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भारत की बढ़ती आबादी से चिंतित नहीं है चीन

२० अप्रैल २०२३

चीन के सरकारी मीडिया का कहना है कि देश की आबादी की वृद्धि रुकने और भारत के चीन से आगे निकलने को लेकर पश्चिमी मीडिया में आ रही रिपोर्टों में चीन के विकास को जानबूझकर नजरअंदाज कर उस बदनाम किया जा रहा है.

चीन में आबादी नहीं बढ़ रही है
चीन में आबादी नहीं बढ़ रही हैतस्वीर: Andy Wong/AP Photo/picture alliance

चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने एक टिप्पणी प्रसारित की है जिसमें काफी तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा गया कि हाल के सालों में चीन को लेकर पश्चिमी मीडिया में कहा जा रहा है कि देश का विकास बहुत मुश्किल में है और जब उसे अपनी आबादी का लाभ मिलना बंद हो जाएगा तो उसका विकास रुक जाएगा, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी.

यह टिप्पणी कहती है, "वे लगातार निंदा करते रहे और चीन लगातार विकसित होता रहा. उसने विशाल आबादी के साथ एक स्थिर और लगातार होने वाले विकास का चमत्कार किया है.”

भारत जल्द ही चीन को जनसंख्या के मामले में पीछे छोड़ सकता है.संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल के मध्य तक भारत में चीन से करीब 30 लाख ज्यादा लोग होंगे. इस बारे में सीसीटीवी ने कहा, "अमेरिका चीन के विकास को बाधित करने की अपनी कोशिशें तेज कर रहा है. वह चीन से अलग होने का प्रचार करता है और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से उसे कुछ और मुद्दे मिल गए हैं.”

चिंतित नहीं है चीन

इस रिपोर्ट में कहा गया कि पश्चिम में आबादी के आकार को विकास की उपलब्धियों से जोड़कर देखा जा रहा है. सीसीटीवी ने कहा, "ऐसे बढ़ा चढ़ाकर की गई बातों में जनसंख्या विकास के नियम की मूल समझ को नजरअंदाज किया गया है. मानव समाज के विकास के चलते आज घटती जन्म दर और बच्चे पैदा करने की अनिच्छा एक आम वैश्विक समस्या है. विकसित पश्चिमी देशों को अक्सर कामगारों की कमी से जूझना पड़ता है.”

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चीन में साल 2021 में जन्म दर में रिकॉर्ड स्तर पर कमी आई थी. पिछले साल देश की आबादी 60 साल में पहली बार बढ़ने के बजाय कम हो गई थी. वहां जन्म दर इतनी कम हो गई है कि पिछले साल चीन को अपने यहां जोड़ों को तीन बच्चे तक पैदा करने की इजाजत दे दी. चीन में दशकों तक एक ही बच्चा पैदा करने की नीति लागू रही, जिसका उल्लंघन करने पर लोगों को तमाम पाबंदियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन साल 2016 में यह नीति खत्म कर दी गई थी.

2016 में यह फैसला लेने के पीछे चीन की तेजी से बूढ़ी होती आबादी थी. चीन इसका आर्थिक खामियाजा नहीं भुगतना चाहता था, लेकिन शहरी इलाकों में महंगी होती रोजमर्रा की जिंदगी के चलते भी लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में प्रति हजार लोगों पर जन्म दर 7.52 रही, जो 1949 के बाद से सबसे कम है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, देश में पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के अंत में आबादी 8,50,000 कम रही. यह ब्यूरो हांग कांग, मकाओ और स्वशासी ताइवान के साथ-साथ विदेशी निवासियों को छोड़कर केवल चीन की मुख्य भूमि की जनसंख्या की गणना करता है. 

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हालांकि चीन की सरकार इस गिरावट को ज्यादा तूल नहीं रही है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि जनसंख्या से लाभ सिर्फ संख्यात्मक नहीं बल्कि गुणात्मक भी होता है. बुधवार को उन्होंने मीडिया स बातचीत में कहा, "जनसंख्या अहम है लेकिन प्रतिभा भी महत्वपूर्ण है. बूढ़ी होती आबादी से निपटने के लिए चीन ने सक्रिय उपाय अपनाए हैं.”

भारत सबसे बड़ा देश

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत इस साल के मध्य तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा. उसने कहा कि साल के मध्य तक भारत में चीन से करीब 30 लाख ज्यादा लोग होंगे.

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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 के आंकड़ों में अनुमान लगाया गया है कि चीन की 142.57 करोड़ की तुलना में भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ है. अमेरिका 34 करोड़ की आबादी के साथ तीसरे नंबर पर है.

यूएनएफपीए की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 25 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 वर्ष के आयु वर्ग की है जबकि 18 प्रतिशत 10 से 19 आयु वर्ग, 26 प्रतिशत 10 से 24 आयु वर्ग, 68 प्रतिशत 15 से 64 वर्ष आयु वर्ग में और 65 वर्ष से ऊपर 7 प्रतिशत है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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