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चीनी सेना में क्यों मची है उथल-पुथल?

यूशेन ली
११ अगस्त २०२३

चीन की सेना की रॉकेट फोर्स की टॉप लीडरशीप को बदल दिया गया है और उनकी जगह पर कम अनुभव वाले अधिकारियों को लाया गया है. यह रणनीति सैन्य भ्रष्टाचार से लड़ने का प्रयास है या देश की सत्ता में किसी तरह का खेल चल रहा है?

परेड में शामिल रॉकेट फोर्स के सैनिक मार्च करते हुए
चीन के रॉकेट फोर्स में शीर्ष स्तर पर बड़ी तब्दीलियों का क्या मतलब हो सकता हैतस्वीर: Wu Xiaoling/Photoshot/IMAGO

चीन की सेना में पिछले एक दशक में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव है. देश के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख करने वाले दो शीर्ष जनरलों को बिना किसी स्पष्टीकरण के उनके पदों से हटा दिया गया है. चीनी राजनीति पर नजर रखने वाली कनाडा की कंसल्टेंसी सर्सियस ने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) के करीब 10 मौजूदा और सेवानिवृत्त अधिकारियों की स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है. इनमें पूर्व कमांडर ली युचाओ और उनके डिप्टी कमांडर लियु गुआंगबिन शामिल हैं.

हांगकांग से अंग्रेजी में छपने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट अखबार ने बताया था कि ली के साथ-साथ उनके मौजूदा और पूर्व डिप्टी कमांडर की जांच, केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) की भ्रष्टाचार विरोधी इकाई कर रही थी. चीन के शीर्ष रक्षा निकाय के अध्यक्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं.

हफ्तों से गायब चीन के विदेश मंत्री चिन गांग की छुट्टी

कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार चाइना डेली के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 1 अगस्त को मनाए जाने वाले स्थापना दिवस से पहले शी ने जुलाई के अंत में अलग-अलग उच्च-स्तरीय बैठकों को संबोधित किया था. इसमें उन्होंने ‘सख्त अनुशासन' और सेना पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के ‘संपूर्ण नेतृत्व' पर जोर दिया था.

शी जिनपिंग की सत्ता के लिए इसका क्या मतलब है?

सीएमसी ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें सेना से ‘भ्रष्टाचार को रोकने और खत्म करने' का आग्रह किया गया है, ताकि सेना किसी तरह के युद्ध के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सके.

हालांकि, सेना के नेतृत्व में हुए इस असामान्य बदलाव ने कई अटकलों को जन्म दिया है. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, नौसेना के पूर्व डिप्टी कमांडर वांग हाउबिन को पीएलएआरएफ का नया प्रमुख बनाया जाएगा. जबकि, दक्षिणी थिएटर कमांड के शू शिशेंग इसके नए राजनीतिक आयुक्त बनेंगे.

चीन की मिसाइलों और परमाणु हथियारों की जिम्मेदारी रॉकेट फोर्स संभालता हैतस्वीर: Tang Yanjun/China News Service/picture alliance

एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस के सीनियर फेलो लाइल मॉरिस ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीन ने एक ही समय पर दोनों शीर्ष पदों पर मौजूद अधिकारियों को बदला है

इनकी जगह ऐसे अधिकारी को नियुक्त किया है जिनके पास ‘रॉकेट फोर्स में बहुत कम अनुभव है'. यह काफी ‘दुर्लभ मामला' प्रतीत होता है. उन्होंने कहा, "यह एक राजनीतिक कदम है, जो शी के भरोसेमंद लोगों को उस रैंक पर तैनात करने के लिए उठाया गया है.”

शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल पर चीनी लोगों का नजरिया

पीएलएआरएफ के शीर्ष अधिकारियों को भी ठीक उसी तरह हटाया गया है जैसे चीन के पूर्व विदेश मंत्री चिन गांग को हटाया गया था. उनकी जगह वांग यी को विदेश मंत्री बनाया गया. हालांकि, अपने पद से हटाए जाने से पहले लगभग एक महीने के लिए गांग सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दे रहे थे. पीएलएआरएफ के अधिकारियों के मामले में भी यही बात देखने को मिली है. ये लोग भी हटाए जाने से लगभग एक महीने पहले तक सार्वजनिक रूप से नहीं दिख रहे थे.

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पीएलए के विशेषज्ञ टेलर फ्रैवेल ने डीडब्ल्यू को बताया कि दोनों घटनाओं से यह बात साफ तौर पर जाहिर होती है कि शी के 10 साल से अधिक के शासन के बावजूद पार्टी में नेतृत्व की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है. उन्होंने कहा, "इससे पता चलता है कि इस तरह की घटनाएं शी के शासन की विशेषता है, किसी तरह की गड़बड़ी नहीं.”

क्या ताइवान पर चीन की सैन्य रणनीति बदल गई है?

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स चीनी सेना का रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र बल है. इस बल के पास चीन की परमाणु और रणनीतिक मिसाइलों के शस्त्रागार के संचालन तथा रखरखाव की जिम्मेदारी है. चीन ने ताइवान के आसपास जो लाइव-फायर ड्रिल की है, उसमें रॉकेट फोर्स ने अहम भूमिका निभाई है.

चीन में शी जिनपिंग के विरोधी भी हैं लेकिन उन्होंने अपने वफादारों को अहम पदों पर बिठा रखा हैतस्वीर: Li Gang/Xinhua/AP/picture alliance

कुछ सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की नौसेना में डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ की भूमिका निभाने वाले वांग हाउबिन के पास रणनीतिक योजना का अनुभव है और उन्हें रॉकेट फोर्स का नया कमांडर बनाया जाना इस बात का प्रमाण है कि शी ताइवान पर आक्रमण करने के लिए प्रयासरत हैं.

हालांकि, ताइपे के तामकंग विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफसर लिन यिंग-यू ने डीडब्ल्यू को बताया कि ताइवान के प्रति चीन की नीति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है.

लिन ने आगे कहा, "शी विशेषज्ञता से ज्यादा वफादारी को तवज्जो देते हैं. नेतृत्व में बदलाव होने से सेना की क्षमता कम नहीं होगी. सेना को बेहतर बनाने की योजनाएं पांच से 15 साल पहले लागू की गई थीं और संभवतः जारी रहेंगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या चीन ने उपकरण की खरीद में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए वाकई में प्रयास किए हैं?”

फेरबदल को लेकर अटकलें तेज

पिछले महीने सीएमसी ने लगभग छह साल पुराने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए, ‘सेना की अखंडता से जुड़े खतरों के प्रति शुरुआत में ही आगाह करने के लिए चेतावनी प्रणाली' की स्थापना की बात कही थी.

चूंकि चीनी सरकार ने नेतृत्व में फेरबदल के कारणों को आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं किया है, इसलिए कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि इससे सैन्य रहस्य उजागर हो सकते हैं.

बीते साल अक्टूबर में अमेरिकी वायु सेना के थिंक टैंक ‘चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट' ने पीएलएआरएफ पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें चीनी सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी उजागर होने का संदेह जताया था.

हालांकि, पर्यवेक्षकों का तर्क है कि शी राजनीतिक आलोचकों को हटाने और सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए किसी भी वजह का इस्तेमाल कर सकते हैं.

वरिष्ठ चीनी पत्रकार और आलोचक गाओ यू ने डीडब्ल्यू को बताया कि पीएलएआरएफ में उथल-पुथल की वजह ‘सत्ता संघर्ष से जुड़े मुद्दे हो सकते हैं.' उन्होंने कहा कि पीएलएआरएफ के सेवानिवृत्त डिप्टी कमांडर वू गुओहुआ की मौत संभवतः आलोचकों को हटाए जाने के कम्युनिस्ट पार्टी के नए प्रयास से जुड़ी हुई है.

जुलाई की शुरुआत में, चीनी मीडिया में कहा गया था कि स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या की वजह से वू की मौत हुई है. हालांकि, गाओ ने ट्वीट किया कि वू के पूर्व बॉस झांग शियाओयांग ने खुलासा किया था कि उन्होंने घर पर आत्महत्या की थी.

वू की बेटी होने का दावा करने वाली एक यूजर ने चीनी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म वीबो पर एक संदेश पोस्ट किया और अपने पिता की प्रतिष्ठा को बचाने का प्रयास करते हुए उनकी प्रशंसा में कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान "देशद्रोहियों को दंडित किया”.

मॉरिस का आकलन है कि नेतृत्व में रहस्यमयी तरीके से हो रहे बदलाव की वजह से एक बार फिर ‘पीएलए में सेवा देने वालों की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है.'

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