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समाजभारत

क्या हो रहा है यूपी में धर्मांतरण विरोधी कानून की आड़ में

समीरात्मज मिश्र
२१ फ़रवरी २०२३

उत्तर प्रदेश में ईसाई संगठनों ने आरोप लगाया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून की आड़ में उन्हें फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा है और उन पर केस लादे जा रहे हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है.

डीडब्ल्यू से बातचीत में जितेंद्र सिंह कहते हैं, "लगातार हो रही घटनाओं से ईसाई समुदाय के लोग डरे-सहमे हैं."
डीडब्ल्यू से बातचीत में जितेंद्र सिंह कहते हैं, "लगातार हो रही घटनाओं से ईसाई समुदाय के लोग डरे-सहमे हैं." तस्वीर: Jitendra Singh

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत हाल के दिनों में कई दर्जन पादरियों समेत सौ से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो चुके हैं. राज्य में ईसाई समुदाय के नेताओं ने स्थानीय लोगों की शिकायतों पर तुरंत केस दर्ज करने पर नाराजगी जताई है और इसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री से अपील की है.

यूपी के कई जिलों के गांवों और कस्बों में आए दिन ईसाइयों के चर्चों और प्रार्थना स्थलों पर धर्मांतरण की खबरें आती रहती हैं. ऐसे कई मामलों में हिन्दू संगठनों के हंगामे के बाद पुलिस केस भी दर्ज करती है लेकिन अब तक किसी भी मामले में जबरन या प्रलोभन के आधार पर धर्मांतरण करने की बात साबित नहीं हुई है.

ताजा मामलों ने पकड़ा तूल

हाल ही में जौनपुर जिले के मुरादपुर कोटिला गांव में भी ऐसे ही एक मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. हिन्दू संगठनों की शिकायत पर यहां पुलिस की टीम ने छापा मारा था. इससे पहले फतेहपुर, गोरखपुर, बरेली, कानपुर देहात समेत कई और जिलों में इस तरह की कार्रवाइयां हो चुकी हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य में पादरी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कहते हैं कि पिछले छह महीनों में कई पादरियों पर भी धर्मांतरण के मामले दर्ज किए गए हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में जितेंद्र सिंह कहते हैं, "लगातार हो रही घटनाओं से ईसाई समुदाय के लोग डरे-सहमे हैं. स्थिति यह हो गई है कि हम लोग प्रार्थना भी नहीं कर पा रहे हैं."

वे बताते हैं कि "दस-बीस लोग पहुंचकर नारे लगाने लगते हैं, धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाने लगते हैं और फिर पुलिस उनके दबाव में छापेमारी करके हमारे लोगों को गिरफ्तार कर लेती है. इन सब कारणों से कई जिलों में कुछ चर्चों में ताला लग गया है, प्रार्थनाएं बंद हो गई हैं. सामूहिक प्रार्थना समेत चर्च की कई गतिविधियां प्रभावित हुई हैं.”

लालच देकर धर्म बदलवाने के आरोप

जौनपुर की घटना का जिक्र करते हुए जितेंद्र सिंह कहते हैं कि 16 लोगों के खिलाफ धर्म परिवर्तन के लिए लालच देने के आरोप में केस दर्ज किया गया जिनमें जिले के एक प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूल के प्रबंध निदेशक भी शामिल हैं. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. हालांकि स्थानीय थाने के इंस्पेक्टर संतोष पांडेय कहते हैं कि गिरफ्तार किए गए लोगों में स्कूल के एमडी शामिल नहीं हैं. इंस्पेक्टर के मुताबिक, छापेमारी के दौरान कई तरह के धार्मिक साहित्य और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए थे.

वहीं जौनपुर में कथित धर्मांतरण की शिकायत करने वाले हिंदू गौरव महासभा के अध्यक्ष प्रमोद शर्मा कहते हैं कि उन्होंने मुरादपुर कोटिला गांव में फादर दिनेश कुमार मौर्य के घर पर भारी भीड़ जमा होने की शिकायत पुलिस से की थी. पुलिस के गांव पहुंचते ही लोग वहां से भागने लगे. प्रमोद शर्मा कहते हैं कि ऐसा पहले भी हो चुका है और प्रार्थना की आड़ में गरीब लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है और इसके लिए उन्हें कई तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं.

तीन अलग-अलग मामले ऐसे लोगों ने दर्ज कराए थे जिन्होंने पहले ईसाई धर्म अपनाया था लेकिन बाद में आरोप लगाने लगे कि उन्हें लालच देकर जबरन ईसाई बनाया गया.तस्वीर: Jitendra Singh

पिछले दिनों यूपी के फतेहपुर जिले में भी धर्मांतरण के आरोप में साठ से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. हिन्दू संगठनों का आरोप है कि कई गांवों में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया गया है. इसी मामले में केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का भी बयान आया था कि उनकी पहल से कई परिवारों की घर वापसी कराई जा रही है जिन्होंने किन्हीं कारणों से धर्म परिवर्तन कर लिया था.

यहां तीन अलग-अलग मामले ऐसे लोगों ने दर्ज कराए थे जिन्होंने पहले ईसाई धर्म अपनाया था लेकिन बाद में आरोप लगाने लगे कि उन्हें प्रलोभन देकर जबरन ईसाई बनाया गया. हालांकि फतेहपुर में ईसाई समुदाय के लोगों ने भी धर्मांतरण की आड़ में परेशान करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

चर्चों में ताला लटकाने की नौबत

जितेंद्र सिंह कहते हैं, "पिछले हफ्ते करीब सौ लोग मेरे चर्च के सामने आकर नारे लगाने लगे और कहने लगे कि यहां धर्म परिवर्तन हो रहा है. हमारे यहां चर्च में स्कूल भी चलता है, बच्चे पढ़ने आते हैं और वो बच्चे क्रिश्चियंस के ही हैं. पुलिस ने जांच की लेकिन कुछ नहीं मिला. इस मामले में तो पुलिस ने हमारी मदद की लेकिन हमारी शिकायतों पर केस दर्ज नहीं होते. कई जगह हम लोगों ने केस दर्ज कराए हैं. जौनपुर में एक प्रधान के खिलाफ केस दर्ज हुआ लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.”

जितेंद्र सिंह बताते हैं कि कानपुर देहात जिले के घाटमपुर में दो चर्चों में ताला लगा हुआ है. उनके मुताबिक ऐसे कई चर्च हैं जो डर के मारे बंद कर दिए गए हैं और कुछ जगहों पर जांच के नाम पर प्रशासन ने ताला लगवा दिया है.

हालांकि ईसाई समुदाय के इन आरोपों पर पुलिस का कहना है कि केस भले ही दर्ज हो रहे हों लेकिन गिरफ्तारी या आगे की कार्रवाई तभी होती है जब धर्मांतरण के खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलते हैं. राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार कहते हैं, "धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत कार्रवाई केवल साक्ष्य के ही आधार पर की जाती है. पुलिस केवल तभी कार्रवाई करती है जब पीड़ित व्यक्ति को किसी तरह का लालच दिया जाता है या धमकी दी जाती है.”

यूपी में साल 2020 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया था जिसके तहत गैर-कानूनी धर्म परिवर्तन को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बना दिया गया है. इसके मुताबिक, जबरन या फिर किसी तरह का लालच देते हुए या फिर छलपूर्वक धर्मपरिवर्तन कराना गैर-कानूनी होगा.

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