ महीने पहले पंजाब में एक लड़के ने इन-ऐप पर्चेजेस और ऐप अपग्रेडिंग के लिए 16 लाख रुपये उड़ा दिए थे. इस लड़के के पास अपने माता-पिता के तीन बैंक खातों की जानकारी थी और उसने पबजी मोबाइल ऐप में पैसे खर्च करने के लिए इन बैंक खातों का इस्तेमाल कर डाला.