जलवायु परिवर्तन के कारण मानवीय संकटों में वृद्धि होगी
१६ दिसम्बर २०२२
एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने अपनी एक अध्ययन रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अगले साल मानवीय संकट बढ़ सकते हैं.
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अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) के अनुसार अगले साल यानी 2023 में जलवायु परिवर्तन के कारण मानवीय संकट बढ़ सकते हैं. ये मानवीय संकट युद्ध, संघर्षों और आर्थिक विनाश के कारण उत्पन्न संकटों के अतिरिक्त हैं.
न्यूयॉर्क स्थित इस संगठन के प्रमुख और पूर्व ब्रिटिश नेता डेविड मिलिबैंड ने कहा कि पिछले एक दशक में मानवीय सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या तीन करोड़ 39 लाख तक पहुंच गई है. इस संगठन के मुताबिक मानव संकट के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारक पर्यावरण परिवर्तन है. संगठन के अनुसार, उसकी आपातकालीन निगरानी सूची में 20 देश हैं, जिनमें अफगानिस्तान और हैती शामिल हैं और ये सभी देश वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग दो प्रतिशत उत्सर्जन करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया, "2022 ने दुनिया भर में मानवीय संकटों को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का ऐसा प्रमाण दिया जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है."
रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बारिश में असामान्य वृद्धि और सोमालिया और इथियोपिया में विनाशकारी खाद्य सुरक्षा स्थिति का उल्लेख किया गया है, जबकि पाकिस्तान में भीषण बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या पर भी चर्चा की गई है. आईआरसी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और संरक्षण के क्षेत्र में और अधिक निवेश की आवश्यकता है.
इस अध्ययन रिपोर्ट में यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले और कोरोना महामारी ने खाद्य सुरक्षा को संकट की स्थिति में डाल दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में उनके लिए मानवीय जरूरतों और पूंजी की जरूरत में भारी कमी है और यह घाटा नवंबर महीने में 27 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, "दानकर्ता संकट की गंभीरता की तुलना में बहुत कम पैसे दे रहे हैं और यही कारण है कि प्रभावित समुदायों के पास उन बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच नहीं है जो उनके जीवित रहने, पुनर्प्राप्ति करने और पुनर्निर्माण करने के लिए आवश्यक हैं."
आपातकालीन निगरानी सूची ने भी विभिन्न देशों में विस्थापित लोगों की संख्या में वृद्धि की सूचना दी है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में बेघर लोगों की संख्या 60 करोड़ थी, जो अब बढ़कर एक अरब हो गई है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
खतरे में है ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के खतरे में होने की चेतावनी दी है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया इससे सहमत नहीं है. दुनिया के सैलानी यूनेस्को की विरासतों में शामिल ग्रेट बैरियर रीफ देखने आते हैं.
तस्वीर: Great Barrier Reef Foundation/dpa/picture alliance
ग्रेट बैरियर रीफ पर कैसा खतरा
यूनेस्को की ओर से विशेषज्ञों की छानबीन के बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्म होते सागर और कृषि प्रदूषण के कारण ग्रेट बैरियर रीफ पर जोखिम है और इसके लचीलेपन को भारी नुकसान पहुंचा है.
तस्वीर: William West/AFP
क्या कहा गया है रिपोर्ट में
इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर और यूनेस्को के विशेषज्ञों की रिपोर्ट में इसे बचाने के लिए ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया गया है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इसके बावजूद जलवायु परिवर्तन और कृषि प्रदूषण से इसे नुकसान पहुंच रहा है.
तस्वीर: XL CATLIN SEAVIEW SURVEY/AFP
ऑस्ट्रेलिया का विरोध
ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री तान्या प्लिबेरसेक ने माना है कि रीफ पर खतरा है लेकिन इसे यूनेस्को के "खतरे में विश्व विरासतों" की सूची में डालना जरूरत से ज्यादा बड़ा कदम होगा. उनका कहना है कि यह अकेला नहीं है अगर यह खतरे में है तो दुनिया की ज्यादातर विश्व विरासतें खतरे में हैं.
तस्वीर: Glenn Nicholls/AFP
पहले भी खतरे की चेतावनी दी गई है
यूनेस्को ने 2021 की रिपोर्ट के बाद ही ग्रेट बैरियर रीफ को खतरे वाले जगहों की सूची में डालना चाहा था. हालांकि ऑस्ट्रेलिया की पिछली दक्षिणपंथी सरकार की भारी लॉबिइंग की वजह से ऐसा नहीं हो सका. यूनेस्को ने सबसे पहले 2010 में इसे नुकसान होने की ओर ध्यान दिलाया था.
तस्वीर: Glenn Nicholls/AFP
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की रिपोर्ट
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने मई में रिपोर्ट दी थी कि लंबे समय तक चली गर्मियों की लू के दौरान 91 फीसदी कोरल रीफ को ब्लीचिंग से नुकसान पहुंचा. यह पहली बार था जब रीफ को ला नीना मौसम चक्र के दौरान ब्लीचिंग से नुकसान हुआ. आमतौर पर इस समय सागर का तापमान कम रहता है.
तस्वीर: Glenn Nicholls/AFP
द ग्रेट बैरियर रीफ
ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया भर के कोरल रीफ इकोसिस्टम का 10 फीसदी है. करीब 2500 रीफ का नेटवर्क 348,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैला है.
2016, 2017 और 2020 में दो तिहाई कोरल को नुकसान पहुंचा था. गर्मी के कारण कोरल को ब्लीच से नुकसान होता है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ज्यादातर कोरल हाल में हुए नुकसान से आने वाले सालों में उबर सकेंगे.
तस्वीर: Sarah Lai/AFP
सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण
ग्रैट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया का बड़ा आकर्षण है. ऑस्ट्रेलिया की मरीन कंजर्वेशन सोसायटी का कहना है कि इससे करीब हर साल 60,000 नौकरियां और 4 अरब अमेरिकी डॉलर का राजस्व हासिल होता है.