कर्नाटक में विवादित धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर बहस के बीच फिर से राज्य के एक गिरजाघर में तोड़फोड़ हुई है. पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है.
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चिक्कबल्लापुर स्थित जिस चर्च में तोड़फोड़ हुई है वह करीब 160 साल पुराना है. समाचार चैनल एनडीटीवी के मुताबिक 160 साल पुराने सेंट जोसेफ चर्च में सेंट एंथोनी की टूटी हुई मूर्ति मिली है. आगे की जांच के लिए पुलिस मूर्ति अपने साथ ले गई. पुलिस ने इस तोड़फोड़ के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज की है.
यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जब कुछ ही दिनों पहले दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों पर कोलार में ईसाइयों से जुड़ी धार्मिक किताब को जलाने का आरोप लगा था. कर्नाटक में चर्चों के खिलाफ दक्षिणपंथी संगठन जबरन धर्म बदलने का आरोप लगाते रहे हैं.
चर्च के पादरी जोसेफ एंथोनी डेनियल ने मीडिया को बताया कि राज्य की राजधानी बेंगलुरु से करीब 65 किलोमीटर दूर सरायपाल्या में चर्च सुबह करीब साढ़े पांच बजे क्षतिग्रस्त हुआ. पादरी के साथ रहने वाले ने सबसे पहले क्षति देखी और पादरी को मौके पर बुलाया. पादरी ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
धर्मांतरण विरोधी बिल पर बवाल
कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक चर्चा के लिए रखा गया. गुरुवार सुबह विधानसभा में इस विधेयक को लेकर काफी हंगामा हुआ. विपक्षी दल कांग्रेस इस विधेयक का भारी विरोध कर रही है. पहले यह विधेयक बुधवार शाम विधानसभा को चर्चा के लिए पेश किया जाना था लेकिन इसे एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया.
कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और वहां की कैबिनेट ने 20 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई इस बिल के समर्थन में कह रहे हैं कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक राज्य में "लालच के माध्यम से सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बदलने के प्रयासों" को चुनौती देने के लिए जरूरी था.
"लव जिहाद" पर राज्यों में सख्त से सख्त कानून बनाने की होड़!
अंतरधार्मिक शादियों के खिलाफ बीजेपी शासित राज्य सख्त से सख्त कानून बना रही हैं. उनका कहना है कि लड़की पर जबरन दबाव डालकर शादी कर ली जाती है और फिर उसका धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है.
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"लव जिहाद" क्या वाकई होता है?
4 फरवरी 2020 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा को बताया कि "लव जिहाद" शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है. साथ ही उन्होंने संसद को बताया कि इससे जुड़ा कोई भी मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया. रेड्डी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25 किसी भी धर्म को स्वीकारने, उसका पालन करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है.
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बीजेपी के एजेंडे पर "लव जिहाद"!
भले ही केंद्र सरकार कहे कि "लव जिहाद" कानून में परिभाषित नहीं है लेकिन बीजेपी के नेताओं, मंत्रियों और सरकारों ने अंतरधार्मिक प्रेम और शादियों के खिलाफ पिछले कुछ समय में कड़ा रुख अपनाया है. नेता बयान दे रहे हैं और उन पर समाज में नफरत का माहौल बनाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं बीजेपी शासित राज्य सरकारें जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून बना रही हैं.
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यूपी में कितना सख्त है कानून?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू हुए एक महीना पूरा हो चुका है. 27 नवंबर 2020 को राज्यपाल ने "विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी थी जिसके बाद यह कानून बन गया. इस कानून में कड़े प्रावधान बनाए गए हैं. धर्म परिवर्तन के साथ अंतरधार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नहीं तोड़ा है, लड़की का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नहीं माना जाएगा.
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यूपी में एक महीने में क्या हुआ?
यूपी में धर्मांतरण रोधी कानून को लागू होने के एक महीने के भीतर पुलिस ने प्रदेश में इसके तहत 14 मामले दर्ज किए. पुलिस ने 51 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें 49 लोग जेल में बंद किए गए. इन मामलों में 13 मामले कथित तौर पर हिंदू महिलाओं से जुड़े हैं और आरोप लगाया कि उन पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया गया. सिर्फ दो ही मामले में महिला खुद शिकायतकर्ता है.
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हाईकोर्ट का सहारा
यूपी में लागू कानून के आलोचकों का कहना है कि यह व्यक्तिगत आजादी, निजता और मानवीय गरिमा जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. इस कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह वाले युवक युवती को साथ रहने की इजाजत दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था, "महिला अपने पति के साथ रहना चाहती है और वह किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के बिना रहने को आजाद है."
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मध्य प्रदेश में भी "लव जिहाद"?
मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को "धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020" को मंजूरी दी है. प्रदेश में जो कानून बनने जा रहा है उसके मुताबिक जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा.
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किस राज्य का कानून ज्यादा सख्त?
अध्यादेश के मुताबिक मध्य प्रदेश में प्रलोभन, धमकी, शादी या किसी अन्य कपट पूर्ण तरीके द्वारा धर्म परिवर्तन कराने वाले या फिर उसकी कोशिश या साजिश करने वाले को पांच साल के कारावास के दंड और 25,000 रुपये से कम जुर्माना नहीं होगा. वहीं यूपी ने इसके लिए 15,000 के जुर्माने का प्रावधान रखा है लेकिन वहां भी सजा का प्रावधान अधिकतम पांच साल तक है.
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हिमाचल प्रदेश
प्रदेश में 2007 से ही जबरन या फिर छल-कपट से धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लागू है. कुछ दिनों पहले धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था. इसके तहत किसी भी शख्स को धर्म परिवर्तन करने से पहले प्रशासन को इसकी सूचना देनी होगी. ऐसा ही कानून जब 2012 में कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी तब हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों के हनन वाला बताया था.
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कठोर सजा का प्रावधान
धर्मांतरण विरोधी विधेयक में सजा की अवधि तीन साल से बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की रकम 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख और 5 लाख तक करने का प्रावधान है. इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैर-कानूनी परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति दूसरा धर्म अपनाना चाहता है तो उसे 30 दिन पहले घोषणापत्र देना होगा.
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विधानसभा में चर्चा के दौरान कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह कानून गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण को रोकेगा और यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. वहीं कांग्रेस ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक विरोधी बताया है.
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार विधेयक, 2021 या धर्मांतरण विरोधी विधेयक के खिलाफ बुधवार को कम से कम 40 सामाजिक-राजनीतिक संगठनों के सैकड़ों सदस्यों ने राज्य सरकार के खिलाफ बेंगलुरू में एक विरोध मार्च निकाला था. ईसाई धर्म से जुड़े लोग इस विधेयक और हाल के दिनों में चर्चों पर हो रहे हमले को लेकर काफी चिंतित हैं.
भारत के इन राज्यों में दूसरे धर्मों के मुकाबले कम है हिंदुओं की आबादी
भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी. इनमें सबसे ज्यादा 79.80 प्रतिशत हिंदू हैं लेकिन कई ऐसे राज्य हैं जहां हिंदुओं की संख्या अन्य धर्मों की आबादी की तुलना में कम है.
जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत मुस्लिमों की आबादी है. हिंदुओं की संख्या 28 प्रतिशत है. जम्मू के हिस्से में हिंदू बहुसंख्यक हैं वहीं कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. जम्मू कश्मीर को अब एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है.
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मेघालय
मेघों का घर माने जाने वाले भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में 75 प्रतिशत ईसाई धर्म को मानने वाले हैं. यहां दूसरे स्थान पर हिंदू हैं जिनकी आबादी 12 प्रतिशत है.
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मिजोरम
मिजोरम में 87 प्रतिशत जनसंख्या ईसाइयों की है. यहां के सभी जिले आइजोल, लुंगलेई, चम्फाई, लॉंग्ट्टलाई, ममित, कोलासिब, सेर्चिप और साहा में ईसाई बहुसंख्यक हैं.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत आबादी ईसाईयों की है. दूसरे स्थान पर 29 प्रतिशत हिंदू हैं. यहां बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या करब 12 प्रतिशत है.
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पंजाब
पंजाब में सबसे ज्यादा 58 प्रतिशत सिख धर्म को मानने वाले लोग हैं. यहां करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं. राज्य के अमृतसर में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर है.
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नागालैंड
भारत के उत्तरपूर्वी राज्य नागालैंड में ईसाई बहुसंख्यक हैं. इनकी आबादी करीब 88 प्रतिशत है. हिंदू यहां मात्र 9 प्रतिशत हैं. राजधानी कोहिमा सहित सभी 11 जिलों में ईसाई बहुसंख्यक हैं.
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लक्षद्वीप
केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में सबसे अधिक 96 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है. हिंदुओं की आबादी करीब 3 प्रतिशत है. सोर्स- (https://www.census2011.co.in)
रिपोर्ट- रवि रंजन