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जलवायु परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्थाओं को अरबों का नुकसान

२९ नवम्बर २०२३

मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से विश्व अर्थव्यवस्था को अरबों का नुकसान हो रहा है. विकासशील देश सबसे अधिक प्रभावित हैं.

Dürre in Syrien
तस्वीर: Rami Alsayed/NurPhoto/picture alliance

जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र का शीर्ष सम्मेलन कॉप 28 दुबई में गुरुवार से शुरू हो रहा है. इस सम्मेलन से ठीक पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से दुनिया की अर्थव्यवस्था को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है और विकासशील देश सबसे अधिक प्रभावित हैं.

वैश्विक तापमान जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है और जैसे-जैसे दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण बदल रहा है, वैसे-वैसे कूटनीतिक गहमा-गहमी भी बढ़ रही है.

अमेरिका में डेलावेयर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 'मानव-जनित' जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने पिछले साल वैश्विक आर्थिक उत्पादन में 6.3 प्रतिशत की कटौती की है.

यह अनुमान दुनिया की पूरी आबादी को ध्यान में रखकर लगाया गया है. ये आंकड़े जलवायु परिवर्तन के दोनों प्रत्यक्ष परिणामों को दर्शाते हैं - जैसे कि कृषि और विनिर्माण में व्यवधान और उच्च गर्मी से उत्पादकता में कमी के साथ ही वैश्विक व्यापार और निवेश पर प्रभाव.

वैश्विक आर्थिक उत्पादन पर असर

शोध के मुख्य लेखक जेम्स राइजिंग के मुताबिक, "जलवायु परिवर्तन से दुनिया को खरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है और इसका ज्यादातर बोझ गरीब देशों पर पड़ रहा है."

उन्होंने आगे कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी उन चुनौतियों पर प्रकाश डाल सकती है जिनका कई देश पहले से ही सामना कर रहे हैं और उन्हें संबोधित करने के लिए तत्काल मदद की जरूरत है."

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अगर औसत व्यक्ति पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखा जाता है, तो 2022 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जलवायु परिवर्तन के कारण 1.8 प्रतिशत या लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा.

इस रिपोर्ट के लेखकों ने एक बयान में कहा, "इन दोनों आंकड़ों के बीच का अंतर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के असमान वितरण को भी दर्शाता है. ये विशेष रूप से कम आय वाले देशों और उच्च जनसंख्या व कम जीडीपी वाले क्षेत्रों में दिखाई देते हैं."

कमजोर देशों पर ज्यादा असर

सबसे कम विकसित देशों को प्रति जनसंख्या सकल घरेलू उत्पाद में 8.3 प्रतिशत की अधिक हानि हुई. जिसमें दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अफ्रीका के देश विशेष रूप से प्रभावित हुए. इन क्षेत्रों के देशों को क्रमशः 14.1 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान हुआ.

दूसरी ओर कुछ विकसित देशों को लाभ हुआ है, जैसे यूरोप में पिछले साल गर्म सर्दियों के कारण सकल घरेलू उत्पाद में लगभग पांच प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

हालांकि रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ऐसे लाभ अस्थायी हो सकते हैं, क्योंकि बहुत गर्म गर्मी हल्की सर्दियों के सकारात्मक प्रभावों को खत्म कर सकती है.

पिछले साल मिस्र में कॉप 27 वार्ता में सभी देश कमजोर देशों को जलवायु आपदाओं और चरम मौसम के "नुकसान" से निपटने में मदद करने के लिए एक कोष स्थापित करने पर सहमत हुए थे.

इस बार दुबई में कॉप 28 वार्ता में इस विषय को मुख्य महत्व दिया जाएगा कि कौन सा देश इस फंड में कितना पैसा देने को तैयार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 30 वर्षों में निम्न और मध्यम आय वाले देशों की पूंजी और जीडीपी में कुल 21 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है, जो 2023 में विकासशील दुनिया की कुल जीडीपी का आधा है.

एए/सीके (एएफपी)

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