तेलंगाना चुनाव: कांग्रेस, भाजपा की बीआरएस को चुनौती की कोशिश
२९ नवम्बर २०२३तेलंगाना विधानसभा की सभी 119 सीटों के लिए एक साथ चुनाव हो रहे हैं. इन सीटों के लिए कुल मिलाकर 2,000 से भी ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं. माना जा रहा है कि राज्य में मुख्य रूप से टक्कर बीआरएस (जो पहले टीआरएस थी), कांग्रेस और भाजपा के बीच है.
2014 में तेलंगाना की स्थापना के बाद से ही तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व करने वाली पार्टी बीआरएस राज्य में लगातार सत्ता में है और पार्टी के मुखिया के चंद्रशेखर राव तब से राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
सत्ता में कायम बीआरएस
2018 में राव ने अपना कार्यकाल पूरा होने से करीब छह महीनों पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. चूंकि कोई और पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी, इसलिए विधानसभा को भंग करना पड़ा और समय से पहले दिसंबर 2018 में ही चुनाव करवा दिए गए.
इन चुनावों में टीआरएस को 119 में से 88 सीटें हासिल हुई, यानी 47.4 प्रतिशत वोट शेयर. महज 19 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही. बीजेपी को सिर्फ एक सीट हासिल हुई थी. इस समय विधानसभा में बीआरएस के पास 101 सीटें हैं, यानी किसी भी दूसरी पार्टी के लिए बीआरएस को टक्कर देना एक बड़ी चुनौती है.
बीआरएस का चुनावी अभियान महिलाओं और किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के इर्द गिर्द केंद्रित रहा है. राव ने मतदाताओं को तेलंगाना की स्थापना के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्ष की याद दिलाने की भी कोशिश की है.
कांग्रेस ने महिलाओं और किसानों की मदद करने का वादा किया है. बीजेपी ने बीआरएस और कांग्रेस दोनों पर भ्रष्टाचार और वंशवाद को लेकर हमला किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर राज्य के मतदाताओं से वोट मांगे हैं.
अर्थव्यवस्था का हाल
लेकिन प्रतनधित्व के सवाल पर महिलाओं के लिए सभी पार्टियों की प्रतिबढ़ता नदारद है. निजी थिंक टैंक सीएसडीएस के लोकनीति कार्यक्रम के सह निदेशक संजय कुमार के मुताबिक इन चुनावों में 119 सीटों पर बीआरएस ने सिर्फ सात, कांग्रेस ने 12 और बीजेपी ने 13 महिलाओं को टिकट दिए हैं.
जानकारों का मानना है कि राज्य में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में बेरोजगारी दर 15.1 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत (10 प्रतिशत) से काफी ज्यादा है.
हालांकि राज्य में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है, जो एक बेहतर अर्थव्यवस्था का संकेत हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में प्रति व्यक्ति आय 3.17 लाख रुपये प्रति वर्ष है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1.71 लाख रुपये है.
राज्य में गरीबी भी बीते कुछ सालों में कम हुई है. निति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के मुताबिक तेलंगाना में 2015-16 में 13.18 प्रतिशत लोग गरीब थे, लेकिन 2018-19 आते आते उनकी संख्या गिर कर 5.88 प्रतिशत पर आ गई.