सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. इस वेरिएंट में कई म्युटेशन हैं और इनकी वजह से वायरस के काम करने के तरीके में बड़े बदलाव आ सकते हैं.
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इस नए वेरिएंट का का औपचारिक नाम B.1.1.529 है. दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिसीसेज (एनआईसीडी) ने अभी तक इसके 22 मामले सामने आने की पुष्टि की है. संस्थान ने यह भी कहा है कि जीनोमिक विश्लेषण चल रहा है और संभव है कि और भी मामले सामने आएं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट को "निगरानी में डाले गए वेरिएंट" की श्रेणी में डाल चुका है. संगठन ने कहा है कि इसके सबसे शुरुआती सैंपल नवंबर में कई देशों में मिले थे. संगठन की कोविड-19 तकनीकी टीम की प्रमुख मारिया वान करखोव ने बताया कि वेरिएंट का दक्षिण अफ्रीका में पता लगाया गया और इस समय इसके 100 से भी कम पूरे जीनोम सीक्वेंस उपलब्ध हैं.
और जानकारी की जरूरत
अभी इसके बारे में और जानकारी हासिल करने में कुछ सप्ताह और लग जाएंगे और तब जाकर यह फैसला लिया जा सकेगा कि इसे "वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट" घोषित किया जाए या "वेरिएंट ऑफ कंसर्न." उसके बाद ही उसे डेल्टा जैसा कोई यूनानी नाम भी दिया जा सकेगा.
वान करखोव ने माना कि इस वेरिएंट में बहुत बड़ी संख्या में म्युटेशन हैं और इस वजह से इस वायरस का व्यवहार बदल सकता है. लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसके मौजूदा टीकों और दवाओं की गुणकारिता के लिए क्या मायने हैं. करखोव का कहना है, "जो भी बाहर हैं उन्हें यह समझने की जरूरत है कि यह वायरस जितना फैलेगा उतना ही इसे बदलने का मौका मिलेगा और उतने ही म्युटेशन सामने आएंगे."
नए वेरिएंट के मामले बोत्सवाना और हांग कांग में भी पाए जाने की खबर है. पूरे अफ्रीका में सिर्फ 6.6 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीके लगे हुए हैं और कई देशों में महामारी की चौथी लहर फैल रही है.
कई देशों ने उठाए कदम
अफ्रीकी संघ के अफ्रीका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के जॉन केंगासॉन्ग ने जोर दे कर कहा कि जो डाटा सामने आ रहा है उसके पड़ताल की जाएगी और मूल्यांकन किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "हमें अभी और अध्ययन करने की जरूरत है, अभी भी इस वायरस के बारे में ऐसा बहुत कुछ है जो हम नहीं जानते." लेकिन दुनिया के कई देशों में सरकारें सावधान हो गई हैं और कई कदमों की घोषणा कर रही हैं. इस्राएल और ब्रिटेन ने कई अफ्रीकी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. ब्रिटेन दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, लेसोथो, बोत्सवाना, एस्वतीनी और जिम्बाब्वे से उड़ानें निलंबित कर रहा है.
इस्राएल इन सभी देशों और मोजाम्बिक से विदेशी नागरिकों के आगमन पर रोक लगा रहा है. इन देशों से लौटने वाले इस्राएली नागरिकों को क्वारंटाइन में समय बिताना होगा. भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और हांग कांग से आने वाले यात्रियों की सख्ती के साथ जांच करें.
सीके/एए (डीपीए,एएफपी)
ऐसा दिखता है कोरोना वायरस
शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की मदद से कोरोना वायरस की अद्भुत तस्वीरें ली हैं. देखिए कैसा दिखता है यह वायरस, यह कैसे काम करता है और दूसरे वायरसों और इसमें क्या फर्क है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance
कोरोना की तस्वीर
यह है कोविड-19 महामारी को फैलाने वाले एसआरएस-सीओवी-2 की असली तस्वीर. इसके हर कण का व्यास करीब 80 नैनोमीटर होता है. हर कण में वायरस के जेनेटिक कोड यानी आरएनए की एक गेंद होती है. उसकी रक्षा करता है एक स्पाइक प्रोटीन यानी बाहर की तरफ निकले हुए मुकुट जैसे उभार जिनकी वजह से वायरस को यह नाम मिला. यह कोरोना वायरस परिवार का एक हिस्सा है, जिसके और भी सदस्य हैं.
तस्वीर: Peter Mindek/Nanographics/apa/dpa/picture alliance
हवा से प्रसार
इसके कण छोटी छोटी बूंदों और ऐरोसोल के जरिए तब फैलते हैं जब कोई सांस लेता है या खांसता है या बात करता है. यह संक्रमित सतहों के जरिए भी फैलता है.
तस्वीर: AFP/National Institutes of Health
मानव कोशिकाओं में प्रवेश
यह वायरस स्पाइक प्रोटीनों का इस्तेमाल कर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन से जुड़ जाता है. इससे कुछ रासायनिक बदलाव होते हैं जिनकी बदौलत वायरस का आरएनए (इस तस्वीर में हरे रंग में) कोशिकाओं में घुस जाता है. वहां वो कोशिकाओं से आरएनए की प्रतियां बनवाता है. एक कोशिका वायरस के हजारों नए कण (इस तस्वीर में बैंगनी रंग में) बना सकती है, जो फिर दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं.
तस्वीर: NIAID/ZUMAPRESS.com/picture alliance
इंसानों के लिए नया
इस तस्वीर में बुरी तरह से संक्रमित एक कोशिका नीले रंग में दिखाई दे रही है. उसे संक्रमित करने वाले वायरस के कण लाल रंग में हैं. यह वायरस फ्लू या जुकाम करने वाले वायरसों से ज्यादा अलग नहीं है लेकिन 2019 से पहले इसका कभी किसी से पाला ही नहीं पड़ा था. इसी वजह से किसी में भी इसके खिलाफ इम्युनिटी नहीं थी.
तस्वीर: NIAID/Zuma/picture alliance
2002 में आया सदी का पहला कोरोनावायरस
2002 में चीन में इंसानों के बीच इस सदी का पहला कोरोनावायरस हमला सामने आया. यह एसआरएस-सीओवी था जिससे एसएआरएस नाम की बीमारी आई. यह बीमारी करीब 30 देशों में फैल गई लेकिन यह उतनी घातक नहीं निकली. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जुलाई 2003 में ही इस पर नियंत्रण कर लिए जाने की घोषणा कर दी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Center of Disease Control
मिलिए परिवार के एक और सदस्य से
2012 में खोज हुई एमईआरएस-सीओवी की जिसे एक नई फ्लू जैसी बीमारी को जन्म दिया. मध्य पूर्व में पहली बार सामने आने वाले इस बीमारी का नाम एमईआरएस रखा गया. यह कोविड-19 से कम संक्रामक होती है. संक्रमण अमूमन एक ही परिवार के सदस्यों में या अस्पतालों के अंदर फैलता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/NIAID-RML
एचआईवी: एक और महामारी
इस तस्वीर में पीले रंग में दिख रहा है एड्स बीमारी फैलाने वाला एचआई वायरस. नीले रंग में टी-कोशिकाएं हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा होती हैं और वायरस इसी सिस्टम पर हमला करता है. एसआरएस-सीओवी-2 की ही तरह यह भी आरएनए आधारित वायरस है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance