चीन में प्राचीन बौद्ध म्यूरलों को जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई अभूतपूर्व बारिश से खतरा पैदा हो गया है. यह यूनेस्को सूचीबद्ध विश्व धरोहर स्थल हैं जहां की गुफाओं में चौथी शताब्दी के मठ पहले से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.
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यह स्थल उत्तर पश्चिमी चीन के गांसु प्रांत में स्थित हैं. पर्यावरण समूह ग्रीनपीस ने कहा है कि इस इलाके में हुई चरम बारिश के पानी और बढ़ती आर्द्रता की वजह से इन गुफाओं में बने प्राचीन गुफा चित्र क्षतिग्रस्त हो गए हैं. कुछ गुफाएं तो ध्वस्त ही हो गई हैं.
ग्रीनपीस ईस्ट एशिया के बीजिंग दफ्तर में वरिष्ठ शोधकर्ता ली शाओ ने बताया, "आर्द्रता का स्तर अचानक काफी बढ़ जाना, अचानक बाढ़ आ जाना और गुफाओं का धंसना, यह सब अभी से हो रहा है."
चरम बारिश ने किया नुकसान
ग्रीनपीस के मुताबिक गांसु में सन 2000 के मुकाबले बारिश का कुल स्तर तो बढ़ा है लेकिन बारिश के दिनों में कमी आई है. यानी कम दिनों में ज्यादा बारिश हो रही है. इस प्रांत में तापमान भी वैश्विक औसत के मुकाबले ज्यादा बढ़ा है.
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चीन में इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक धरोहर का एक सर्वेक्षण चल रहा है, लेकिन ली ने चेतावनी दी कि मुमकिन है कि जब तक यह सर्वेक्षण पूरा होगा तब तक देश के कुछ खजाने हमेशा के लिए गायब हो चुके होंगे.
ली ने बताया, "हमने जो स्थल देखे उनमें चीन की कुछ सबसे अच्छी तरह वित्त-पोषित और ऐसे सांस्कृतिक धरोहर स्थल शामिल हैं जहां अच्छी संख्या में कर्मचारी भी काम करते हैं. पूरे देश में तो सैकड़ों ऐसे स्थल भी हैं जो इनसे कम वित्त-पोषित हैं और जिनका इतना अध्ययन भी नहीं किया गया है. यह स्थल भी इन्हीं खतरों का सामना कर रहे हैं."
खो गई धरोहर
गांसु एकलौता प्रांत नहीं है जहां इस तरह का खतरा है. पिछले महीने बीजिंग में सक्रिय पर्यावरण समूह 'फ्रेंड्स ऑफ नेचर' ने कहा कि आम तौर पर सूखे रहने वाले उत्तरी प्रांत शान्शी में हुई ज्यादा बारिश ने प्राचीन इमारतों का नुकसान किया है. इनमें से कुछ तो 1,000 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.
समूह ने बताया कि जिन्सी मंदिर तियानलोन्गशान गुफाएं ढह चुकी हैं. दोनों राष्ट्रीय धरोहर स्थल हैं. इनके अलावा प्रांत में पुराने टावर और दीवारों को भी असामान्य रूप से भारी बारिश की वजह से नुकसान पहुंचा है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
उत्तरी इंग्लैंड की ऐतिहासिक धरोहर पर जलवायु परिवर्तन का साया
उत्तरी इंग्लैंड में हेड्रियन की दीवार को रोमन साम्राज्य के दौरान उत्तर से आने वाले आक्रामकों को दूर रखने के लिए बनाया गया था. 1900 सालों बाद इस ऐतिहासिक धरोहर पर ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: Oli Scarff/AFP
इंद्रधनुष के नीचे
118 किलोमीटर लंबी हेड्रियन की दीवार उत्तरी इंग्लैंड में पूर्व से लेकर पश्चिम तक फैली है. ये रोमन साम्राज्य में बनवाए गए सबसे बड़े ढांचों में से थी और आज भी पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय है. इन खुशकिस्मत सैलानियों को एक साथ दो इंद्रधनुष देखने का मौका मिला.
तस्वीर: imago images/Cavan Images
आक्रामकों से सुरक्षा
दीवार का नाम रोमन सम्राट हेड्रियन के नाम पर रखा गया. इसका निर्माण ईसा-पश्चात 122 में शुरू किया गया और छह सालों में पूरा किया गया. इसका उद्देश्य था कैलेडोनिया के आक्रामकों से रोमन साम्राज्य को बचाना.
तस्वीर: Oli Scarff/AFP
सूख रही है जमीन
दीवार के आस पास के अधिकांश इलाके में दलदल है जहां से धीरे धीरे कपड़ों, औजारों, हथियारों के असली टुकड़े और दूसरी चीजें बरामद हुई हैं. लेकिन अब ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से यह इलाका सूख रहा है और इन पुरावशेषों के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है.
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कीमती खजाना
कांस्य के इस बर्तन की तरह कई चीजों में इसी दलदली मिटटी की वजह से हैरान कर देने वाली बारीकियां अभी भी मौजूद हैं. लेकिन, जैसा कि पुरातत्वविद एंड्रू बर्ली बताते हैं, "जब ऑक्सीजन अंदर पहुंचती है तो चमड़े, कपड़े, लकड़ियों आदि से बनी नाजुक चीजें चटख जाती हैं, गल जाती हैं और हमेशा के लिए खो जाती हैं."
तस्वीर: Peter Macdiarmid/Getty Images
अनसुलझी पहेलियां
यहां ऐसे कई ढांचे हैं जिन्हें इतिहासकार अभी तक ठीक से समझ ही नहीं पाए हैं और जलवायु परिवर्तन ने इन्हें नुकसान पहुंचाना भी शुरू कर दिया है. एंड्रू बर्ली ने बताया कि पुरातत्व विज्ञान की दृष्टि से अभी तक दीवार के "एक प्रतिशत से भी कम हिस्से की छान-बीन हो पाई है और इसका काफी इलाका इस दलदली जमीन के माहौल में संरक्षित है, लेकिन अब इस यह खतरा में है."
तस्वीर: imago images/imagebroker
घर से बहुत दूर
रोमन साम्राज्य के समय राजधानी से बहुत दूर यहां हजारों सिपाही रहते थे. उनमें से कई तो अपने परिवारों के साथ रहते थे. वही लोग यहां अपने रोजमर्रा के जीवन की निशानियां छोड़ गए और आज उन्हीं चीजों की मदद से पुरातत्वविद साम्राज्य के उत्तरी जीवन को समझ पा रहे हैं.
तस्वीर: Oli Scarff/AFP
बीते समय की पहचान
एंड्रू बर्ली कहते हैं कि ये चीजें "अद्भुत हैं क्योंकि इन्होंने रोमन साम्राज्य और रोमन सेना के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया है. इन्होंने दिखाया है कि रोमन सेना में पुरुषों का आधिपत्य नहीं था बल्कि यहां कई महिलाएं और बच्चे भी थे.
तस्वीर: imago images/Nature Picture Library
संरक्षण की जरूरत
भविष्य में क्या इस तरह इस दीवार के साथ साथ चलना संभव हो पाएगा? एंड्रू बर्ली मानते हैं कि दीवार के निर्माण की शुरुआत की वर्षगांठ यह सोचने का एक अच्छा अवसर है कि इस जगह को कैसे संरक्षित रखा जाए ताकि यह अमूल्य धरोहर 1900 सालों बाद भी मौजूद रहे. (नेले जेंश)