चीन में सरकारी मीडिया सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के ही नियंत्रण में रहा है, लेकिन अब शी जिनपिंग के अनिश्चित काल के लिए राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं के बाद मीडिया पर सरकारी शिकंजा कड़ा हो रहा है.
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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने घोषणा की है कि वह प्रसारकों और नियामकों पर सीधा नियंत्रण रखेगी और फिल्मों से लेकर टीवी, किताबों से लेकर रेडियो कार्यक्रम, सब पर उसकी कड़ी नजर होगी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि अधिकारियों और नागरिकों के "विचारों में एकरूपता" होनी चाहिए. इसी को लागू करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी मीडिया के जरिए प्रोपेगैंडा तेज करने का तरीका निकाला है. विश्लेषकों का कहना है कि मीडिया पर कड़े नियंत्रण के जरिए कम्युनिस्ट पार्टी अपने संदेश को घर घर पहुंचाना चाहती है. साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को भी चमकाने पर काम कर रही है.
हांगकांग की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में सेंटर ऑन चाइना'ज ट्रांसनेशनल रिलेशंस के निदेशक डेविड स्वाइग कहते हैं, "यह एक बड़ी कोशिश है ताकि सब लोग एक साथ सोचें." कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से घोषित योजना के मुताबिक, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, चाइना नेशनल रेडियो और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के साथ साथ उसकी विदेश प्रसारण शाखा चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क को मिलाकर एक प्रसारण संस्था बनाई जाएगी जिसके नाम का अनुवाद "वॉइस ऑफ चाइना" यानी चीन की आवाज होगा.
चीन का फेसबुक, यूट्यूब दुनिया से अलग है
दुनिया के बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चीन में काम नहीं करते. तो क्या यहां के लोग सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं करते. बिल्कुल करते हैं और खूब करते हैं. चीन में चलने वाले 10 बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ये रहे...
तस्वीर: meipai.com
वीचैट
यह एक संपूर्ण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, करीब करीब फेसबुक जैसा है.
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सीना वाइबो
इसे चीन में ट्विटर की तर्ज पर बनाया गया है.
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टेनसेंट क्यूक्यू
इंस्टेंट मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होता है.
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टूडू यूकू
यह चीन का यूट्यूब है.
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बाइडू तियेबा
सर्च इंजिन फोरम
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चिहू
चीन का क्वोरा
तस्वीर: www.zhihu.com
माइतुआन डियानपिंग
येल्प का चीनी संस्करण
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मोमो
चीन का टिंडर
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डोउबान
लाइफस्टाइल चर्चा के लिए फोरम
तस्वीर: douban.com
माइपाइ
चीन के लिए वीडियो इंस्टाग्राम
तस्वीर: meipai.com
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प्रेस और प्रिंट पब्लिकेशन, रेडियो, फिल्म और टेलीविजन की सरकारी नियामक संस्था को खत्म कर दिया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी और संसाधन कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल प्रोपेगैंडा विभाग को दे दिए जाएंगे. इसी विभाग के पास फिल्म उद्योग का नियंत्रण भी होगा जिसमें फिल्मों का आयात और निर्यात भी शामिल होगा. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ का कहना है कि नई मीडिया संस्था का काम मुख्य रूप से "पार्टी के प्रोपेगैंडा दिशानिर्देशों और नीतियों को लागू करना होगा".
कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक सरकारी विशेषज्ञ फेंग युए के हवाले से लिखा है कि इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन का प्रभाव सुधारने और विश्व मंच पर चीन की छवि को प्रोत्साहित करने के लिए सभी "संसाधन और शक्ति एक साथ आएंगे".
वहीं हांगकांग यूनिवर्सिटी में चाइना मीडिया प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर उसके संपादक डेविड बांडरुस्की लिखते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी का जो प्रोपेगैंडा विभाग पहले सिर्फ मोटामोटी दिशानिर्देश दिया करता था, अब मीडिया आउटपुट पर पूरी तरह उसका नियंत्रण हो गया है. वह कहते हैं, "इससे जो बात उभर कर सामने आती है वह है मीडिया और विचारधारा पर अधिक सख्त और अधिक केंद्रीकृत नियंत्रण."
इस तरह बढ़ा रहा है चीन अपना रुतबा
दुनिया में चीन का बढ़ता दखल किसी से छिपा नहीं है. देश ने अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए तमाम नीतियों को कई स्तर पर लागू किया है. विदेश नीति और कूटनीति के अलावा देश अब संस्कृति और चीनी मूल्यों का भी प्रसार कर रहा है.
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मेड इन चाइना
"मेड इन चाइना" पहले वस्तुओं पर लगा एक लेबल हुआ करता था लेकिन चीन ने दुनिया में अब इसे एक ब्रांड के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है. अब इस ब्रांड के जरिए देश न सिर्फ अपना कारोबार बढ़ा रहा है बल्कि चीनी संस्कृति और मूल्यों का प्रसार भी कर रहा है.
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सॉफ्ट पावर स्ट्रैटिजी
देश अपनी सॉफ्ट पावर स्ट्रैटिजी के तहत मुख्य रूप से संस्कृति पर जोर दे रहा है. इकॉनोमिक एंड पॉलिटिक्ल वीकली की एक रिपोर्ट मुताबिक साल 2004 से लेकर अब तक चीन ने दुनिया के 140 देशों में 500 कन्फ्यूशियस संस्थानों की स्थापना की. कन्फ्यूशियस चीन के एक बड़े सुधारक माने जाता हैं और इनकी शिक्षाओं को मानने वाले कन्फ्यूशियस धर्म का पालन करते हैं.
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भाषा का प्रभाव
चीन ने न सिर्फ देश की मंडारिन भाषा के लिए बल्कि मीडिया में भारी निवेश किया है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ने दुनिया के 40 स्थानों पर अपने समाचार ब्यूरो खोले हैं. इसके साथ ही इसने रिपोर्टर्स की संख्या को भी बढ़ाया है. चीन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय मीडिया सर्विस, चीन ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क को ऐसे पेश किया है कि वह अन्य वैश्विक सेवाओं मसलन बीबीसी, सीएनएन, अल जजीरा और डॉयचे वेले आदि से मुकाबला कर सकें.
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रेडियो का प्रसार
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन की सरकारी रेडियो कंपनी दुनिया के 14 देशों में किसी न किसी के साथ मिलकर करीब 33 रेडियो स्टेशन चला रही है. इनमें अमेरिका प्रमुख है. रॉयटर्स के मुताबिक ये स्टेशन चीन के नकारात्मक पक्ष पर कभी चर्चा नहीं करते.
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इंटरनेट और ई-कॉमर्स
चीन की सरकार अपनी ऑनलाइन पहुंच बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है. पिछले साल सरकारी मीडिया समूह ने अंग्रेजी की मुफ्त बेवसाइट को लॉन्च किया. ये बेवसाइट कई बार हल्की टिप्पणी करती है तो कभी कड़ी आलोचना भी करती है. वहीं चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा की लोकप्रियता भी दुनिया भर में बढ़ रही है.
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राष्ट्रपति शी हमेशा पार्टी के मुखपत्र के तौर पर सरकारी मीडिया की भूमिका पर जोर देते रहे हैं. 2016 में उन्होंने शिन्हुआ और अन्य मीडिया संस्थानों का दौरा किया और कहा कि इस तरह के मीडिया आउटलेट्स को अपना सरनेम 'पार्टी' रखना चाहिए.
चीन में सरकारी मीडिया पर ऐसे समय में नियंत्रण मजबूत किया जा रहा है जब चीन को साउथ चाइना सी में अपने पड़ोसियों के दावों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं विदेशों में उसका आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है. इसके अलावा चीन ने बेहद महत्वाकांक्षी "वन रोड वन बेल्ट" परियोजना शुरू की है जिसमें पूरी दुनिया को सड़क, जल और रेलमार्गों के जरिए जोड़ने की योजना है.
चीन ने हाल के सालों में विदेशों में अपनी मीडिया मौजूदगी को बढ़ाने पर बहुत पैसा खर्च किया है. चीन के सीसीटीवी ने वॉशिंगटन और केन्या के नैरोबी में ब्यूरो खोले हैं. चीन का अंग्रेजी अखबार चाइना डेली पैसा दे रहा है ताकि उसे अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ वितरित किया जाए.
इन सब कोशिशों के बावजूद दुनिया में चीन की छवि वैसी ही होगी जैसी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है, यह कहना जरा मुश्किल है. उसे बीबीसी और सीएनएन जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों से मुकाबला करना है जिनकी चीन पर रिपोर्टिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपेगैंडा की कलई खुल जाती है.
एके/एमजे (एपी)
2017 में ये रहीं एशिया की हलचल
साल 2017 में एक तरफ चीनी राष्ट्रपति ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत की तो उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण दुनिया की चिंता बढ़ाते रहे. रोंहिग्या संकट भी देखने को मिला. एक नजर 2017 में एशिया की हलचल पर.
बाय बाय टीटीपी
सत्ता संभालने के तीन दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपना एक चुनावी वादा पूरा करते हुए ट्रांस-पैसेफिक पार्टनरशिप मुक्त व्यापार समझौते से हाथ खींच लिया. एशिया के साथ कारोबार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए बराक ओबामा ने राष्ट्रपति रहते हुए यह डील की थी.
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तनातनी
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों के भीतर उत्तर कोरिया ने फरवरी में अपना 2017 का पहला मिसाइल परीक्षण किया. पूरे साल में उत्तर कोरिया ने कुल 20 मिसाइल परीक्षण किए, जिनमें अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल शामिल थीं. 2017 में उत्तर कोरिया ने अपना छठा परमाणु परीक्षण भी किया. इससे अमेरिका के साथ उसका वाकयुद्ध भी जोरों पर रहा.
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कुआलालम्पुर में हत्या
फरवरी में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के सौतेले भाई किम जोंग नाम की कुआलालम्पुर एयरपोर्ट पर रहस्यमयी परिस्थितियों में हत्या कर दी गई. वियतनाम और इंडोनेशिया की दो महिलाओं पर इस मामले में मुकदमा चल रहा है. हत्या के पीछे उत्तर कोरिया सरकार का हाथ होने का संदेह है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Kambayashi
राष्ट्रपति भवन से सीधे जेल में
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति से हटाई गईं पार्क ग्युएन हाई को फरवरी में भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और पद का दुरुपयोग करने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. उनके खिलाफ देश भर में भारी प्रदर्शन हुए जिनके चलते दिसंबर 2016 में उन्हें महाभियोग के जरिए पद से हटाया गया.
तस्वीर: Getty Images/J. Heon-Kyun
नया नेता
दक्षिण कोरिया में मई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मून जे इन ने भारी अंतर से जीत दर्ज की. उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ विवाद को बातचीत से हल करने पर जोर दिया. लेकिन वह उत्तर कोरिया की तरफ से लगातार मिसाइल परीक्षणों के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी समर्थन करते हैं.
तस्वीर: Reuters/Kim Hong-Ji
रहस्यमयी मौत
उत्तर कोरिया में डेढ़ साल तक हिरासत में रखे जाने के बाद अमेरिकी नागरिक ऑटो वार्मबियर की जून में वतन वापसी हुई. लेकिन उनकी हालत बेहद खराब थी और कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. यह साफ नहीं है कि अमेरिकी छात्र के साथ उत्तर कोरिया में क्या हुआ. ट्रंप ने उत्तर कोरिया पर वार्मबियर को यातना दिए जाने का आरोप लगाया.
13 जुलाई 2017 को चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेले विजेता लियू शिओबो का 61 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन हो गया. मौत से कुछ हफ्ते पहले उन्हें जेल से एक अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था. राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपों में वह 2009 से जेल में बंद थे. गंभीर बीमारी होने के बाजवूद चीनी अधिकारियों ने उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति नहीं दी.
तस्वीर: picture-alliance/AP
भारत के 14वें राष्ट्रपति
भारत में 25 जुलाई 2017 को रामनाथ कोविंद ने देश के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने प्रणव मुखर्जी का स्थान लिया. पेशे के वकील कोविंद का संबंध उत्तर प्रदेश के कानपुर से है. वह इससे पहले सत्ताधारी भारतीय पार्टी में कई अहम पदों पर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Dave
रोहिंग्या संकट
म्यांमार में सेना के अभियान और हिंसा के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश का रुख किया. नोबेल विजेता और म्यांमार की नेता आंग सान सूची को इस मुद्दे पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी. बांग्लादेश में यह शरणार्थी बेहद विकट परिस्थितियों में रह रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Z. Bensemra
मजबूत की ताकत
अक्टूबर में चीनी कांग्रेस पार्टी की अहम कांग्रेस हुई जिसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सत्ता पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली. कांग्रेस में अगले पांच साल के लिए उनके एक और कार्यकाल पर मुहर लगी और उनकी विचारधारा को चीनी संविधान में जगह दी गई. वह माओ के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता बन गए हैं.
तस्वीर: Getty Images/W.Zhao
मारावी में लड़ाई
फिलीपींस के दक्षिणी शहर मारावी में इस्लामिक स्टेट और फिलीपीनी सेना के बीच पांच महीनों तक चली लड़ाई अक्टूबर में खत्म हुई. देश के रक्षा मंत्री ने इस्लामी चरमपंथियों पर जीत का दावा किया. इस लड़ाई में कम से कम एक हजार लोग मारे गए जबकि लगभग पांच लाख बेघर हो गए.