चीन की रॉकेट बनाने वाली कंपनी स्पेस इपोक ने कहा है कि वह अलीबाबा के ऑनलाइन शॉपिंग प्लैटफॉर्म ताओबाओ के साथ मिलकर रॉकेट से फटाफट डिलीवरी करने वाली सेवा शुरू करने पर काम कर रही है.
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स्पेस इपोक ने रविवार को कहा कि अभी यह कार्यक्रम शुरुआती दौर में है और परीक्षण किए जा रहे हैं. कंपनी के मुताबिक एक ऐसा रॉकेट विकसित किया जा रहा है जो 120 घनमीटर के कंटेनर में दस टन वजन का सामान ले जा सके. यह रॉकेट बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इस बारे में कंपनी ने अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर नोटिस साझा किया है. हालांकि अलीबाबा ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.
ऑनलाइन शॉपिंग में महिलाओं से आगे हैं पुरुष
आईआईएम-अहमदाबाद के एक शोध के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं.
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36 फीसदी ज्यादा खर्च
आईआईएम-अहमदाबाद के शोध के मुताबिक पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर औसतन 2,484 रुपये खर्च किए, जो महिलाओं द्वारा खर्च किए गए 1,830 रुपयों की तुलना में 36 फीसदी अधिक है.
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क्या खरीदते हैं पुरुष
सर्वे से पता चला कि 47 प्रतिशत पुरुषों ने फैशन के लिए खरीदारी की, इसके बाद 37 प्रतिशत ने यूटीलिटीज के लिए और 23 प्रतिशत ने इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए खरीदारी की.
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क्या खरीदती हैं महिलाएं
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 58 प्रतिशत महिलाओं ने फैशन के लिए खरीदारी की, उसके बाद 28 प्रतिशत ने इस्तेमाल में आने वाले सामान की शॉपिंग और 16 प्रतिशत महिलाओं ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की शॉपिंग की.
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समय कम खर्च करते हैं मर्द
पुरुषों द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग में बिताया जाने वाला समय महिलाओं के मुकाबले कम है. जहां पुरुषों ने ऑनलाइन शॉपिंग पर 34.4 मिनट खर्च किए, वहीं महिलाओं ने 35 मिनट खर्च किए.
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कोविड के बाद बढ़ी ऑनलाइन शॉपिंग
शोध रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने 2020 से ऑनलाइन शॉपिंग की लोकप्रियता को काफी बढ़ा दिया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी के लिए 'पैसा वसूल' की भावना सबसे बड़े कारकों में से एक है. इसके बाद खरीदारी की प्रक्रिया में आसानी है.
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35 हजार लोग सर्वे में शामिल
आईआईएम-अहमदाबाद ने अपने शोध के लिए 25 राज्यों के 35 हजार लोगों को सर्वे में शामिल किया. यह नतीजे आईआईएम अहमदाबाद की 'डिजिटल रिटेल चैनल्स एंड कंज्यूमर्स: द इंडियन पर्सपेक्टिव' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए थे.
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बीजिंग स्थित स्पेस इपोक रीयूजेबल रॉकेट बनाती है. उसने पिछले साल ही युआनशिंग-1 रॉकेट का टेस्ट पूरा किया था, जिसमें यह रॉकेट देश के बाहर जाकर वापस आया था. हालांकि कंपनी ने साफ किया कि रॉकेट से डिलीवरी की सेवा को जल्दी शुरू करना आसान नहीं होगा.
संभव है 90 मिनट में यात्रा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी नीतियों में देश के रणनीतिक उद्योगों के विकास पर खासा जोर दिया है. इनमें व्यवसायिक अंतरिक्ष क्षेत्र को खास अहमियत दी गई है. उपग्रहों का निर्माण, रिमोट सेंसिंग और नेविगेशन जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
पिछले साल चीन ने 17 व्यवसायिक रॉकेट लॉन्च किए थे. इनमें से एक ही विफल हुआ. कुल मिलाकर चीन ने 67 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में भेजे जो एक रिकॉर्ड था. इससे पहले 2022 में 10 व्यवसायिक रॉकेट अंतरिक्ष में भेजे गए थे, जिनमें दो विफल हो गए थे.
दुनियाभर में वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से रॉकेट को परिवहन के साधन के रूप में इस्तेमाल करने की गुंजाइश तलाश रहे हैं. इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने लायक रॉकेटों की सफलता ने इस गुंजाइश को और संभव बना दिया है.
चांद पर जाने की टिकट लेंगे?
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2023 में साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में जर्मन वैज्ञानिकों ने कहा था कि दुनियाभर में 90 मिनट से कम समय में यात्रियों और सामान का परिवहन संभव है. अपने शोध में उन्होंने स्पेस एक्स द्वारा विकसित किए जा रहे स्टारशिप रॉकेट की स्पेसलाइनर से तुलना करते हुए अध्ययन किया था.
शोध में कहा गया, "सस्ते और पूरी तरह से दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट का विकास पृथ्वी पर एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने के नए रास्ते खोल सकता है. इसमें धरती पर कहीं भी लोगों और सामान को 90 मिनट से कम समय में पहुंचाया जा सकता है.”
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अमेरिका में जारी है शोध
अमेरिकी सेना लंबे समय से रॉकेट से सामान लाने-ले जाने की संभावनाओं पर काम कर रही है. 2021 में एक कार्यक्रम में अमेरिकी एयर फोर्स के वैज्ञानिक और रॉकेट कार्गो प्रोग्राम मैनेजर डॉ. ग्रेग स्पान्येर्स ने कहा, "जब से अंतरिक्ष की उड़ान शुरू हुई, तभी से यह विचार चर्चा में रहा है और यह एक बहुत दिलचस्प आइडिया है. हम हर दस साल पर इसके बारे में सोचते हैं लेकिन अब तक यह संभव नहीं हो पाया. लेकिन अब ऐसा लगता है कि तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि इस विचार को अमली जामा पहनाना संभव हो सके.”
अंतरिक्ष की अभूतपूर्व तस्वीरें लेगा दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा
चिली के खगोल वैज्ञानिक दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कैमरे की मदद से ब्रह्मांड के रहस्यों पर से पर्दा उठाना चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक गाड़ी के आकार का यह कैमरा ऐसी तस्वीरें ले पाएगा जो पहले कभी नहीं ली गईं.
तस्वीर: Javier Torres/AFP
दुनिया का सबसे बड़ा कैमरा
रेगिस्तानी पहाड़ों और साफ नीले आसमान से घिरी उत्तरी चिली की वेरा सी रुबिन वेधशाला के खगोल वैज्ञानिक ब्रह्मांड के अध्ययन में क्रांति लाने की उम्मीद कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कैमरे को एक दूरबीन से जोड़ा है.
तस्वीर: Javier Torres/AFP
बड़ा बदलाव
स्टुअर्ट कॉर्डर 8,200 फुट ऊंचे 'सेरो पांचों' पहाड़ के ऊपर स्थित इस वेधशाला को चलाने वाले अमेरिकी शोध केंद्र नोआरलैब के डिप्टी निदेशक हैं. अगर वह सफल रहे तो चिली की राजधानी सैंटियागो से 560 किलोमीटर दूर उत्तर की तरफ स्थित यह वेधशाला "खगोल शास्त्र में एक मूलभूत बदलाव" ले कर आएगी.
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नई नजर से अंतरिक्ष
यह उपकरण एक छोटी गाड़ी जितना बड़ा है और इसका वजन है 2.8 टन. अमेरिका द्वारा फंडेड इस परियोजना के प्रतिनिधियों ने बताया कि इससे अंतरिक्ष के बारे में ऐसी जानकारी मिलेगी जो पहले कभी नहीं मिली. उम्मीद की जा रही है कि 80 करोड़ डॉलर का यह कैमरा 2025 की शुरुआत में अपनी पहली तस्वीरें लेगा. यह हर तीसरे दिन तस्वीरें लेगा और वो तस्वीरें इतनी बारीक होंगी जितनी पहली कभी नहीं देखी गईं.
तस्वीर: Javier Torres/AFP
विशालकाय तस्वीरें
यह कैमरा 3,200 मेगापिक्सल पर तस्वीरें ले सकेगा, जिसकी वजह से यह तस्वीरें इतनी विशालकाय होंगी कि ऐसी सिर्फ एक तस्वीर को देखने के लिए 300 से ज्यादा मध्यम आकार के हाई रेसोल्यूशन टेलीविजनों की जरूरत होगी. कलिफोर्निया में बनाये गए इस उपकरण की क्षमता दुनिया के सबसे शक्तिशाली कैमरा - जापान में स्थित 870 मेगापिक्सल वाले हाइपर सुप्रीम-कैम - से तीन गुना ज्यादा है.
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पहला लक्ष्य
नए कैमरे का पहला लक्ष्य होगा आसमान की 10 साल की एक समीक्षा को पूरा करना. इसे 'लिगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम (एलएसएसटी)' कहते हैं और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इससे दो करोड़ आकाशगंगाओं, 17 अरब सितारों और अंतरिक्ष में स्थित 60 लाख अन्य पिंडों के बारे में जानकारी पर से पर्दा उठेगा.
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एक साथ कई सितारे
चिलियन सोसाइटी ऑफ एस्ट्रोनॉमी (सोचियास) के अध्यक्ष ब्रूनो डीएस का कहना है कि इस उपकरण की मदद से शोधकर्ता "एक समय में एक सितारे के अध्ययन और उसके बारे में गहराई से जानने की जगह एक बार में हजारों सितारों का अध्ययन" कर पाएंगे.
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चिली में आगे बढ़ता खगोल विज्ञान
इस परियोजना से खगोलीय अध्ययन में चिली की प्रमुखता और मजबूत होगी. सोचियास के मुताबिक, दुनिया की सबसे शक्तिशाली दूरबीनों में से एक तिहाई चिली में ही हैं और इस यह दुनिया के उन देशों में भी शामिल है जहां आसमान सबसे ज्यादा साफ नजर आता है.
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चिली का कोई मुकाबला नहीं
मानवता की सबसे महत्वपूर्ण खगोलीय खोजों में से कई 'सेरो तोलोलो' वेधशाला में ही हुई हैं. सोचियास के प्रमुख डीएस का कहना है कि हालांकि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और स्पेन समेत कई दुनिया के कई देशों में महत्वपूर्ण वेधशालाएं खुली हैं, लेकिन खगोल विज्ञान की दुनिया में "चिली का कोई कोई मुकाबला" नहीं है. (यूली हुएनकेन)
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रॉकेट से डिलीवरी का सबसे अहम पहलू यह है कि इससे समय की बहुत बचत हो सकती है. अभी सामान की डिलीवरी में दिनों से हफ्तों और महीनों तक का समय लगता है. मसलन, अगर न्यू यॉर्क से केन्या सामान पहुंचाना हो तो 14 घंटे का समय लगता है जबकि यह काम रॉकेट से एक घंटे में हो सकता है.
इसके लिए रॉकेट को 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ाया जा सकता है, जो विभिन्न देशों की वायु सीमाओं से बाहर है. यानी रॉकेट को सिर्फ उतरने के लिए उस देश की इजाजत चाहिए होगी, जहां सामान पहुंचाना है. बाकी समय रॉकेट रास्ते में आने वाले देशों की वायु सीमा से बाहर रहेगा. हालांकि इस कारण प्रति किलोग्राम लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी.