चॉपस्टिक से खा रहे हैं तो न भूलें जापानी कायदे
१५ जुलाई २०२२जापान में "हाशी" के नाम से मशहूर चॉपस्टिक, करीब 25 सेंटीमीटर लंबे लकड़ी के दो साधारण से टुकड़े होते हैं- लेकिन उनकी वजह से लोगों में न सिर्फ बहुत सारी गलतफहमी बल्कि नाराजगी भी पैदा हो जाती है. माना जाता है कि चॉपस्टिक का पहलेपहल इस्तेमाल चीन में चिया राजवंश के काल में हुआ था- 470 साल की अवधि में, 1600 ईसा पूर्व तक. उसके बाद धीरे धीरे पूरे पूर्वी एशिया में उनका उपयोग होने लगा.
विद्वानों का मत है कि दुनिया तीन "सांस्कृतिक वृत्तों" मे बंटी है, हाथ और अंगुलियों से खाने वाली, कांटे-छुरी की मदद से खाने वाली या चॉपस्टिक से खाने वाली.
जापान में चॉपस्टिक की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो कारीगर, लकड़ी या बांस के उन जुड़वां टुकड़ों को एक कला का रूप देने लगे. लाख (लाह) में ढले एक से एक शानदार डिजाइन, धातु की बनीं या सीपियों से सजीं चॉपस्टिकें छा गईं. इन सजावटों के साथ ही साथ आए कायदे भी. अंगुलियों में उन्हें कैसे थामना चाहिए, उनका इस्तेमाल किस चीज में होना चाहिए- और सबसे महत्त्वपूर्ण- खाने की मेज पर आखिर किस चीज में उनका कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जापानी समाज में, आहार का समय बड़ी अहमियत रखता है.
आहार का ऐतिहासिक सम्मान
जापान के सरकारी टेलीविजन एनएचके में "बेंटो एक्सपो" नाम के कुकिंग कार्यक्रम के होस्ट और "अल्टीमेट बेन्टो" किताब के सह-लेखक मार्क माटसुमोटो कहते हैं, "जापान ऐतिहासिक रूप से एक खेतिहर समाज रहा है. लिहाजा ज्यादातर लोग, जीविका के लिए चावल और सब्जियां ही उगाते रहे हैं."
वो कहते हैं, "खाद्य उत्पादक के तौर पर जापानी लोगों के पूर्वजों का खाने को लेकर एक सम्मान था. जापान के पारिवारिक ढांचों में कन्फ्युशियस के आदर्शों का बोलबाला है, इसीलिए पूर्वजों के प्रति सम्मान का एक मजबूत भाव भी है. आज भी उन परिवारों के लिए ये असामान्य नहीं है – जिनके यहां कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं. ऐसे घरों मे लोग अपनी रोजाना की जिंदगियां अलग अलग बिताएंगे लेकिन खाने के समय सारा परिवार एक साथ एक जगह आ जाएगा."
माटसुमोटो कहते हैं कि "ये एक पश्चिमी सोच है कि छुरी, कांटा और चम्मच, खाने के बेहतर औजार हैं. अगर आप उपयोगिता की दलील देते हैं, तो हाथ से खाने के सिवा आपके पास कोई और आसान तरीका नहीं है, और दुनिया के कई देशों की संस्कृतियों में लोग ऐसे ही खाते हैं. बर्तन हमारे हाथ और अंगुलियों के विस्तार की तरह सामने आए थे, तो हम उन्हें गंदा नहीं कर सकते थे."
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "अपनी अंगुलियों के एक विस्तार की तरह, मैं चॉपस्टिक्स की बजाय एक और आसान औजार को इस्तेमाल करने के बारे में सोच सकता हूं. जाहिर है, किसी बर्तन की तरह, चॉपस्टिक की अपनी खामियां भी हैं- जैसे कि सूप के मामले में- लेकिन जापान में जिस किस्म का खाना खाया जाता है, मैं नहीं समझता कि कांटे या चम्मच कभी चॉपस्टिक की जगह ले पाएंगे. दरअसल मैं देखता हूं कि किचन में रसोइये, चिमटियों या संडासियो के विकल्प के रूप में चॉपस्टिकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं क्योंकि वे ज्यादा सुविधाजनक होती हैं."
चॉपस्टिक उपयोग से जुड़ा आचरण
माटसुमोटो कहते हैं कि पश्चिम में जैसे खाने की टेबल पर चटखारे लेकर खाना, अशिष्ट माना जाता है, तो उसी तरह चॉपस्टिक के साथ खाने के लिए सही आचरण की जरूरत होती है. लेकिन ऐसे आचरण बहुत सारे, बहुत व्यापक और किसी नौसिखिए के लिए बहुत भारी हैं. "आगेबाशी" यानी अपनी चॉपस्टिक को मुंह की ऊंचाई से ऊपर ले जाना, खराब तरीका माना जाता है. "उकेबाशी" यानी चॉपस्टिक को थामे हुए, दूसरी बार खाना लेने के लिए कटोरे को आगे बढ़ाने को भी अशिष्ट माना जाता है, "ओतोशीबाशी" का मतलब है चॉपस्टिक गिरा देना और "ओशिकोमिबाशी" का आशय सीधे बर्तन से खाना गटक लेने से है.
इस व्यापक सूची में बहुत सी और गलतियां भी शामिल हैं. जैसे "काकीबाशी" यानी व्यंजन को कोने से मुंह से लगाना और चॉपस्टिक से अंदर ठेलना. या फिर "कामीबाशी" यानी चॉपस्टिक को चबा डालना. एक खराब आदत में शुमार है "कोसुरीबाशी" यानी किरचियों को हटाने के लिए डिस्पोजेबल चॉपस्टिक को रगड़ना. इसे तुच्छता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इससे पता चलता है कि मेजबान ने घटिया क्वालिटी के बर्तनों में खाना परोसा है.
चॉपस्टिक के इस्तेमाल से जुड़े कम से कम 40 ऐसे व्यवहार हैं जिनसे परहेज किया जाना चाहिए लेकिन दो तो ऐसे हैं जो खासतौर पर नाराजगी मोल लेने वाले हैं. "तातेबाशी" चावल के कटोरो में चॉपस्टिक को सीधे खड़ा कर देने की गलती है. ये तरीका वो है जिसमें व्यंजन को एक बौद्ध जनाजे में चढ़ावे की तरह पेश किया जाता है. उतना ही वर्जित है "आवसेबाशी" यानी खाने को चॉपस्टिक के एक जोड़े से अन्य व्यक्ति की इस्तेमाल की जा रही चॉपस्टिक के हवाले करना. ये रिवायत, अंतिम संस्कार का हिस्सा है जिसमे परिवार के सदस्य हड्डी उठाते हैं और मृतक के प्रति बतौर सम्मान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बढ़ाते जाते हैं.
टीवी कुकिंग प्रोग्राम और अल्टीमेंट बेन्टो किताब में माटसुमोटो के साथ सहयोग करने वाली शेफ और क्युटियोबेंटो ब्लॉग की लेखिका माकी ओगावा कहती हैं, "खाना इस तरह खाएं या उठाएं कि दूसरे को बुरा न लगे, ये बहुत जरूरी है. "
कुदरत की नेमत है खाना
वो कहती हैं, "मेरे मातापिता ने मुझे बचपन में चॉपस्टिक व्यवहार सिखाए थे और मैंने वे कायदे अपने बच्चों को सिखा दिए." वो कहती हैं कि "जापानी लोग कुदरत की इज्जत करते हैं और उसकी नेमतों के अहसानमंद हैं." वो बताती हैं कि खाना शुरू करने से पहले "इताडाकीमासु" यानी "मैंने विनम्रता से ये ग्रहण किया" कहना और भोजन के अंत में "गोचिसाउसामा" यानी "खाना खिलाने का शुक्रिया ये तो पूरी दावत थी" कहना, भोजन, प्रकृति और खाना पकाने वाले व्यक्ति के प्रति आभार व्यक्त करना माना जाता है.
ओगावा का कहना है, "साथ खाना खाने से पारिवारिक संबंध मजबूत बनता है. दिन भर की घटनाओं के बारे मे बात करने से बच्चों को आहार संबंधी व्यवहार सीखने का अच्छा अवसर मिलता है जैसे कि चॉपस्टिक कैसे पकड़नी है और खाना कैसे लेना है."
चॉपस्टिक को इस्तेमाल करने के शऊर में किसी को महारथ हासिल हो जाए तो मेजबानों को वो बात पसंद आती है. ओगावा के मुताबिक इसके साथ ही समाधान भी उपलब्ध हैं. वो कहती हैं, "मैं नहीं समझती कि जापानी लोग वाकई इस बात की परवाह करते हैं कि विदेशियों को चॉपस्टिक ठीक से पकड़ना या चलाना नहीं आता. हम जापानी भी तो छुरी-कांटा इस्तेमाल करने में कच्चे हो सकते हैं. और अगर कोई बहुत करीने से चॉपस्टिक इस्तेमाल नहीं कर पाते तो खाने के लिए वे बेशक कांटा मांग सकते हैं."