1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जलवायु से जुड़े लक्ष्य हासिल करने में कोयला अब भी बड़ा रोड़ा

२६ अप्रैल २०२२

दुनियाभर में कोयले से चलने वाले नए प्लांट बनाने में कमी आई है, लेकिन मौजूदा वक्त में जितना कोयला इस्तेमाल हो रहा है, वह चिंताजनक है.

Polen | Kohlekraftwerk in Belchatow
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, लेकिन सबसे बड़ी वजह कोयला है.तस्वीर: Kacper Pempel/REUTERS

साल 2021 में ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल से जुड़ा एक शोध मंगलवार को प्रकाशित हुआ. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में कोयले से चलने वाले जो नए प्लांट बनाने पर काम चल रहा था, 2021 में ऐसे प्लांट की संख्या में कमी आई है. हालांकि, जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल की सूरत इससे ठीक उलट है. ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार जीवाश्म ईंधन से 2021 में रिकॉर्ड स्तर पर कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ. ये आंकड़े पेरिस जलवायु सम्मेलन में हुए समझौतों और तय किए गए लक्ष्यों को झटका देने वाले हैं. 2015 में हुए पेरिस जलवायु सम्मेलन में 195 देशों ने इस संधि पर दस्तखत किए थे.

रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि कोयले से चलने वाले जो प्लांट बन रहे थे या जो बनने वाले थे, पिछले एक साल के मुकाबले उनकी संख्या में तीन-चौथाई की गिरावट आई है. साल 2020 में 525 गीगावॉट की उत्पादन क्षमता वाले प्लांट बन रहे थे. 2021 में जो नए प्लांट बन रहे हैं, उनकी उत्पादन क्षमता 457 गीगावॉट है यानी इसमें 13 फीसदी की कमी आई है. आज की तारीख में 79 देशों में कोयले से चलने वाले 2,400 से ज्यादा प्लांट सक्रिय हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2,100 गीगावॉट है.

यह भी पढ़ें: जर्मनी रूस से मुंह मोड़ेगा, तो तेल, गैस, कोयला कहां से लाएगा

चीन को लेकर जानकारों में चिंता

ये आंकड़े दुनियाभर में कोयले से चलने वाले प्लांट के निर्माण पर निगाह रखने वाली सालाना ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर रिपोर्ट में सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2021 में कोयले से चलने वाले 41 नए प्लांट बनाए जा रहे थे. रिकॉर्ड स्तर पर कमी के साथ अब 34 देशों में ही ऐसे नए प्लांट बनाने पर काम चल रहा है. चीन, जापान और दक्षिण कोरिया, तीनों ही देश लंबे वक्त से अपने देश के बाहर कोयले से चलने वाले प्लांट बनाने की वकालत करते आए हैं. इन्होंने भी अन्य देशों में ऐसे नए प्लांट में निवेश बंद करने का फैसला लिया है. हालांकि, जानकार चीन की प्रतिबद्धताओं में संभावित खामियों पर चिंता जता रहे हैं.

फिर भी दुनियाभर में कोयले से बनने वाली बिजली में 2021 में 18 गीगावॉट की वृद्धि हुई. वहीं बीते एक साल के मुकाबले दिसंबर में 176 गीगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन पर काम चल रहा था. इस वृद्धि में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी चीन की है, जहां दुनिया के आधे से ज्यादा कोयले से चलने वाले नए प्लांट लंबित हैं. इसके बाद दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की हिस्सेदारी 37 फीसदी है. पिछले साल कोयले से चलने वाले जितने नए प्लांट शुरू हुए, उनमें से तीन-चौथाई चीन में थे. बाकी दुनिया में कोयले से चलने वाले जितने प्लांट बंद कर दिए गए थे, उन सबकी भरपाई चीन में शुरू होने वाले नए प्लांट ने कर दी थी.

कोयले से चलने वाले प्लांट कम करने की दिशा में काम हो रहा है, जिसे और तेज करने की जरूरत है.तस्वीर: Peter Andrews/REUTERS

लक्ष्य बड़ा है और जरूरी भी

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की फ्लोरा चैंपियनवॉ कहती हैं, "कोयले से चलने वाले नए प्लांट की सूची तो घट रही है, लेकिन ऐसे नए प्लांट बनाने के लिए कार्बन बजट पूरी तरह खत्म हो गया है. हमें इसे तुरंत रोकना होगा." जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगर हम ग्लोबल वार्मिंग को रहने योग्य स्तर तक सीमित रखना चाहते हैं, तो इसके दो ही उपाय हैं. कोयले से चलने वाले नए प्लांट न बनाए जाएं और मौजूदा वक्त में जो प्लांट चल रहे हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से तेजी से बंद कर दिया जाए.

चैंपियनवॉ ने कहा कि अमीर देशों को 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लेना होगा, वहीं बाकी सभी देशों को भी 2040 तक इस पर अमल करना होगा. भारत, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने भी कोयले से चलने वाले प्लांट की योजनाओं में कटौती की है.

यह भी पढ़ें: बढ़ती गर्मी के कारण इस तरह गायब हो जाएगी कोयल

इस रिपोर्ट की सह-लेखिका और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीन एयर की वरिष्ठ विश्लेषक लॉरी मिलीवर्टा ने कहा है, "चीन में कोयले से चलने वाले नए प्लांट बनाने पर काम जारी है." अब तक दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक चीन ने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाने और 2060 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है.

यूरोपीय संघ ने किया उल्लेखनीय काम

रिपोर्ट यह भी बताती है कि अमेरिका में कोयले का इस्तेमाल घटाने की कोशिशें धीमी हुई हैं. साल 2021 में लगातार दूसरे साल इसमें कमी आई है. 2019 में अमेरिका में 16.1 गीगावॉट क्षमता के कोयले का इस्तेमाल घटाया गया था, जो 2020 में 11.6 गीगावॉट रह गया. वहीं पिछले साल को लेकर अनुमान बताते हैं कि यह 6.4 से 9 गीगावॉट तक रहा. जलवायु को लेकर अमेरिका ने अपने ही लिए जो लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें हासिल करने के लिए अमेरिका को अभी से 2030 के बीच सालाना 25 गीगावॉट घटाने की जरूरत होगी.

उधर यूरोपीय संघ ने 2021 में रिकॉर्ड 12.9 गीगावॉट उत्पादन घटाया है, जिसमें जर्मनी की हिस्सेदारी 5.8 गीगावॉट, स्पेन की हिस्सेदारी 1.7 गीगावॉट और पुर्तगाल की हिस्सेदारी 1.9 गीगावॉट है. पुर्तगाल नवंबर 2021 में कोयले के इस्तेमाल से मुक्त हो गया था. इसने अपने तय किए हुए लक्ष्य से नौ साल पहले ही कोयले का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया.

वीएस/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें