कर्नाटक पहला राज्य नहीं है जहां कांग्रेस के नेताओं में मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ाई हो रही है. कुछ ऐसी ही खींचतान राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी चल रही है और इससे पहले पंजाब और मध्य प्रदेश में भी देखी जा चुकी है.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस पार्टी के लिए अगली चुनौती बन गई. प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दोनों पद पाने के इच्छुक हैं और दोनों में से कोई भी अपनी दावेदारी से पीछे हटने को इच्छुक नहीं है.
ऐसे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ेगा और या तो दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ेगा या समझौते का कोई फार्मूला निकालना पड़ेगा. लेकिन राज्य स्तर के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान पार्टी के लिए स्थायी समस्या बन गई है.
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यही हुआ था छत्तीसगढ़ में
इस समय राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ऐसी ही खींचतान चल रही है और हाल के सालों में दूसरे राज्यों में भी इसी तरह की लड़ाई देखी गई है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी साल चुनाव होने वाले हैं लिहाजा इन दोनों राज्यों में पार्टी ने अगर स्थिति पर जल्दी काबू नहीं पाया तो उसे चुनावों में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
राजस्थान में सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें लेकर पशोपेश की स्थिति में नजर आ रही है. ना तो पायलट की शिकायतों को माना जा रहा है और ना उनके खिलाफ अनुशासनहीता के आधार पर कार्रवाई की जा रही है.
छत्तीसगढ़ में 2018 भी पार्टी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंघदेव के बीच बंटी हुई थी. 2018 में राज्य में ठीक वैसे ही दृश्य देखने को मिल रहे थे जैसे आज कर्नाटक में दिखाई दे रहे हैं.
पार्टी विधानसभा चुनाव जीत चुकी थी लेकिन दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी अपनी दावेदारी पर डटे हुए थे. तब ढाई-ढाई साल का एक फार्मूला निकाला गया था जिसके तहत तय हुआ था कि पहले ढाई सालों के लिए बघेल मुख्यमंत्री रहेंगे और उसके बाद ढाई सालों के लिए सिंघदेव.
लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि बघेल ने ढाई सालों के बाद पद नहीं छोड़ा और तब से लेकर अभी तक दोनों नेताओं के खेमों में झगड़ा चल रहा है लेकिन पार्टी हाई कमांड झगड़े को सुलझा नहीं पाया है.
झगड़े से गंवाई सत्ता
इससे पहले 2021 में पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले वहां भी तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी ऐसी ही खींचतान चल रही थी.
चुनावों में धांधली के हथकंडे
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आपसी मतभेदों का पार्टी को इतना नुकसान हुआ कि पार्टी चुनाव भी हार गई और सिंह ने पार्टी भी छोड़ दी. उन्होंने शुरू में अपनी नई पार्टी बनाई लेकिन बाद में अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया और खुद भी बीजेपी में शामिल हो गए.
एक नजर मध्य प्रदेश पर भी डाल लेते हैं. 2018 में ही वहां भी चुनाव हुए थे जो कांग्रेस ने जीते थे. उस समय कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और हाई कमांड ने साथ दिया कमलनाथ का.
लेकिन मुश्किल से डेढ़ साल के अंदर सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी राज्य में फिर से सत्ता में आ गई.
भारतीय राजनीति के जानकार इसे कांग्रेस की संगठनात्मक कमी के रूप में देखते हैं. वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाशेषन ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह स्पष्ट रूप से कांग्रेस में केंद्रीय नेतृत्व के कमजोर होने का ही नतीजा है, जैसा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने में नहीं था.
कम लोकतंत्र या ज्यादा?
हालांकि उन्होंने माना कि एक मजबूत केंद्रीय नेतृत्व भी कई बार पार्टी के संगठन का नुकसान कर बैठता है, इसलिए दोनों रास्तों के बीच के मार्ग को तलाशने की जरूरत है.
परिवारवाद के रास्ते लोकतंत्र में गद्दी पाने वाले नेता
सभी पार्टी सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं लेकिन पार्टी या सत्ता के शीर्ष पद पर परिवार को तरजीह दी जाती है. एक नजर ऐसे नेताओं पर जिन्हें संघर्ष की बदौलत नहीं, सुप्रीमों की संतान या साथी होने की वजह से गद्दी मिली.
तस्वीर: DW/S. Mishra
राहुल गांधी
कुछ समय पहले तक राहुल गांधी भारतीय राजनीति में सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर से उनकी मां सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री रह चुके हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र और देश की राजनीति में दबदबा रखने वाली पार्टी शिव सेना के प्रमुख हैं. फिलहाल यह पार्टी केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार में है. उद्धव ठाकरे को भी विरासत में राजनीति मिली है. इनके पिता बाल ठाकरे ने शिव सेना का गठन किया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पिता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह सपा के पहले अध्यक्ष थे. पार्टी का अध्यक्ष बनने को लेकर पिता और पुत्र के बीच 2017 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले इस कदर संघर्ष हुआ था कि मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया था.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari
एम के स्टालिन
एम के स्टालिन दक्षिण भारत की प्रमुख पार्टी डीएमके की कमान संभाल रहे हैं. उनसे पहले पार्टी का नेतृत्व उनके पिता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि कर रहे थे. करुणानिधि के निधन के बाद पार्टी को स्टालिन संभाल रहे हैं.
तस्वीर: UNI
राबड़ी देवी
बिहार की पहली महिला और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी हैं. राबड़ी देवी अचानक उस समय सक्रिय राजनीति में आईं जब बहुचर्चित चारा घोटाला मामलें में तत्कालिन मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल जाना पड़ा. 25 जुलाई 1997 राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री बनीं. इसके बाद वे राजनीति में आगे बढ़ती गईं और तीन बार सीएम बनीं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/AP Dube
उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी विरासत में राजनीति मिली है. उनके पिता और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला भी जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Sharma
महबूबा मुफ्ती
पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को विरासत में राजनीति मिली है. उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. पिता की मौत के बाद महबूबा मुख्यमंत्री बनीं थीं.
तस्वीर: Getty Images/S. Hussain
नवीन पटनायक
नवीन पटनायक पांचवीं बार से ओडिशा के मुख्यमंत्री है. बीजेपी की लहर हो या कांग्रेस की, नवीन पटनायक अपने राज्य में बने रहे. पहले नवीन पटनायक की राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी लेकिन 17 अप्रैल 1997 को पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद वे उनकी विरासत को संभालने राजनीति में उतरे.
तस्वीर: AP
चिराग पासवान
चिराग पासवान मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे हैं. बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान को रामविलास ने अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. फिल्मी दुनिया में फ्लॉप हो चुके चिराग विरासत में मिली राजनीति में आगे बढ़ रहे हैं.
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तेजस्वी यादव
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. पिता के जेल में जाने के बाद तेजस्वी ही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं. आने वाले दिनों में इन्हें आरजेडी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है.
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उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा कांग्रेस पार्टी को मध्यस्थता में कुशल नेताओं की भी सख्त जरूरत है जो अलग अलग राज्य में ऐसे हालात में लड़ रहे नेताओं को समझा सकें और समस्या का समाधान निकाल सकें.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने डीडब्ल्यू को बताया कि कांग्रेस में लोकतांत्रिक केन्द्रवाद नहीं है बल्कि अराजकता की हद तक लोकतंत्र है. उन्होंने सीपीएम का उदाहरण देते हुए कहा कि ज्योति बसु जैसे नेता प्रधानमंत्री पद स्वीकार नहीं करने का अपनी पार्टी का आदेश इसलिए नहीं टाल पाए क्योंकि वह पार्टी में बहुमत से लिया गया फैसला था.
उर्मिलेश कहते हैं, "मैं नहीं चाहूंगा कि कांग्रेस में सीपीएम जैसा लोकतंत्र आए लेकिन इस समस्या का सीधा इलाज है नेतृत्व के फैसले को राज्यों के विधायक दल पर छोड़ देना. विधायक दल जिसे चुने उसे मुख्यमंत्री बनने दिए जाए."
कई समीक्षक अक्सर कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) के लोकतंत्रीकरण की जरूरत को भी रेखांकित करते हुए कहते हैं. रामाशेषन भी इस बात का समर्थन करते हुए कहती हैं कि सीडब्ल्यूसी ही नहीं अगर पार्टी में हर स्तर पर निष्पक्ष तरीके से चुन कर आए नेताओं को ही नियुक्त किया जाए तो उससे भी इस समस्या का अंत करने में मदद मिल सकती है.
इन राज्यों में हैं कांग्रेस की सरकारें
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की है. इसी के साथ कांग्रेस ने दक्षिण में अपना किला दोबारा स्थापित कर लिया है. जानिए, अब कहां-कहां हैं कांग्रेस की सरकारें.
कर्नाटक की जनता ने 2023 के विधानसभा चुनाव में अपना जनादेश दे दिया और उसने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत दिया. बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दक्षिणी राज्य में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो गई है.
तस्वीर: Deepak Gupta/Hindustan Times/IMAGO
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में 2023 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो प्रदेश ने हर चुनाव में राज बदलने की परंपरा को कायम रखा. राज्य की जनता ने बीजेपी की सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया और कांग्रेस को चुन लिया.
तस्वीर: Jane Sweeney/picture alliance / robertharding
राजस्थान
राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां कांग्रेस की सरकार है लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच मतभेद उभरकर आते रहते हैं.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दूसरी पारी के लिए पिछले कई महीनों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन विपक्षी पार्टी बीजेपी राज्य में भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत जोर शोर से उठा रही है.
तस्वीर: Parth Sanyal/REUTERS
गठबंधन सरकार में कांग्रेस
झारखंड, तमिलनाडु और बिहार में कांग्रेस गठबंधन की सरकार में शामिल है. 2023 में हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जीत के साथ कांग्रेस ने चार महीने के भीतर बीजेपी से दो राज्य छीन लिए हैं.