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एच1बी: जब भारतीयों को रोकने के लिए ब्लॉक कर दी हवाई टिकटें

२८ सितम्बर २०२५

एच1बी वीजा पर एक लाख डॉलर शुल्क के ट्रंप प्रशासन के एलान पर जब कई भारतीय अमेरिका वापस जाने के लिए जल्दबाजी में टिकट खरीद रहे थे, तब अमेरिका में एक नस्लभेदी अभियान चला जिसका मकसद था उन्हें वापस आने से रोकना.

एच1बी आवेदन पत्र
तस्वीर: Dado Ruvic/Reuters

विजयवाड़ा में छुट्टियां बिता रहीं अमृता तमनम के लिए सब कुछ अचानक बदल गया, जब अमेरिका में एच1बी वीजा पर 1,000 अमेरिकी डॉलर शुल्क लगाने की घोषणा हुई. 10 सालों से अमेरिका को अपना घर मानती आ रहीं अमृता, अमेरिकी शहर ऑस्टिन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रही थीं. उन्हें जैसे ही खबर मिली कि उनके वीजा पर भारी शुल्क लगाया जा रहा है, उन्होंने तुरंत वापसी की तैयारी शुरू कर दी. लेकिन अजीब बात थी कि टिकट बुक के दौरान कई बार वेबसाइट क्रैश हुई, टिकट बुकिंग अटक गई, और आखिरकार उन्हें लगभग दोगुनी कीमत, यानी करीब 2,000 अमेरिकी डॉलर देकर टिकट लेना पड़ा.

यह कोई मामूली ‘इंटरनेट ग्लिच' यानी इंटरनेट की दिक्कत नहीं थी. यह अमेरिका में दक्षिणपंथी ट्रोल समूहों की करामात थी जो 4chan नाम के इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर संगठित होकर इसे चला रहे थे. उन्होंने उन भारतीयों के खिलाफ एक समन्वित अभियान चलाया ताकि वो भारत से अमेरिका वापस ना आ पाएं. इसे उन्होंने ‘क्लॉग द टॉयलेट' नाम दिया.

शुरुआत में यह साफ नहीं था कि एक लाख डॉलर का शुल्क क्या उन पर भी लागू होगा जिनके पास एच1बी वीजा पहले से है. इसी वजह से कई कंपनियों ने अमेरिका में काम कर रहे कर्मचारियों को तुरंत छुट्टी से लौटने की सलाह दी. बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नए आवेदकों के लिए है.

भारत में आईटी उद्योग से जुड़े संगठनों ने कहा कि शुरुआती अनिश्चितता ने लोगों में चिंता जरूर बढ़ाई, लेकिन बाद में जानकारी मिलने से स्थिति शांत हुई.

‘क्लॉग द टॉयलेट अभियान' और टिकट बुकिंग

इसी पैनिक ट्रैवल के दौरान कुछ ऑनलाइन समूहों ने  भारत से अमेरिका लौटने वाले यात्रियों की उड़ानों की बुकिंग में अड़चनें पैदा करने के लिए अभियान चलाया. 4chan नाम के इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर लोगों से कहा गया कि वे भारत–अमेरिका उड़ानों की सीटें चुनें और भुगतान की प्रक्रिया बीच में ही रोक दें. वो चाहते थे कि जिन यात्रियों वाकई टिकट बुक करना था, वो समय रहते टिकट बुक ना कर पाएं और टिकट महंगे हो जाएं. अभियान का मकसद भारतीयों को समय सीमा रहते वापस आने से रोकना था.

4chan थ्रेड - जो टेलीग्राम और अन्य इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर ट्रंप के दक्षिणपंथी समर्थकों के बीच भी चली - उस में लिखा था: "भारतीय अभी एच1बी की खबर सुनकर जाग रहे हैं. अगर उन्हें भारत में ही रखना है तो उड़ानों की रिजर्वेशन प्रणालियां जाम कर दो.”

ये थ्रेड और पोस्ट कई नस्लवादी गालियों से लबरेज थे. इन पर सलाह दी गई कि लोग एयरलाइन वेबसाइटों और बुकिंग प्लेटफॉर्म पर भारत और अमेरिका के बीच व्यस्त उड़ान रूटों की टिकट बुक किए बिना ही सीटें रोककर रखें, ताकि उपलब्ध सीटें ढूंढना मुश्किल हो जाए और कीमतें बढ़ जाएं. एक 4chan यूजर ने तो अपने ब्राउजर का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए दावा किया, "मैंने 100 सीटें लॉक कर दी हैं.”

एक और ट्रोलर ने लिखा, "इस समय दिल्ली से नेवार्क जाने वाली इस उड़ान में आखिरी उपलब्ध सीट भी जाम कर दी है.”

कई 4chan यूजर ने एयर इंडिया पर सीटें रोके रखने और एयरलाइन की वेबसाइट को धीमा करने के बारे में भी पोस्ट किया. हालांकि, एयर इंडिया के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया कि साइट पर कोई अड़चन नहीं आई और सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहा था.

असर और चिंता

अमृता तमनम जैसी यात्रियों को इन ट्रोल गतिविधियों की वजह से टिकट बुक करने में मुश्किल हुई. उन्होंने एएफपी को बताया, "मेरे लिए टिकट लेना बहुत कठिन था और मुझे घबराहट में बहुत महंगा किराया देना पड़ा.”

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी गतिविधियों का असली उद्देश्य  वीजा धारकों को डराना और परेशान करना था. ग्लोबल प्रोजेक्ट अगेंस्ट हेट एंड एक्सट्रीमिज्म की सह-संस्थापक हाइडी बाइरीख ने एएफपी को बताया,"4chan की सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह लोगों को कट्टरपंथी विचारों की ओर धकेल सकता है.” उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका में कई मास शूटरों ने इस प्लेटफॉर्म पर ही अपने घोषणा पत्र साझा किए थे.

ट्रंप ने भारतीयों को दिया एक और बड़ा झटका

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वीजा और उसकी अहमियत

एच1बी वीजा अमेरिका में विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों के लिए होता है. यह पहले तीन साल के लिए मिलता है और बाद में छह साल तक बढ़ाया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल अमेरिका ऐसे 85,000 वीजा जारी करता है, जिनमें से करीब तीन-चौथाई भारतीयों को मिलते हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना दिखाती है कि इंटरनेट का इस्तेमाल किस तरह से दूसरों के लिए मुश्किलें पैदा करने में किया जा सकता है.

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ हेट एंड एक्सट्रीमिज्म के संस्थापक ब्रायन लेविन का कहना है कि सिर्फ कीबोर्ड पर कुछ दबाकर वास्तविक दुनिया में दिक्कतें खड़ी की जा सकती हैं. उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे राष्ट्रवादी राजनीति दुनिया भर में जोर पकड़ती जाएगी, उसके समर्थकों का एक अनौपचारिक अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेट सहित कई आक्रामक उपकरणों का उपयोग करेगा.”

भारत ने क्या कहा

अभी के लिए यह साफ है कि नया शुल्क पुराने वीजा धारकों पर लागू नहीं होगा. फिर भी भारत सरकार ने इस पर चिंता जताई है और कहा है कि इससे सेवा क्षेत्र और पेशेवरों की आवाजाही प्रभावित हो सकती है. भारतीय आईटी उद्योग पर भी इसका असर पड़ा है, जहां निवेशकों की चिंता के कारण शेयरों में गिरावट आई.

यह पूरी घटना आइना है कि नीतिगत फैसलों की अस्पष्टता और उसका फायदा उठाकर ऑनलाइन असामाजिक तत्व सीधे लोगों की रोजीरोटी और जीवन पर असर डाल सकते हैं. अमृता की कहानी बताती है कि घबराहट में उठाए गए कदम, और साथ ही इंटरनेट पर नफरत, किस तरह दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में हलचल पैदा कर सकती है.

 

साहिबा खान साहिबा 2023 से DW हिन्दी के लिए आप्रवासन, मानव-पशु संघर्ष, मानवाधिकार और भू-राजनीति पर लिखती हैं.https://x.com/jhansiserani
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