दो साल में पहली बार चीन के विदेश मंत्री भारत का फौरी दौरा करने वाले हैं. भारत सरकार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. हालांकि आधिकारिक रूप से किसी पक्ष ने इसकी पुष्टि नहीं है.
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चीन के विदेश मंत्री शुक्रवार को भारत के औचक दौरे पर पहुंच रहे हैं. हालांकि दोनों पक्षों ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक भारतीय अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है. लगभग दो साल पहले गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद किसी चीनी नेता का यह पहला उच्च स्तरीय भारत दौरा होगा.
इसी हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के सम्मेलन में हिस्सा लिया था. उनका नेपाल जाने का कार्यक्रम भी है. इसी दौरान वह भारत में भी रुकने वाले हैं.
ओआईसी की बैठक में वांग ने कश्मीर पर सख्त बयान दिया था, जिस पर भारत में प्रतिक्रिया भी हुई. उन्होंने कहा, “कश्मीर पर हमने आज फिर बहुत सारे इस्लामिक दोस्तों की राय सुनी. और चीन को इससे उम्मीद बढ़ी है.”
इस बयान पर भारत ने आपत्ति जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, “हम चीन के विदेश मंत्री द्वारा उद्घाटन भाषण में भारत के अनुचित जिक्र को खारिज करते हैं. भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित सभी मामले भारत के अंदरूनी मामले हैं. चीन समेत किसी भी देश को इन पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. उन्हें ध्यान देना चाहिए कि भारत उनके अंदरूनी मामलों पर सार्वजनिक रूप से राय देने से परहेज करता है.”
यूक्रेन पर हो सकती है चर्चा
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को दैनिक पत्रकार वार्ता के दौरान सवाल पूछे जाने पर कहा कि उन्हें दौरे की कोई जानकारी नहीं है.
नाम ना छापने की शर्त पर भारतीय अधिकारी ने बताया कि वांग अपनी यात्रा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मिलेंगे. हालांकि इस मुलाकात का एजेंडा स्पष्ट नहीं है लेकिन यूक्रेन को लेकर बनी अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा होने की संभावना है.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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भारत और चीन दोनों ने ही यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की निंदा नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में उसके खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया था. रूस इन दोनों देशों को अपने मित्र-देश मानता है और पश्चिमी देशों के आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों के असर को कम करने के लिए भारत और चीन से मदद की उम्मीद कर रहा है.
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दो साल से तनाव जारी
भारत और चीन के रिश्तों में पिछले दो साल से काफी तनाव है जब जून 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में भारत के 20 और चीन के चार सैनिकों की जान गई थी. इस घटना के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. उसकी कई कंपनियों पर भी भारत में प्रतिबंध लगाए गए हैं.
तब से दोनों देशों के बीच एक दर्जन से ज्यादा बार सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन मतभेदों को सुलझाने की दिशा में विशेष प्रगति नहीं हुई है. हालांकि दोनों देशों के नेता और विदेश मंत्री इस दौरान अलग-अलग मंचों पर कई बार मिल चुके हैं. इसी महीने चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में कहा था कि एशिया के दो सबसे बड़े देशों ”एक दूसरे की ऊर्जा सोखने के बजाय लक्ष्य हासिल करने में एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.”
सबसे बड़े एयर शो में दिखी चीन की ताकत
जुहाई में हुए चीन के सबसे बड़े एयर शो में भारत के पड़ोसी मुल्क ने अपनी अत्याधुनिक सैन्य और अंतरिक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया.
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चीन की हवाई ताकत
ये है सीएच-4 ड्रोन जिसे चीन ने ग्वांगडो प्रांत के जुहाई में हुए एयरशो में पेश किया.
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एयर डिफेंस भेदने वाला
चीन का J-16D इलेक्ट्रोनिक लड़ाई में काम आने वाला फाइटर विमान है जो अमेरिका में बने EA-18G ग्राउलर का मुकाबिल है. यह एयर डिफेंस सिस्टम को तहस नहस करने की क्षमता रखता है.
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सहयोगी ड्रोन
एयर शो में चीन ने महंगे लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए साथ उड़ने वाला ड्रोन भी इस शो में दिखाया है. भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं.
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दो तरह के इंजन
हर तरह के इंजनचीन दो तरह के घरेलू इंजनों पर परीक्षण कर रहा है जो उसके y-20 ट्रांसपोर्ट विमान में लगाए जाएंगे.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के विमान
WZ-7 शियांगलोंग ड्रोन अमेरिका के मशहूर ग्लोबल हॉक ड्रोन के मुकाबले का है. इसे भारत-चीन सीमा के नजदीक भी देखा गया है और उत्तर कोरियाई सीमा के आस पास भी.
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इंजनों में सुधार
चीन ने अपने हवाई इंजनों की क्षमता और तकनीक में सुधार के लिए कड़ी मेहनत की है. इस मेहनत का नतीजा एयर शो में कई आधुनिक विमानों के रूप में नजर आया. जे-20 फाइटर जेट पहली बार रूस के बजाय चीन में बने इंजन से उड़ा.
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चांद पर निगाह
चीन ने बताया है कि 2028 में, यानी अनुमान से दो साल पहले ही वह अपने आधुनिक रॉकेट तैयार कर लेगा जो अंतरिक्षयान को चांद पर भेजने के लिए बनाए जा रहे हैं.
तस्वीर: Aly Song/REUTERS
बाजार पर कब्जा
व्यवसायिक विमानन के क्षेत्र में भी चीन खासी तरक्की कर रहा है और ऐसी तकनीक विकसित करने में लगा है जिनके बूते उसे किसी अन्य देश पर निर्भर ना रहना पड़े.
तस्वीर: Aly Song/REUTERS
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पिछले एक महीने में भारत सरकार को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिकी अधिकारियों से संवाद बढ़ा है. आने वाले दिनों में इस्राएल के प्रधानमंत्री और मेक्सिको के विदेश मंत्री भी भारत दौरे पर आ रहे हैं. चीन ने भी यूक्रेन युद्ध के दौरान अपनी राजनयिक गतिविधियां बढ़ दी हैं.