सुप्रीम कोर्ट ने देश में जारी कोरोना की दूसरी लहर को काबू करने के लिए केंद्र और राज्यों से लॉकडाउन पर विचार करने को कहा है.
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रविवार 2 मई को सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि एक बिस्तर के साथ अस्पताल में दाखिला हासिल करना कोविड-19 महामारी की इस दूसरी लहर के दौरान अधिकांश व्यक्तियों द्वारा सामना की जा रही सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. देश में न केवल ऑक्सीजन की किल्लत है बल्कि लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं. इसी बीच कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाली दवाइयों की भी कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है.
कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने लॉकडाउन के दुष्प्रभावों पर चिंता जताते हुए यह भी कहा कि सरकार अगर लॉकडाउन लगाती है तो गरीबों के लिए पहले से ही इंतजाम किए जाएं. साथ ही कोर्ट ने कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती को लेकर दो सप्ताह में राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए केंद्र सरकार से कहा है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को कोरोना वायरस की वैक्सीन का मूल्य निर्धारण और उसकी उपलब्धता, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता पर फिर से विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अनुच्छेद 21 का जिक्र करते हुए कहा कि वैक्सीन के अधिग्रहण की नीति पर दोबारा विचार करना चाहिए. दरअसल 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जिस तरह से केंद्र की मौजूदा वैक्सीन नीति को लागू किया गया है, उसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य के अधिकार में बाधा उत्पन्न होगी, जो संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है.
दूसरी ओर दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली की ऑक्सीजन की आपूर्ति 3 मई की मध्यरात्रि या उससे पहले ठीक कर ली जाए. इस बीच भारत में एक दिन में 3,68,147 नए कोविड-19 के मामले सामने आए हैं, वहीं इस महामारी के कारण बीते 24 घंटे में 3,417 की मौत हो गई है. देशभर में कोरोना के एक्टिव रोगियों की संख्या 34 लाख के पार जा चुकी है.
क्या रुकता है रात के कर्फ्यू से: कोरोना या काम?
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की इस खतरनाक लहर का मुकाबला करने के लिए कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. क्या रात का कर्फ्यू कोरोना को रोकने में प्रभावी है या इस से भी तालाबंदी की तरह आर्थिक नुकसान ज्यादा होता है?
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रात का कर्फ्यू
दिल्ली में 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह के पांच बजे तक कर्फ्यू लगा रहेगा. इस समय दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों के कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. आवश्यक उत्पाद और सेवाएं देने वाले क्षेत्रों के कई संस्थानों को खुले रहने की अनुमति है.
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व्यापारी मायूस
कई व्यापारियों का कहना है कि तालाबंदी की मार से वो अभी उबरे भी नहीं थे, और अब ये कर्फ्यू आ गया. 10 बजे तक सब घर पहुंच जाएं इसके लिए दुकानों को नौ बजे ही बंद करना होगा. इसका मतलब है कि ग्राहकों के लिए उससे भी पहले दुकान बंद करनी पड़ेगी क्योंकि ग्राहकों के जाने के बाद भी सारा सामान समेट कर दुकान बंद करने में आधा-एक घंटा लग जाता है.
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मौसम की मार
दुकानें, दफ्तर, फैक्ट्रियां आदि जल्दी बंद करने का मतलब है उत्पादन और बिक्री में कटौती, जिससे व्यापारियों को नुकसान होगा. इसके अलावा उत्तर भारत में गर्मियों का मौसम चल रहा है. दिन में तापमान ज्यादा होने की वजह से लोग सामान लेने बाजारों में शाम में ही जाते हैं. दुकानें अगर जल्दी बंद हो गईं तो खरीदारी दिन की ही तरह शाम में भी मंदी ही रहेगी.
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कारखानों का संकट
लोहा, स्टील के सामान बनाने वाले कारखानों में दिन-रात काम चलता है. भट्टियां दिन-रात जलती रहती हैं, मजदूर शिफ्टों में काम करते हैं और सामान की आवाजाही तो रात में ही होती है. फैक्टरी मालिकों को डर है कि रात के कर्फ्यू से इन सब चीजों पर असर पड़ेगा.
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रेस्तरां वालों को नुकसान
सभी खाने पीने वाले संस्थानों में भी लोग शाम के बाद ही आते हैं और देर रात भोजन कर के वापस लौटते हैं. जल्दी बंद करने से इन्हें भी कमाई करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा.
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ऑटो/टैक्सी चलाने वालों को नुकसान
ऑटो/टैक्सी वालों को भी तालाबंदी में भारी नुकसान हुआ था. अभी भी उनकी कमाई महामारी के पहले जैसे स्तर से बहुत दूर थी, और अब फिर से रात को आवाजाही पर प्रतिबंध लगने से पिछले साल के नुकसान की भरपाई के रास्ते भी बंद हो गए हैं.
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शादी, अन्य कार्यक्रमों की दिक्कत
जिन लोगों ने पहले से शादी जैसे कार्यक्रमों की तारीख तय की हुई है और सभी इंजताम कर लिए हैं, वो सोच में हैं कि कहीं विवाह स्थल 10 बजे के बाद बंद तो नहीं कर दिए जाएंगे. मेहमानों के आने-जाने पर भी असर पड़ सकता है.
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अर्थव्यवस्था पर असर
उत्पादन, बिक्री और अन्य आर्थिक गतिविधियां अगर घटेंगी तो जीडीपी के बढ़ने की दर पर भी असर पड़ेगा. कर वसूली के जरिए होने वाली सरकार की कमाई को भी चोट पहुंचेगी.
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रमजान हो जाएगा फीका
13 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो रहा है और मुस्लिम श्रद्धालुओं को चिंता है कि कर्फ्यू की वजह से वो फीका पड़ जाएगा. रमजान में तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में रात में ही पढ़ी जाती है और दिन भर के रोजे के बाद इफ्तार, मिलना-जुलना और खरीदारी समेत सब कुछ शाम को ही होता है. कई लोग रोजा तोड़ने के लिए छोटे रेस्तरां जैसी जगहों पर भी निर्भर होते हैं.