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ईसाई बहुल राज्य में आयुष्मान केंद्र को 'मंदिर' कहने का विरोध

प्रभाकर मणि तिवारी
२८ जून २०२४

अंग्रेजी के मशहूर कवि और नाटककार विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है? अगर हम गुलाब को किसी दूसरे नाम से भी बुलाएं तो वह सुगंध ही देगा. लेकिन पूर्वोत्तर के दो ईसाई बहुल राज्यों में नाम पर ही विवाद हो रहा है.

केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2023 में भारतभर में फैले 1.60 लाख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलने का फैसला किया था
केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2023 में भारतभर में फैले 1.60 लाख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलने का फैसला किया थातस्वीर: DW

पूर्वोत्तर के इन राज्यों में केंद्र सरकार के भारत आयुष्मान केंद्र का नाम बदलने पर आम लोगों में नाराजगी बढ़ रही है. यही वजह है कि मिजोरम और नागालैंड ने स्थानीय आबादी और चर्च की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 'आयुष्मान भारत केंद्रों' के नाम बदल कर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' नहीं करने का अनुरोध किया है. दोनों राज्यों ने केंद्र को इस बारे में पत्र लिखा है.

क्या है मामला?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते साल देश भर में फैले 1.60 लाख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलने का फैसला किया था. इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अब 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' कहा जाता है. इसकी टैगलाइन है 'आरोग्यम परमम धनम' यानी स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है. 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एल. एस. चांगशान ने बीते साल नवंबर में तमाम राज्यों को पत्र के जरिए इस फैसले की सूचना दी थी. केंद्र ने अपनी वेबसाइट में जरूरी बदलाव भी कर दिए थे. उस समय इस मुद्दे का कहीं ज्यादा प्रचार नहीं किया गया था. उसके बाद इस साल जनवरी में मिजोरम ने राज्य में यह बदलाव नहीं करने की अपील की थी. राज्य के प्रमुख सचिव ई. ए. रू. आतकिमी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा था कि मौजूदा 'आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर' के नाम बदल कर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' रखने के निर्देश पर राज्य में कुछ चिंताएं हैं. मिजोरम की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी ईसाई समुदाय की है. लेकिन केंद्र का नाम बदल कर उसमें मंदिर जोड़ने से आम लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं. इसलिए मिजोरम में यह कवायद रोक दी जानी चाहिए.

लेकिन केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर राज्य सरकार ने फरवरी और मार्च में भी पत्र भेज कर यही अनुरोध दोहराया था.

पहले भी उठी है मांग

बीते मार्च में इलाके के एक अन्य ईसाई-बहुल राज्य नागालैंड ने भी केंद्र को पत्र भेज कर यही अनुरोध किया था. राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण सचिव वी. केजो डीडब्ल्यू से कहते हैं, "स्वास्थ्य केंद्रों के नाम में मंदिर जोड़ने से राज्य के ईसाई समुदाय की भावनाएं आहत होने की आशंका है. चर्च और सामाजिक संगठन पहले से ही इस पर आपत्ति जता रहे हैं. ऐसे में राज्य को नाम बदलने से छूट दी जानी चाहिए."

एक सवाल पर केजो बताते हैं, "केंद्र की ओर से अब तक इस मामले में कोई जवाब नहीं मिला है. लेकिन हम राज्य में इन स्वास्थ्य केंद्रों के पुराने नाम का ही इस्तेमाल कर रहे हैं."

मिजोरम स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि केंद्र ने अब तक राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया है.

बीती नौ फरवरी को तत्कालीन स्वास्थ्य व परिवार कल्याण कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार ने स्वस्थ भारत का सपना साकार करने के लिए 'आरोग्यम परमम धनम' की टैगलाइन के साथ देशभर में फैले आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदल कर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने का फैसला किया है.

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क्या खास परिस्थियां हैं इन दो राज्यों में

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों के ईसाई-बहुल होने के कारण यहां रहन-सहन, खानपान और रीति-रिवाज देश के बाकी राज्यों के मुकाबले काफी अलग हैं. उनके मुताबिक, नाम पर विवाद खड़ा करने की जगह इन स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सेवाएं मुहैया कराने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

नागालैंड की राजधानी कोहिमा में रहने वाले एक विश्लेषक एल. के. चिशी कहते हैं, "नाम बदलने और खासकर इसमें मंदिर शब्द जोड़ने पर चर्च और ईसाई संगठनों के लोग पहले से ही आपत्ति जताते रहे हैं. इसलिए इस मुद्दे पर बेवजह विवाद बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं हैं. इन दोनों राज्यों में पहले से ही कई समस्याएं हैं.केंद्र सरकार को उन पर ध्यान देना चाहिए"

वो कहते हैं कि नागालैंड में उग्रवाद की दशकों पुरानी समस्या हो या फिर मिजोरम में सीमा पार म्यांमार और बांग्लादेश के हजारों शरणार्थियों का मुद्दा, पहले इन ज्वलंत मुद्दों के समाधान की दिशा में ठोस पहल की जानी चाहिए. महज 'मंदिर' शब्द के कारण कोई नई समस्या पैदा करना न तो केंद्र के हित में होगा और न ही राज्य सरकार के.

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