लैटिन अमेरिकी देश कोलंबिया में अब गर्भपात कराया जाना अपराध नहीं होगा. देश के संवैधानिक न्यायालय ने इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. लैटिन अमेरिका के अलग अलग देशों में गर्भपात को लेकर बहुत अलग कानून हैं.
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कोलंबिया के संवैधानिक न्यायालय ने सोमवार को फैसला सुनाया कि गर्भपात केवल तभी दंडनीय होना चाहिए जब गर्भावस्था के 24वें सप्ताह के बाद किया जाता है. यह फैसला देश में गर्भपात प्रथा को प्रभावी ढंग से अपराध से मुक्त करता है. 2006 में कोलंबिया ने आंशिक रूप से गर्भपात को वैध कर दिया था, जब एक कोर्ट ने फैसला सुनाया था महिलाओं को तीन स्थितियों में से एक में गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाएगी. ये थे- बलात्कार या यौन शोषण के मामले में, घातक भ्रूण के मामले में असामान्यता और गर्भावस्था में मां के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो तब.
गर्भपात को ले कर दुनिया में कहां क्या है कानून?
भारत में महिलाएं यह कल्पना भी नहीं कर सकतीं कि "अनचाही" प्रेग्नेंसी से पीछा छुड़ाना चाहें और डॉक्टर कहे कि आपको बच्चा पैदा करना ही होगा क्योंकि गर्भपात का आपको कोई अधिकार नहीं. लेकिन बहुत से देशों में ऐसा होता है.
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पूरी तरह वर्जित
दुनिया में 26 देश ऐसे हैं जहां किसी भी हाल में गर्भपात की अनुमति नहीं है, फिर चाहे मां या बच्चे की जान पर ही खतरा क्यों ना हो. यानी यहां गर्भवती होने के बाद महिला का अपने शरीर पर कोई हक ही नहीं रह जाता. दुनिया की कुल पांच फीसदी यानी नौ करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें इराक, मिस्र, सूरीनाम और फिलीपींस शामिल हैं.
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महिला को बचाने के लिए
ऐसे 39 देश हैं जहां गर्भपात केवल उसी हालत में किया जा सकता है जब गर्भवती महिला की जान को खतरा हो. ऐसे में गर्भपात का फैसला सिर्फ डॉक्टर ही ले सकते हैं, महिला खुद नहीं. दुनिया की 22 फीसदी यानी 35 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें ब्राजील, मेक्सिको, ईरान, अफगानिस्तान और यूएई शामिल हैं.
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स्वास्थ्य से जुड़े कारणों से
56 देशों के कानून महिलाओं को गर्भपात की इजाजत देते हैं अगर वे साबित कर सकें कि गर्भावस्था उनकी सेहत के लिए बुरी है. इनमें 25 देश मानसिक स्वास्थ्य को भी अहमियत देते हैं. दुनिया की 14 फीसदी यानी 24 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें पोलैंड, पाकिस्तान, सऊदी अरब और थाईलैंड शामिल हैं.
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आर्थिक या सामाजिक कारणों से
मात्र 14 देश ऐसे हैं जो महिला को अपनी स्थिति के अनुसार तय करने का अधिकार देते हैं कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं. दुनिया की 23 फीसदी यानी 38 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें भारत, ब्रिटेन, फिनलैंड और जापान शामिल हैं. अधिकतर मामलों में यहां वजह सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए ही पूछी जाती है.
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पहले 12 हफ्तों में
कुल 67 देशों में गर्भपात के लिए कोई वजह नहीं बतानी पड़ती. लेकिन बच्चे और मां के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां गर्भपात के वक्त को सीमित किया गया है. अधिकतर मामलों में पहले तीन महीनों के अंदर ही गर्भपात की अनुमति दी जाती है. इसके बाद भ्रूण का विकास तेजी से होने लगता है. दुनिया की 36 फीसदी यानी 59 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें अमेरिका, कनाडा, चीन और रूस शामिल हैं.
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अपने हक के लिए प्रदर्शन
पोलैंड में सरकार गर्भपात से जुड़े नियमों को और सख्त कर रही है. केवल बलात्कार, इनसेस्ट या फिर मां की जान को खतरे की हालत में ही इसकी इजाजत दी जाएगी. देश में महिलाएं इन नए नियमों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं प्रधानमंत्री माटेउस मोरावीस्की का कहना है कि कोरोना काल में प्रदशन कर वे अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रही हैं.
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संवैधानिक न्यायालय ने सोमवार को पुष्टि की कि इन तीन स्थितियों में कोई समय सीमा नहीं होगी. इसी के साथ अदालत ने कोलंबियाई सरकार से भी तत्काल गर्भवती महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए "एक व्यापक सार्वजनिक नीति तैयार करने और लागू करने" के लिए कहा, जैसे परिवार नियोजन का समर्थन करना और यौन शिक्षा, गोद लेने में सहायता और बाधाओं को दूर करना और गर्भपात के बाद देखभाल आदि.
गर्भपात में प्रतिबंध पर ढील देने वाला कोलंबिया नवीनतम लैटिन अमेरिकी देश बन गया है. मेक्सिको के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फैसला सुनाया था कि पूर्ण गर्भपात प्रतिबंध असंवैधानिक है, हालांकि गर्भपात के अधिकार अभी भी देश भर में समान नहीं हैं, जबकि पिछले हफ्ते इक्वाडोर की संसद ने एक कानून पारित किया जो बलात्कार के मामले में गर्भपात की अनुमति देगा. अर्जेंटीना में गर्भावस्था के 14वें सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति देने वाला एक कानून पिछले साल के अंत में पास किया गया था.
एए/सीके (रॉयटर्स, डीपीए)
क्या गर्भनिरोधक गोलियां बढ़ाती हैं वजन?
गर्भनिरोध के कई तरीके हैं जैसे गर्भनिरोधक गोलियां, आई-पिल, कंडोम, कॉपर टी, इत्यादि. लेकिन जितने ज्यादा तरीके, उतने ज्यादा मिथक. आइए, दूर करें गर्भनिरोध से जुड़ी कुछ गलतफहमियाों को.
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गर्भनिरोधक गोलियों से बढ़ता है वजन.
किसी जमाने में यह बात सच थी लेकिन आज की गर्भनिरोधक गोलियां वजन पर कोई असर नहीं करती हैं.
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लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों से गर्भधारण में होती है दिक्कत.
नहीं. आप जब गर्भ धारण करना चाहें, गोलियों का सेवन बंद कर सकती हैं, कोई समस्या नहीं होगी.
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पीरियड्स की समस्याओं के लिए नहीं लेनी चाहिए गर्भनिरोधक गोली.
डॉक्टर अक्सर पीरियड्स के अनियमित होने पर गर्भनिरोधक गोली लेने की सलाह देते हैं. इनसे पीरियड्स को नियमित करने में मदद मिलती है.
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आई-पिल से होता है गर्भपात
आई-पिल या इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल का काम गर्भधारण को रोकना है. अगर आप गर्भवती हैं, तो इसका आप पर कोई असर नहीं होगा.
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स्तनपान के दौरान गर्भनिरोधक गोलियों की जरूरत नहीं पड़ती.
प्रसव के बाद जितना जल्दी हो सके गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन शुरू किया जा सकता है. स्तनपान गर्भ निरोधन का काम नहीं करता.
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कंडोम के इस्तेमाल से मिलता है कम आनंद.
कंडोम में लेटेक्स की बेहद पतली परत का इस्तेमाल किया जाता है और ल्यूब्रिकैंट का भी, जिससे पुरुष या महिला के आनंद में कोई कमी नहीं आती.
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दो कंडोम से मिलती है ज्यादा सुरक्षा.
गर्भ धारण को रोकने के लिए एक ही कंडोम काफी है. दो के इस्तेमाल से वे फट सकते हैं और फायदे की जगह नुकसान हो सकता है.
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बाजार में फीमेल कंडोम भी उपलब्ध हैं, जिन्हें महिलाएं इस्तेमाल कर सकती हैं. ये भी पुरुषों वाले कंडोम की ही तरह लेटेक्स से बने होते हैं.