अमेरिकी कांग्रेस ने ओबामा के आदेश को पलट दिया. इससे अमेरिकी नागरिकों को 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले के लिए सऊदी अरब पर मुकदमा चलाने का रास्ता खुल गया है. देखिए यह कदम अमेरिका को कैसे महंगा पड़ सकता है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का वीटो बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस में बहुमत से पलट दिया गया. इस फैसले के बाद अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले में प्रभावित हुए लोगों के परिजनों को सऊदी अरब की सरकार पर मुकदमा करने का अधिकार दे दिया गया.
अमेरिका के 100-सदस्यीय ऊपरी सदन चैंबर ऑफ कांग्रेस ने लगभग एकमत से ओबामा के वीटो के खिलाफ वोट दिया जबकि केवल एक सीनेटर ने वीटो के पक्ष में अपना मत डाला. इस तरह दो-तिहाई के नियम के तहत आसानी से यह विधेयक सदन में पास हो गया.
निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में भी लगभग यही हाल रहा. वहां भी वोटो को पलटने के पक्ष में 348 जबकि उसे बनाए रखने के लिए केवल 77 वोट पड़े. राष्ट्रपति ओबामा के लगभग आठ साल के कार्यकाल में ऐसा पहली बार हुआ है कि कांग्रेस ने उनके वीटो वाले कदम को पलटा है.
सीनेटर बॉब कॉर्कर ने कहा, "इस समय यही करना सही है क्योंकि इससे बड़ी क्षति झेलने वाले पीड़ितों को खुद को व्यक्त करने का एक अवसर मिलेगा." कॉर्कर ने माना कि इस कदम के "अनचाहे नतीजे" मिलने का खतरा पैदा होता है. व्हाइट हाउस ने इस कदम पर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यह आदेश अमेरिका के हितों के विरुद्ध काम करेगा. बयान में कहा गया कि विदेशी सरकारों को आतंकी हमले को लिए जिम्मेदार मान उनको अदालत में खींचने के कारण अमेरिकी अधिकारियों, उच्चायुक्तों और सैनिकों पर भी ऐसे ही विदेशी अदालतों में खीचें जाने का खतरा पैदा होगा.
ओबामा के खिलाफ मुकदमा दर्ज
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के खिलाफ यमन में ड्रोन हमले में मारे गए दो लोगों के परिजनों ने मुकदमा दर्ज किया है.
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2012 का मामला
यमन में 2012 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए सलीम बिन अली जबेर और वलीद बिन अली जबेर के परिजनों ने रविवार को कोलंबिया जिला अदालत में ओबामा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया.
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संदिग्ध अपराधियों पर हमला
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि अमेरिकी ड्रोन विमानों ने यमन में संदिग्ध अपराधियों पर घातक हमला किया जिसमें सलीम और वलीद की मौत हो गयी.
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इमाम का काम
सलीम (43) इमाम का काम करते थे और अल कायदा एवं अन्य आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उपदेश देते थे. उनका रिश्तेदार वलीद (26) स्थानीय यातायात पुलिस अधिकारी था.
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खशामीर कस्बे में
वे दोनों खशामीर कस्बे में जिन तीन लोगों से मिलने गए थे उन पर ड्रोन विमानों ने हमला कर दिया. इस हमले में सलीम और वलीद भी मारे गए.
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सार्वजनिक तौर पर
हमले के कुछ घंटों बाद मृतकों के परिजनों को जानकारी मिली कि अधिकारियों को पता चल गया है कि सलीम और वलीद निर्दोष थे लेकिन उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
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गलती मानने से इंकार
परिजनों ने आरोप लगाया कि यमन और अमेरिका के अधिकारियों ने बंद कमरे के भीतर सांत्वना तो व्यक्त की लेकिन सार्वजनिक तौर पर अपनी गलती मानने से इंकार कर दिया.
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ओबामा पर दबाव
उन्होंने किसी भी किस्म की वित्तीय मदद लेने से इंकार करते हुए कहा कि वे केवल यह चाहते हैं कि ओबामा सरकार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार करे कि यह हमला गलत था.
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ओबामा ने एक सैन्य सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपने वीटो को कांग्रेस द्वारा पलटे जाने को एक "गलती" मानते हैं. ओबामा ने कहा, "यह एक खतरनाक मिसाल है. और इसका उदाहरण भी कि कैसे कई बार आपको कठिन कदम उठाने पड़ते हैं." इस मामले को 9/11 के आतंकी हमले से प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदनशील सहयोग समझा जा रहा है.
सदन के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने इसे "1983 से लेकर अब तक सीनेट में हुई संभवत: सबसे शर्मनाक चीज" बताते हुए निंदा की. आतंकी हमले के 15 साल बीतने के बाद भी पीड़ित परिवार सऊदी अरब पर मुकदमा करने की मांग करते रहे हैं. 2001 में न्यूयॉर्क में आतंकवादियों ने विमान को वर्ल्ड ट्रेड टावर में क्रैश कराया था, जिसके पीछे सऊदी सरकार और आतंकी संगठन अल कायदा का हाथ माना जाता है.
डीपीए समाचार एजेंसी को मिली सूचना के अनुसार सऊदी अधिकारियों ने इस विधेयक के कानून बनाए जाने की सूरत में अमेरिका में अपनी संपत्तियां बेच डालने की धमकी दी है. अगर केंद्रीय अदालतों में दूसरे देशों की सरकारों को मिली स्वायत्त सुरक्षा को रद्द करते हुए मृत्यु, हत्या या नुकसान के मामले में मुकदमे चलाने का दौर शुरू होता है तो फिर अमेरिका भी ऐसे कई आरोपों का निशाना बन सकता है.
आरपी/एमजे (डीपीए)
आतंकी हमलों की जद में देश
विजन ऑफ ह्यूमैनिटी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2000 से अब तक आतंकवाद के कारण होने वाली मौतों की संख्या पांच गुना बढ़ी है. दुनिया के कौन से देश आतंकी घटनाओं के सबसे ज्यादा शिकार हैं, एक नजर...
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1. इराक
साल 2014 के आंकड़ों पर आधारित ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के मुताबिक इराक आतंकी गतिविधियों में सबसे आगे हैं. 2014 में इराक में 3370 आतंकी हमले हुए जिनमें करीब 10,000 लोग मारे गए और 15,000 के करीब घायल हुए.
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2. अफगानिस्तान
दूसरे स्थान पर है अफगानिस्तान. 2014 में अफगानिस्तान में हुए आतंकी हमलों में 4500 लोग मारे गए और 4700 जख्मी हुए. अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिकों के हटाए जाने के बाद भी वहां तालिबान का साया बरकरार है. बीते दिनों कुंदुस में हुए हमलों में बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए.
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3. नाइजीरिया
नाइजीरिया में आतंकवादी समूह बोको हराम के 662 हमलों में 7512 लोग मारे गए. इन हमलों में 22,000 लोग घायल हुए. विजन ऑफ ह्यूमैनिटी की रिपोर्ट के मुताबिक बोको हराम के हमलों में मारे जाने वाले 77 फीसदी लोग निहत्थे नागरिक थे.
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4. पाकिस्तान
पाकिस्तान में 2014 में आतंकवाद संबंधी 1821 घटनाएं हुईं. इनमें 1760 लोग मारे गए और 2836 घायल हुए. पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं लेकिन प्रमुख है तहरीक ए तालिबान. पेशावर में स्कूल पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी इसी ने ली थी जिसमें 132 स्कूली छात्र मारे गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A Majeed
5. सीरिया
सीरिया में आतंकवाद और गृह युद्ध के शिकार लोगों के बीच अंतर करना आसान नहीं है. विजन ऑफ ह्यूमैनिटी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया में 2014 में 232 आतंकवादी हमले हुए जिनमें मुख्य हाथ इस्लामिक स्टेट और अल नुसरा मोर्चे का था.
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6. भारत
2008 के मुंबई हमले के बाद ऐसा माना जाता है कि भारत में कोई बड़ी आतंकवादी घटना नहीं हुई, लेकिन विजन ऑफ ह्यूमैनिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत में 763 आतंकी घटनाएं हुईं जिनमें 416 लोग मारे गए. इनमें ज्यादातर साम्यवादियों, इस्लामी कट्टरपंथियों और अलगाववादियों का हाथ था. पिछले साल माओवादियों ने हमला कर पुलिस और सुरक्षा बल के 22 जवानों की हत्या कर दी.
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7. यमन
कुल 512 आतंकी हमलों के साथ 2014 यमन के लिए एक बुरा साल रहा. इन घटनाओं में 654 लोग मारे गए. यमन में इन हमलों के लिए अल कायदा और हूथी विद्रोही जिम्मेदार हैं. यमन में अल कायदा एकमात्र ऐसा संगठन है जो आत्मघाती हमले करता है.
तस्वीर: Reuters/K. Abdullah
8. सोमालिया
2014 सोमालिया के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे ज्यादा खूनखराबे वाला साल था. 469 आतंकी घटनाओं में करीब 800 लोग मारे गए. अफ्रीकी देश में अल शबाब आतंकवादी समूह सबसे बड़ा खतरा है.
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9. लीबिया
लीबिया में 2014 में आतंकी गतिविधियों में अचानक 225 फीसदी तेजी आई. 554 आतंकी हमलों में 429 लोगों ने जान गंवा दी. लीबिया में कई आतंकी समूह सक्रिय हैं जिनमें एक इस्लामिक स्टेट भी है.
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10. थाईलैंड
2014 में थाईलैंड में 336 आतंकी घटनाएं हुईं जिनमें 156 लोग मारे गए. ज्यादातर घटनाएं दक्षिणी इलाकों में हुईं जहां मलय मुसलमानों का सरकारी बलों के खिलाफ संघर्ष जारी है. थाईलैंड में होने वाले 60 फीसदी आतंकी हमले बम धमाकों के रूप में हुए.