ताजपोशी में कोहिनूर नहीं पहनेंगी नई ब्रिटिश महारानी
१५ फ़रवरी २०२३
ब्रिटेन के नए राजा बनने जा रहे चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी के वक्त महारानी के ताज में कोहिनूर हीरा नहीं लगा होगा. ब्रिटिश राजघराने ने यह फैसला किया है.
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आने वाली छह मई को जब किंग चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कमिला के नए ब्रिटिश राजा और रानी के रूप में ताजपोशी होगी तो शाही परिवार विवादों से दूर रहना चाहता है. यही वजह है कि शाही परिवार ने कमिला के ताज में कोहिनूर हीरे का इस्तेमाल ना करने का फैसला किया है.
समकालीन इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब महारानी के ताज में बदलाव किए जाएंगे और कोहिनूर के बिना उसे पहना जाएगा. हालांकि दिवगंत महारानी के गहनों में से कई इसमें इस्तेमाल किए जाएंगे.
ब्रिटिश महारानी के ताज में कोहिनूर हीरा दशकों से लगा हुआ है. दुनिया के सबसे बड़े और कीमती हीरों में शुमार इस हीरे पर लंबा विवाद है और भारत इसे वापस मांगता रहा है. शाही परिवार नहीं चाहता था कि ताजपोशी के वक्त भारत के साथ किसी तरह का कूटनीतिक विवाद हो.
पर्यावरण के अनुकूल ताज
बकिंगम पैलेस ने कहा है कि महारानी के रूप में कमिला को ‘क्वीन मैरी' का ताज पहनाया जाएगा क्योंकि इसका इस्तेमाल "पर्यावरण के अनुकूल और सक्षमता” के हक में है.
दुनिया के कुछ मशहूर ताज
कोहिनूर पर विवाद की वजह से अकसर ब्रिटेन के शाही ताज को लेकर तो अकसर बातें होती हैं. लेकिन हम यहां लेकर आए हैं आपके लिए दुनिया के अन्य देशों के राजाओं के मुकुटों की तस्वीरें, देखिए.
तस्वीर: E. Pickles/Fairfax Media/Getty Images
सबसे ताकतवर ताज
यह है ब्रिटेन की महारानी का मुकुट. किसी जमाने में यह उस साम्राज्य का ताज हुआ करता था जिसके राज में सूरज कभी छिपता नहीं था.
तस्वीर: picture alliance/Photoshot
हीरों की चमक
ब्रितानी शाही परिवार के पास लगभग 10 हजार हीरे हैं. हीरों से सजे मुकुट का नाम है द गर्ल्स ऑफ द ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड.
तस्वीर: Bethany Clarke/Getty Images
होली रोमन एंपायर
यह होली रोमन एंपायर के ताज का रेप्लिका है जो इस समय लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में सुशोभित हो रहा है.
रूसी साम्राज्य के ग्रेट इंपीरियल क्राउन के एक मॉडल को एम्सटरडम में लगी एक प्रदर्शनी के दौरान निहारते लोग. यह तस्वीर जून 2016 की है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J. Lampen
सदियों पुराना मुकुट
चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में सम्राट चार्ल्स चौथे की 700वीं जयंती पर इस मुकुट को दो हफ्ते के लिए आम लोगों को देखने का मौका मिला. 40 हजार से ज्यादा लोगों ने इसका दीदार किया.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Dolezal
हंगरी का मुकुट
हंगरी में लगभग 1200 साल तक जो भी राजा बना, उसके सिर पर यही होली क्राउन ऑफ हंगरी सजा. 1946 में वहां राजशाही खत्म हो गई और अब ये मुकुट गौरवशाली अतीत की निशानी है.
तस्वीर: Public Domain
नीदरलैंड्स का ताज
यह नीदरलैंड्स के राजा विलेम अलेंक्सांडर और रानी मक्सिमा की शाही पोशाक है. 2013 में जब महारानी बेयाट्रिक्स ने गद्दी छोड़ी तो उनके बेटे प्रिंस विलेम अलेंक्सांडर राजा बने.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. van Katwijk
पुर्तगाल का मुकुट
पुर्तगाल में अब राजशाही के दौर की ज्यादा चीजें नहीं बची हैं. लेकिन 19वीं सदी के पुर्तगाली राजा जॉन चौथे का मुकुट पूरी तरह सलामत है.
तस्वीर: gemeinfrei
ईरान की महारानी
यह तस्वीर ईरान की रानी फराह दीबा की है जो 10 अक्टूबर 1967 को तेहरान में ली गई थी. ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले राजशाही व्यवस्था थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/UPI
स्पेन का ताज
स्पेन भी दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां अब भी संवैधानिक राजशाही व्यवस्था है. इस समय फेलिप छठे स्पेन के सम्राट हैं जिन्होंने 2014 में गद्दी संभाली थी.
तस्वीर: Reuters
टोंगा का ताज
यह है दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में स्थित द्वीपीय देश टोंगा के राजा और रानी का मुकुट. अभी टूपो छठे वहां के राजा हैं जिन्होंने 2012 में अपने पिता टूपो पांचवें के निधन के बाद गद्दी संभाली थी.
तस्वीर: E. Pickles/Fairfax Media/Getty Images
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दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि स्वरूप ताज को उनके निजी संग्रह में मौजूद गहनों से सजाया जाएगा. इसमें कलिनन तीन, चार और पांच नामक हीरे इस्तेमाल किए जाएंगे. ये हीरे एलिजाबेथ द्वितीय के कंगनों में जड़े थे. इन्हें दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था और कलिनन डायमंड से लिया गया था.
किंग चार्ल्स तृतीय ताजों का ताज कहे जाने वाले सेंट एडवर्ड्स नाम के ताज को राजतिलक के वक्त ग्रहण करेंगे. इसे उनके सिर के हिसाब से बदला गया है और फिलहाल लंदन टावर में प्रदर्शन के लिए रखा गया है.
इस ताज को सबसे पहले 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय के लिए बनाया गाय था. उससे पहले जो ताज चार्ल्स द्वितीय के पास था वह इंग्लैंड के गृह युद्ध में नष्ट हो गया था. एलिजाबेथ द्वितीय ने भी अपनी ताजपोशी के वक्त यही ताज पहना था. हालांकि अन्य राजा अपने लिए अलग-अलग तरह के ताज बनवाते रहे हैं.
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कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर दुनिया का सबसे शुद्ध या सबसे बड़ा हीरा तो नहीं है लेकिन इसे दुनिया के सबसे विवादास्पद हीरों में से एक कहा जाता है. इसके उद्गम को लेकर बहुत तरह के किस्से-कहानियां मशहूर हैं लेकिन बहुत से इतिहासकार इस बात को लेकर सहमत हैं कि इस हीरे को 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह से भारतीयों ने छीना था.
क्यों खास होते हैं हीरे
बिना तराशा हुआ दुनिया का सबसे बड़ा हीरा नीलामी में नाकाम साबित हुआ. उसे कोई खरीदार नहीं मिला. आखिर हीरों की दुनिया इतनी चमकीली क्यों होती है.
तस्वीर: DW/A. André
टेनिस बॉल के बराबर
1.109 कैरेट के इस हीरे का नाम है लेसेडी ला रोना. इसका आकार एक टेनिस बॉल के बराबर है. इसे नवंबर में बोत्स्वाना की खदान से निकाला गया.
तस्वीर: Getty Images/D. Bowers/Sotheby's
अरबों साल पुराना
यह हीरा करीब 2.5 अरब साल पुराना बताया जा रहा है. नीलामी घर सदबी ने इस हीरे की न्यूनतम बोली 7 करोड़ डॉलर रखी थी. लेकिन बोली लगाने वाले 6.1 करो़ड़ से ऊपर नहीं गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sotheby's/D. Bowers
पहली बार ऐसी नीलामी
सदबी के मुताबिक पहली बार इतने बड़े गैर तराशे हीरे की नीलामी आयोजित की गई. बोत्स्वाना की तस्वाना भाषा में लेसेडी ला रोना का अर्थ होता है हमारा प्रकाश.
तस्वीर: Getty Images/S. Platt
बड़े हीरों की बाढ़
बीते एक दशक में अक्सर बड़े बड़े हीरे सामने आ रहे हैं. इससे पहले नवंबर 2015 में भी बोत्स्वाना में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हीरा मिला था.
तस्वीर: Lucapa Diamond Company Limited
क्यों रिझाते हैं हीरे
हीरे सदियों से राजसी वैभव और विलासिता के प्रतीक रहे हैं. भारत हजारों साल से इनके कारोबार का केंद्र रहा है. रोमन इन्हें भगवान के आंसू कहते थे. दुनिया भर के राजा इन्हें शीर्ष उपहारों की श्रेणी में रखते थे. तस्वीर में कोहिनूर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भारत की देन
कभी हीरों के लिए सिर्फ भारत को जाना जाता था. गोलकुंडा की खान आज भी हीरों के लिए मशहूर है. 14वीं शताब्दी में वेनिस और यूरोप के कारोबारियों तक भारतीय हीरे पहुंचने लगे. सन 1700 के आस पास ब्राजील में भी हीरे की खदान मिली. अब तो दुनिया के कई देशों में हीरे की खदाने मिली हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Smityuk
कहां होते हैं हीरे
वैज्ञानिकों के मुताबिक जमीन से करीब 160 किलोमीटर नीचे, बेहद गर्म माहौल में हीरे बनते हैं. इसके बाद ज्वालामुखीय गतिविधियां इन्हें ऊपर की ओर लाती है. ग्रहों या पिंडों की टक्कर से भी हीरे मिलते हैं.
तस्वीर: Wikipedia
हीरे की खासियत
हीरे पूरी तरह एक ही तत्व से बने होते हैं. उनमें बिल्कुल मिलावट नहीं होती है. वे पूरी तरह 100 फीसदी कार्बन से बनते हैं. अथाह गहराई में बहुत ज्यादा दबाव और तापमान के बीच कार्बन के अणु बेहद अनोखे ढंग से जुड़ते हैं और हीरे जैसे दुलर्भ पत्थर में बदलते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M.Trezzini
स्वच्छ और शुद्ध
अमेरिका के जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के शोध के मुताबिक बेहद गहराई से निकलने वाले हीरे रासायनिक रूप से शुद्ध होते हैं और ये अद्भुत रूप से पारदर्शी होते हैं.
तस्वीर: AP
अब लैब में बन रहे हैं हीरे
प्रयोगशाला में बनाए जा रहे हीरे भी अब बाजार में बिकने लगे हैं. इन्हें सिंथेटिक डायमंड कहा जाता है. लैब में कुछ रसायनों की मदद से कार्बन के अणुओं को बेहद उच्च दबाव में 1,400 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म किया जाता है. इसके बाद कई चरण होते हैं और आखिरकार हीरा बनता है.
तस्वीर: DW/A. André
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उसके बाद युद्धों और लूटपाट के दौरान कोहिनूर के मालिक बदलते रहे और 1846 में जब पंजाब पर अंग्रेजों की जीत हुई तब यह तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास आ गया. हालांकि तब लॉर्ड डलहौजी ने जिस लाहौर संधि के तहत पंजाब को हासिल किया था, वह पंजाब के महाराजा दलीप सिंह के साथ हुई थी संधि के वक्त था. उस समय दलीप सिंह की आयु मात्र पांच साल थी.
जिन हालात में यह हीरा अंग्रजों के पास गया, उसे लेकर हमेशा विवाद रहा है और भारत इस वापस लौटाने की मांग करता रहा है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी इस हीरे पर दावे किए हैं.