चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने देश के एक नए राजनीतिक इतिहास को मंजूरी दे दी है जिसके तहत राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दर्जे को और ऊंचा कर उन्हें पार्टी के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं के समकक्ष रख दिया गया है.
विज्ञापन
पार्टी की केंद्रीय समिति के नेताओं ने एक महत्वपूर्ण बैठक में शी की विचारधारा को "चीनी संस्कृति का सार" बताया. पार्टी द्वारा जारी एक बयान में शी की विचारधारा को "देश के पुनर्जीवन" के लिए "निर्णायक रूप से महत्वपूर्ण" बताया. ऐसा कर पार्टी के नेताओं ने अगले साल शी के कार्यकाल को और आगे बढ़ाने की जमीन तैयार कर दी.
चीन में किसी नेता के लिए इस तरह की अति भावुक भाषा का इस्तेमाल होना काफी असामान्य है. शी ने निजी स्तर पर इतनी शक्ति हासिल कर ली है जितनी 1980 में डेंग शियाओपिंग के बाद किसी दूसरे नेता ने हासिल नहीं की थी. कई लोगों का मानना रहा है कि शी पार्टी के महासचिव का पद पर लगातार तीसरी बार बने रहेंगे.
माओ, डेंग की बराबरी
हालांकि पार्टी में पिछले दो दशकों से जो परंपरा रही है उसके मुताबिक 68 वर्षीय शी को अगले साल पद से इस्तीफा देना पड़ता. लेकिन अब वो परंपरा बदल दी गई है और शी तीसरे कार्यकाल की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. पार्टी के नेतृत्व का जो प्रस्ताव कल पारित हुआ वो पार्टी के 100 साल के इतिहास का सिर्फ तीसरा प्रस्ताव है.
पहला प्रस्ताव कम्युनिस्ट सरकार के पहले नेता माओ जेदांग के समय में पारित किया गया था और दूसरा डेंग शियाओपिंग के समय में, जब उन्होंने उन सुधारों की शुरुआत की जिन्होंने चीन को एक आर्थिक महाशक्ति बना दिया. ऐसे एक प्रस्ताव को शी के समय में जारी करने से सांकेतिक रूप से उन्हें बाकी दोनों ऐतिहासिक नेताओं के बराबर का दर्जा दे दिया गया है.
पार्टी ने शी के लिए राष्ट्रपति के पद पर बने रहने की कार्यकाल की सीमा को 2018 में ही खत्म कर दिया था. उस समय अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया था कि हो सकता है कि शी को और समय चाहिए हो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक और अन्य सुधार लागू किए जाएं.
पार्टी पर पकड़
शी माओ के जनरलों में से एक के बेटे हैं और पार्टी में उनका कोई प्रत्यक्ष प्रतिद्वंदी नहीं है. लेकिन सत्ता में बने रहने की कोशिशें पार्टी के उनसे कम उम्र के वरिष्ठ नेताओं को उनसे दूर कर सकती हैं. संभव है कि ऐसे नेताओं को अपनी पदोन्नति के मौके धुंधले होते हुए दिखाई दें.
इसके अलावा राजनीतिक वैज्ञानिक एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के तजुर्बे की तरफ इशारा भी करते हैं और चेतावनी देते हैं कि लंबे समय तक एक ही व्यक्ति के सत्ता में रहने से आधिकारिक फैसलों की गुणवत्ता खराब हो जाती है और देशों का आर्थिक प्रदर्शन भी गिर जाता है.
सीके/एए (एपी)
100 साल की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कहानी
चीन पर शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी सौ साल की हो गई है. 28 जून 2021 को पार्टी की सौवीं वर्षगांठ मनाई गई. देखिए, समारोह की तस्वीरें और जानिए सीसीपी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
आधुनिक चीन की संस्थापक
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) आधुनिक चीन की संस्थापक है. 1949 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में पार्टी ने राष्ट्रवादियों को हराकर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की थी.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सीसीपी की स्थापना
सीसीपी की स्थापना 1921 में रूसी क्रांति से प्रभावित होकर की गई थी. 1949 में पार्टी के सदस्यों की संख्या 45 लाख थी.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सदस्यों की संख्या
पिछले साल के आखिर में सीसीपी के सदस्यों की संख्या नौ करोड़ 19 लाख से कुछ ज्यादा थी. 2019 के मुकाबले इसमें 1.46 प्रतिशत की बढ़त हुई थी. चीन की कुल आबादी का लगभग साढ़े छह फीसदी लोग ही पार्टी के सदस्य हैं. आंकड़े स्टैटिस्टा वेबसाइट ने प्रकाशित किए थे.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सदस्यता
पार्टी की सदस्यता हासिल करना आसान नहीं है. इसकी एक सख्त चयन प्रक्रिया है और हर आठ आवेदकों में से एक को ही सफलता मिलती है. यह प्रक्रिया लगभग डेढ़ साल चलती है.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
कैसे हैं इसके सदस्य
सीसीपी के सदस्यों में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा के पास जूनियर कॉलेज डिग्री है. करीब एक करोड़ 87 लाख सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके नागरिक हैं. 2019 के आंकड़े देखें तो सदस्यों में 28 प्रतिशत किसान, मजदूर और मछुआरे थे.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
महिलाओं की संख्या
पिछले कुछ सालों में सीसीपी में महिलाओं की संख्या बढ़ी है. 2010 में पार्टी की 22.5 फीसदी सदस्य महिलाएं थीं जो 2019 में बढ़कर 28 फीसदी हो गईं. 2019 में सदस्यता लेने वालों में 42 फीसदी संख्या महिलाओं की थी.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
पार्टी पर दाग
पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक पार्टी में 18 प्रतिशत सदस्यों का सरकार पर भरोसा नहीं था. 2020 में छह लाख 19 हजार सीसीपी सदस्यों पर भ्रष्टाचार के मुकदमे दर्ज थे. 2010 में एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक उस साल 32 हजार लोगों ने पार्टी छोड़ दी थी.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सम्मेलन
हर पांच साल में सीसीपी का एक सम्मेलन होता है जिसमें नेतृत्व का चुनाव होता है. इसी दौरान सदस्य सेंट्रल कमेटी चुनते हैं, जिसमें लगभग 370 सदस्य होते हैं. इसके अलावा, मंत्री और अन्य वरिष्ठ पदों पर भी लोगों का चुनाव होता है.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
सात के हाथ में ताकत
सेंट्रल कमेटी के सदस्य पोलित ब्यूरो का चुनाव करते हैं, जिसमें 25 सदस्य होते हैं. ये 25 लोग मिलकर एक स्थायी समिति का चुनाव करते हैं. फिलहाल इस समिति में सात लोग हैं, जिन्हें सत्ता का केंद्र माना जाता है. इसमें पांच से नौ लोग तक रहे हैं.
तस्वीर: Thomas Peter/REUTERS
महासचिव
सबसे ऊपर महासचिव होता है जो राष्ट्रपति बनता है. 2012 में हू जिन ताओ से यह पद शी जिन पिंग ने लिया था. बाद में संविधान में बदलाव कर राष्ट्रपति पद की समयसीमा ही खत्म कर दी गई और अब शी जिन पिंग जब तक चाहें, इस पद पर रह सकते हैं.