कोविड के बारे में बताने वाले वैज्ञानिक का जीना दूभर
१ मई २०२४
चीन में कोविड-19 वायरस के बारे में सबसे पहले बताने वाले एक वैज्ञानिक को अपनी प्रयोगशाला में नहीं घुसने दिया गया. वैज्ञानिक ने विरोधस्वरूप दरवाजे पर ही धरना दिया.
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2020 में सबसे पहले कोविड-19 वायरस के बारे में दुनिया को बताने वाले चीनी वैज्ञानिक को लैब में घुसने से रोक दिया गया. जांग योंगजेन नाम के इस वैज्ञानिक ने सबसे पहले कोविड सीक्वेंस प्रकाशित किया था. सोमवार को जब उन्हें लैब में घुसने नहीं दिया गया तो वह दरवाजे पर ही धरने पर बैठ गए.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में जांग ने लिखा कि उन्हें और उनकी टीम को एकाएक सूचित किया गया कि उन्हें लैब से बाहर किया जा रहा है.
आखिर वुहान में है क्या
लाखों लोगों की जान ले लेने वाला कोरोना वायरस क्या चीन के वुहान की एक लैब से निकला था? इस सच्चाई का पता लगाने की कोशिशों ने चीन के इस शहर के बारे में उत्सुकता जगा दी है.
तस्वीर: Aly Song/REUTERS
चीन का महत्वपूर्ण शहर
वुहान चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी है. इसका स्थान चीन के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में नौवें पायदान पर है और यह चीन के नौ 'राष्ट्रीय केंद्रीय शहरों' में से एक है.
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महामारी का जनक
दिसंबर 2019 में कोविड-19 महामारी फैलाने वाला एसएआरएस-सीओवी-दो कोरोना वायरस सबसे पहले वुहान में ही पाया गया था. जनवरी 2020 में दुनिया की सबसे पहली तालाबंदी यहीं लगी थी.
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मांस के बाजार पर नजर
अभी तक माना यही जाता है कि इस वायरस के फैलने की शुरुआत वुहान के मछली और मांस के बाजारों से हुई. लेकिन साथ ही साथ ऐसी अटकलें भी लगती रही हैं कि इस वायरस पर वुहान में स्थित एक प्रयोगशाला में शोध चल रहा था और इसके वहां से लीक होने की वजह से महामारी फैली.
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लैब का रहस्य
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को तरह तरह के वायरसों पर शोध के लिए जाना जाता है. ऐसे आरोप लगते आए हैं कि यहां के शोधकर्ता अक्सर यहां से काफी दूर स्थित कुछ गुफाओं में चमगादड़ों के सैंपल लेने जाते थे और वहीं से यह वायरस प्रयोगशाला पहुंचा और फिर लीक हुआ.
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अधूरे निष्कर्ष
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल की शुरुआत में वायरस की उत्पत्ति की जांच शुरू की थी और एक जांच दल को वुहान भेजा था. लेकिन दल वायरस के स्रोत का निर्णायक रूप से पता नहीं लगा सका. डब्ल्यूएचओ की टीम ने जांच के बाद निर्धारित किया कि लैब से वायरस का प्रसार "बेहद नामुमकिन" है.
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अटकलें जारी
इस अध्ययन से इस विवाद का अंत नहीं हुआ. अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका की खुफिया एजेंसियों से कहा है कि वे कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करें और 90 दिनों के भीतर जांच के नतीजों को सामने रखें.
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पारिस्थितिक प्रमाण मौजूद
कई विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि रोगाणुओं पर जिम्मेदारी के साथ काम करने के लिए कोई बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय मानक नहीं हैं, इसलिए इस तरह के लीक जैसे हादसे बिलकुल हो सकते हैं. वुहान से करीब 1000 मील दूर वो गुफाएं हैं जहां कोरोना वायरस के संभावित पूर्वज वायरस वाले चमगादड़ रहते हैं. इस बात की जानकारी है कि वुहान के वैज्ञानिक सैंपल लेने इन गुफाओं तक नियमित रूप से जाते थे.
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बना हुआ है रहस्य
लेकिन इसके बावजूद अभी भी निर्णायक रूप से यह कहना संभव नहीं है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि वुहान की लैब से हुई थी. देखना होगा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां क्या पता लगा पाती हैं.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
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वायरस विशेषज्ञ जांग ने जनवरी 2020 में एक शोध प्रकाशित किया था. लेकिन उस शोध के प्रकाशन में उन्होंने सरकार की इजाजत नहीं ली थी. उसके बाद से उन्हें पद से हटा दिया गया और उन्हें काम करने में परेशान किया जाता रहा है.
बीते सप्ताहांत जब जांग ने लैब में जाना चाहा तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया. तब बारिश हो रही थी और वह वहीं बाहर धरने पर बैठ गए. इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं.
इस प्रदर्शन की खबर चीनी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी. जांग ने अपने एक सहकर्मी को बताया कि वह रात को भी लैब के बाहर ही सोये. हालांकि मंगलवार को वह कहां थे, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है.
चीनी सोशल मीडिया वेबसाइट वाइबो पर जांग ने लिखा, "मैं हटूंगा नहीं. मैं छोड़ूंगा नहीं. मैं विज्ञान और सत्य का अन्वेषी हूं.” बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी गई.
अधिकारियों के साथ तनातनी
शंघाई के पब्लिक हेल्थ क्लिनिक सेंटर ने एक बयान जारी कर कहा कि लैब में कुछ निर्माण हो रहा है, इसलिए "सुरक्षा कारणों से” लैब को बंद किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने जांग की टीम को वैकल्पिक जगह उपलब्ध करवाई थी.
जांग ने इस बात का खंडन किया है. उन्होंने लिखा कि उनकी टीम को जगह खाली करने का नोटिस मिलने के बाद तक कोई वैकल्पिक जगह नहीं दी गई थी. बाद में जो जगह दी गई वह उनकी रिसर्च के लिए सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरी नहीं उतरती.
दुनिया में सबसे ज्यादा निगरानी वाले शहर
आमतौर पर निगरानी को लेकर अधिकार कार्यकर्ता सवाल उठाते रहे हैं लेकिन प्रति वर्ग मील सीसीटीवी लगाने के मामले में भारतीय शहरों ने दुनिया के अन्य शहरों को पछाड़ दिया है. दुनिया के शीर्ष तीन शहरों में दो शहर भारत के हैं.
तस्वीर: Wang Gang/dpa/picture-alliance
1.दिल्ली
कंपेरिटेक की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति वर्ग मील में सबसे अधिक निगरानी कैमरे (सीसीटीवी कैमरे) लगाने के मामले में दिल्ली दुनिया का पहला शहर बन गया है. दिल्ली में प्रति वर्ग मील 1826 कैमरे लगे हुए हैं.
तस्वीर: dapd
2.लंदन
प्रति वर्ग मील में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के मामले में दिल्ली दुनिया के 150 शहरों में पहले स्थान पर है तो वहीं लंदन दूसरे स्थान पर है. लंदन में प्रति वर्ग मील 1138 कैमरे लगाए गए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Stansall
3.चेन्नई
कंपेरिटेक की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति वर्ग मील में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के हिसाब से चेन्नई तीसरे स्थान पर आता है. इस शहर में प्रति वर्ग मील में 609 कैमरे लगाए गए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Sankar
4.शेंजन
चीनी शहर शेंजन में प्रति वर्ग मील 520 कैमरे लगे हुए हैं. इस संख्या के साथ शेंजन सूची में चौथे स्थान पर है.
तस्वीर: STEPHEN SHAVER/newscom/picture alliance
5.वूशी
शेंजन के बाद एक और चीनी शहर शीर्ष दस शहरों में शामिल है. इस शहर का नाम वूशी है और यहां प्रति वर्ग मील 472 कैमरे लगे हुए हैं.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture-alliance
6.चिंगदाओ
छठे स्थान पर चीनी शहर चिंगदाओ है और यहां पर प्रति वर्ग मील में 415 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Yip
7.शंघाई
चीन का शंघाई प्रति वर्ग मील 408 कैमरों के साथ सातवें स्थान पर है.
तस्वीर: NICOLAS ASFOURI/AFP
8.सिंगापुर
सिंगापुर में प्रति वर्ग मील 387 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. कई बार सीसीटीवी कैमरों द्वारा निगरानी को लेकर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं.
तस्वीर: Yeen Ling Chong/AP Photo/picture-alliance
9.चांगशा
चीन के शहर चांगशा में प्रति वर्ग मील 353 कैमरे लगे हुए हैं. चीनी सरकार पर आरोप लगते आए हैं कि वह अपने ही नागरिकों की सख्त निगरानी करती है.
तस्वीर: Reuters/T. Siu
10.वुहान
चीनी शहर वुहान कोरोना वायरस के प्रसार के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. इस शहर में प्रति वर्ग मील 339 कैमरे लगे हुए हैं. दुनिया के कई अधिकार समूह इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की आलोचना करते आए हैं और लोगों की निजता के हनन से इसको जोड़कर देखते हैं
तस्वीर: Ng Han Guan/AP/dpa/picture alliance
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जांग के साथ हो रहे बर्ताव को बहुत से विशेषज्ञ चीन की सरकार के सूचनाओं पर नियंत्रण की कोशिशों के सिलसिले के रूप में देखते हैं. समाचार एजेंसी एपी ने हाल ही में एक खोजी रिपोर्ट छापी थी, जिसमें बताया गया था कि चीन कोविड वायरस के जन्म के बारे में हो रही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पड़ताल की कोशिशों को रोकने में लगा है. बहुत सी प्रयोगशालाएं बंद कर दी गई हैं. वैज्ञानिकों के परस्पर सहयोग को रोका गया है और चीनी विशेषज्ञों को देश से बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है.
जब मंगलवार को मीडिया ने जांग से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि उनके लिए बोलना "सुविधाजनक” नहीं है और कुछ लोग उनकी बातें सुन रहे हैं. इससे पहले सोमवार को उन्होंने अपने सहयोगी ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें लैब में नहीं घुसने दिया और उन्होंने लैब के बाहर ही रात बिताई.
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सूचनाओं पर नियंत्रण
जांग के घर जाने की कोशिश कर रहे एपी के एक रिपोर्टर को भी सुरक्षाकर्मियों ने परिसर के बाहर ही रोक दिया. चीन की प्रमुख स्वास्थ्य संस्था नेशनल हेल्थ कमिशन के एक कर्मचारी ने फोन पर बताया कि सभी सवाल शंघाई की सरकार से पूछे जाने चाहिए. शंघाई सरकार ने सवालों का जवाब नहीं दिया.
तीन साल से ठीक नहीं हुआ कोविड
अमेरिका के मसैचुसेट्स में रहने वाली गेन्या ग्रोंडिन को मार्च 2020 में कोविड हुआ था. यानी मास्क, लॉकडाउन और वैक्सीन से कहीं पहले.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
तीन साल से ठीक नहीं हुआ कोविड
ग्रोंडिन तीन साल बाद भी कोविड से पीड़ित हैं. वह ऐसे करीब साढ़े छह करोड़ लोगों में से एक हैं जिन्हें लॉन्ग कोविड हुआ है.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
200 लक्षण
200 लक्षण
विशेषज्ञों का कहना है कि अत्याधिक थकान, सोचने में दिक्कत, सिर दर्द, चक्कर आना, खून के थक्के बनना, सोने में दिक्कत आदि मिला कर लॉन्ग कोविड के कुल 200 लक्षण हैं.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
परेशान हैं ग्रोंडिन
44 वर्षीय गेन्या ग्रोंडिन कहती हैं कि उन्हें तो समझ ही नहीं आ रहा था. वह बताती हैं, “मैं बस अपने पति से कह रही थी कि कुछ तो गड़बड़ है.”
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
तबाह हुई जिंदगी
इस बीमारी के कारण ग्रोंडिन अब काम पर भी नहीं जा पातीं. वह कहती हैं कि यह बहुत बड़ा झटका था, जिसने उनकी जिंदगी तबाह कर दी है.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
महिलाओं को ज्यादा खतरा
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक पहले दो साल में महिलाओं को लॉन्ग कोविड होने की संभावना पुरुषों से दोगुनी थी और उनमें से 15 फीसदी को 12 महीने से ज्यादा समय तक लक्षण बने रहे.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
कोई जवाब नहीं
वैज्ञानिकों के पास अब भी लॉन्ग कोविड का कोई ठोस जवाब नहीं है और वे शोध ही कर रहे हैं कि कुछ लोगों को लॉन्ग कोविड क्यों हुआ.
तस्वीर: Brain Snyder/REUTERS
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जांग की मुश्किलें तब शुरू हुई थीं जब 5 जनवरी 2020 को उन्होंने नए वायरस का पता लगाया था. विभाग को भेजी गई एक ईमेल में उन्होंने चीनी अधिकारियों को इस वायरस के फैलने के बारे में चेताया था. तब उन्होंने वायरस के सीक्वेंस को सार्वजनिक नहीं किया था.
अगले ही दिन उनकी लैब को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया. तभी चीन ने दुनिया को बताया कि वूहान शहर में कई दर्जन लोगों को सांस की बीमारी के कारण इलाज दिया गया है. उसी बीमारी के मामले हांग कांग, दक्षिण कोरिया और ताइवान में भी सामने आने लगे. ये वही लोग थे जो उस दौरान वूहान गए थे.
तभी विदेशी वैज्ञानिकों को पता चला कि जांग और अन्य चीनी वैज्ञानिकों ने वायरस का पता लगा लिया है. उन्होंने चीन से सीक्वेंस जारी करने की मांग की. सरकारी इजाजत ना मिलने के बावजूद 11 जनवरी 2020 को जांग ने सीक्वेंस को प्रकाशित कर दिया. तब तक कोरोना महामारी कई देशों में पहुंच चुकी थी.
काम के बदले इनाम
वायरस का परीक्षण करने के लिए सीक्वेंस का पता होना जरूरी होता है. उसके बाद ही टेस्ट किट, वायरस को फैलने से रोकने के उपाय और वैक्सीन विकसित की जा सकती हैं. सीक्वेंस प्रकाशित होने के कुछ ही हफ्तों में यह वायरस पूरी दुनिया तक पहुंच गया और तीन महीने के भीतर तमाम देशों ने लॉकडाउन लगा दिया.
क्या O -ve ब्लड ग्रुप को कोरोना का खतरा कम
03:27
अपने काम के लिए जांग को बाद में पुरस्कार भी मिले लेकिन होम्स बताते हैं कि तभी से उनकी निगरानी बढ़ गई. उन्हें चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन में उनके पद से हटा दिया गया. उन्हें अन्य सहयोगियों के साथ काम करने से भी मना कर दिया गया.
होम्स बताते हैं, "जब से उन्होंने चीनी अधिकारियों को नजरअंदाज कर कोविड-19 वायरस का जीनोम सीक्वेंस प्रकाशित किया, तभी से उनके खिलाफ एक अभियान चल रहा है. इस पूरी प्रक्रिया से उन्हें तोड़ दिया गया है और मैं हैरान हूं कि वह अब भी काम करने की स्थिति में हैं.”