जीवन भर की परेशानी दे सकता है फुटबॉल में हेडर: स्टडी
७ फ़रवरी २०१७
जो फुटबॉल खिलाड़ी नियमित तौर पर हेडर यानी सिर से बॉल मारते हैं, उनमें मस्तिष्काघात होने की संभावना ऐसा ना करने वाले खिलाड़ियों की तुलना में तीन गुना ज्यादा होती है.
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अमेरिकन अकैडमी ऑफ न्यूरोलॉजी नामक पत्रिका में छपे एक शोध में यह जानकारी दी गई है.
अलबर्ट आइन्सटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की है जो अब तक हुए अध्ययनों के उलट नतीजे देती है. अब तक के अध्ययन के नतीजे कहते रहे हैं कि मस्तिष्काघात का खतरा उन्हीं फुटबॉलरों को होता है जिनके सिर आपसे टकराते हैं या फिर गोलपोस्ट से टकराते हैं
ताजा शोध में कुल 222 खिलाड़ियों पर अध्ययन किया गया. छह महीने तक चले इस अध्ययन के लिए खिलाड़ियों को चार समूहों में बांटा गया. ये चार समूह इस आधार पर बनाए गए थे कि कौन कितनी ज्यादा बार हेडर मारता है. सबसे ऊपर वह समूह था जिसने हर दो हफ्ते में 125 बार हेडर मारे. सबसे निचले समूह ने दो हफ्ते में सिर्फ चार बार हेडर मारे थे.
देखिए, अद्भुत है इंसान का शरीर
अद्भुत है इंसान का शरीर
शरीर अपने आप में एक चमत्कार है. इंसान को जिंदा रखने के लिए हर दिन वह करोड़ों काम करता है. एक नजर शरीर में मौजूद नायाब दुनिया पर.
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जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.
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ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
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लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.
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धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
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सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.
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नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.
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400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.
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जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.
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बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.
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बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.
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ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.
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दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.
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मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.
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झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.
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नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.
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तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.
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खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.
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मजे के लिए सेक्स
सिर्फ इंसान और डॉल्फिन मछली ही मजे के लिए सेक्स करते हैं. बाकी जीव बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं.
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बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.
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सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
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नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.
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न्यूरोलॉजी के फरवरी के अंक में छपे इस अध्ययन में बताया कि सबसे ज्यादा हेडर मारने वाले खिलाड़ियों में चक्कर आना, थकान महसूस करना, स्वास्थ्य कारणों से खेल रोकना और यहां तक कि बेहोश होने जैसे लक्षण निचले समूह के मुकाबले तीन गुना ज्यादा थे.
शोधकर्ता माइकल एल लिप्टन कहते हैं, "नतीजे दिखाते हैं कि सिर से फुटबॉल को मारने और मस्तिष्काघात के लक्षणों में संबंध है. यह उस अध्ययन के उलट है जो कहता है कि मस्तिष्काघात के लक्षण सिर्फ टकराने वालों में पाए जाते हैं. हमारा अध्ययन दिखाता है कि मस्तिष्काघात के लिए सीधी टक्कर ही जरूरी नहीं है."
तस्वीरों में, मनुष्य महाबली कैसे बना
मनुष्य महाबली कैसे बना?
मनुष्य खोजों और आविष्कारों की पीठ पर सवार हो इस दुनिया में एक मामूली जानवर से बदलकर सबसे महाबली बन गया. इन तस्वीरों में देखें कौन सी खोजें मील का पत्थर बनीं.
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आग
19 लाख साल पहले पहली बार पके हुए खाने के सबूत मिले हैं. जिससे पता चलता है कि आग पर नियंत्रण करना मानव तब सीख चुका था और मानव सभ्यता में इस खोज की अहमियत किसी से छुपी नहीं है.
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पहिया
तकरीबन 3500 ईसा पूर्व पहिए की खोज हुई और अब तक मानव की विकास यात्रा एक तरह से इसी पहिए पर सवार है. इसी क्रम में लकड़ी के गोल टुकड़े से होते पहिए आधुनिक शक्लें लेते गए हैं.
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कंपास
मनुष्य को महाबली बनाने में उसकी यात्राओं का अहम योगदान रहा और इसमें दिशाबोध की मदद के लिए कंपास का आविष्कार इतना ही अहम था. 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच चीन में इसका आविष्कार हुआ.
तस्वीर: Fotolia/Comugnero Silvana
अबाकस
आधुनिक गणित के महत्वपूर्ण सूत्रों की बुनियाद अबाकस के सरल से ढांचे में ही है. इतिहास में इसका पहली बार जिक्र 2700-2300 ईसापूर्व में मेसोपोटामिया की सभ्यता में मिलता है.
तस्वीर: Fotolia/Karin & Uwe Annas
प्रिंटिंग प्रेस
छापेखाने का आविष्कार भी मानवीय इतिहास में एक मील का पत्थर है. पहली बार 12वीं शताब्दी में चीन में सॉंग राजवंश के समय इसका आविष्कार हुआ. इसके बाद जर्मनी के योहानस गुटनबर्ग ने 1440 के करीब इसका और परिष्कृत रूप बनाया.
तस्वीर: imago
बल्ब
बल्ब के आविष्कार ने महाबली बनते मनुष्य की यात्रा को नई रोशनी दी. 1879 में थॉमस अल्वा एडिसन ने कार्बन फिलामेंट वाले बल्ब के साथ पूरी तरह प्रकाश पैदा कर सकने वाला सिस्टम बनाया.
तस्वीर: Colourbox
इंजन
1712 में थॉमस न्यूकोमेन द्वारा पिस्टन का इस्तेमाल कर बनाया एट्मॉस्फैरिक इंजन पहला भाप इंजन था. इसके बाद 1781 में जेम्स वॉट ने 10 हॉर्सपावर का इंजन बनाया जो कि लगातार काम कर सकता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Z. Mathe
टेलीफोन
1876 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने पहली बार अमेरिका में ऐसी मशीन का पेटेंट करवाया जो कि बहुत दूर तक आदमी की आवाज ले जा सकती थी. इस तकनीक का विकास आज के अत्याधुनिक मोबाइल फोनों तक हो चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/JOKER
हवाई जहाज
1903 में राइट ब्रदर्स पहला हवाई जहाज उड़ाने में कामयाब हुए. तब से अब तक इस सिलसिले में अत्याधुनिक तेज रफ्तार हवाई जहाज उड़ाए जा चुके हैं.
तस्वीर: imago/United Archives
कंप्यूटर
अंग्रेज मैकेनिकल इंजीनियर चार्ल्स बावेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है. 1822 में उन्होंने पहला मैकेनिकल कंप्यूटर बनाया. इसके बाद से कंप्यूटर की यात्रा सुपर कंप्यूटर तक हो चुकी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Charisius
इंटरनेट
1960 में अमेरिकी रक्षा विभाग की अडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी के लिए लॉरेंस रॉबर्टस् के नेतृत्व में ऐजेंसी के कंप्यूटरों को जोड़ने के मकसद से एक नेटवर्क बनाया गया. यहीं आधुनिक इंटरनेट की शुरुआत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Steffen
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साथ ही, तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियों का भी अध्ययन किया गया. ज्यादातर रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि बार-बार मस्तिष्काघात होना जीवन में मानसिक रोगों को भी बढ़ा सकता है. अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ियों में ये समस्याएं काफी ज्यादा पाई जाती हैं. हाल ही में नेशनल फुटबॉल लीग और पूर्व खिलाड़ियों के बीच पांच साल लंबी लड़ाई खत्म हुई है. नतीजतन लीग ने खिलाड़ियों के मेडिकल बिल्स के लिए एक अरब डॉलर देने पर सहमति जताई है. लीग के मुताबिक 30 फीसदी से कुछ कम खिलाड़ियों को अल्जाइमर्स, स्कलेरोसिस या तंत्रिकातंत्र संबंधी दूसरी बीमारियां हो जाती हैं.
लेकिन अलबर्ट आइन्सटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पहली बार कहा है कि सिर पर मामूली धक्का भी लंबे समय में खिलाड़ी की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.