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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने नहीं गाया तमिल राष्ट्रगान

५ फ़रवरी २०२०

श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने तमिल राष्ट्रगान नहीं गाया. राजपक्षे पर एलटीटीई के दौर में तमिलों के साथ अमानवीय व्यवहार करने के आरोप लगे थे. उनके ऊपर सिंघली राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लगता रहा है.

BdTD Sri Lanka Parade zum Unabhängigkeitstag
तस्वीर: Getty Images/AFP/I.S. Kodikara

श्रीलंका में 4 फरवरी 2020 को देश का 72वां स्वतंत्रता दिवस मना. लेकिन इस मौके पर श्रीलंका सरकार के सामने एक विवाद खड़ा हो गया. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश की दूसरी राष्ट्रीय भाषा तमिल में राष्ट्रगान नहीं गाया. पिछली सरकार के दौरान सिंघली और तमिल दोनों भाषाओं में राष्ट्रगान गाया जाता था. गोटबाया राजपक्षे को सिंघली राष्ट्रवादी माना जाता है. उनके ऊपर सेना में रहते हुए तमिलों के साथ गलत तरीके से पेश आने के आरोप भी लगे थे.

विवाद का इतिहास क्या है?

श्रीलंका की जनसंख्या में करीब 13 प्रतिशत तमिल भाषी लोग हैं. देश की आजादी के बाद सिंघली और तमिल लोगों में लगातार विवाद रहा है. तमिल चरमपंथी संगठन एलटीटीई के समय ये विवाद हिंसक रूप में सामने आया था. भारत सरकार ने भी इस विवाद में दखल देकर शांति स्थापित करने की कोशिश की थी. एलटीटीई को तो 2009 में खत्म कर दिया गया. लेकिन अल्पसंख्यक तमिल और बहुसंख्यक सिंघली समुदाय के बीच मनमुटाव जारी रहे.

महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे.तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Wanniarachchi

श्रीलंका का राष्ट्रगान आनंद समराकून ने लिखा है. वह ईसाई धर्म में पैदा हुए थे. तब उनका नाम इगोदाहगे जॉर्ज विल्फ्रेड एल्विस अमराकून था. आनंद ने सिंघली भाषा में ही शुरुआती पढ़ाई की थी. बाद की पढ़ाई उन्होंने भारत के शांति निकेतन से की थी. वहां उन्होंने ईसाई धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया और अपना नाम आनंद समराकून कर लिया. उन्होंने 1946 में श्रीलंका का राष्ट्रगान "नमो नमो माता" सिंघली भाषा में लिखा था. लेकिन इस गीत को राष्ट्रगान के रूप में अपनाते समय इसकी पहली लाइन बदलकर श्रीलंका माता कर दी गई. आनंद ने इस बदलाव पर तब नाखुशी जताई थी.

2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने घोषणा की थी कि देश का राष्ट्रगान सिंघली भाषा के साथ देश की दूसरी भाषा तमिल में भी गाया जाएगा. सिरिसेना के इस कदम का तब भारी विरोध हुआ था. सिरिसेना की अपनी श्रीलंकन फ्रीडम पार्टी के लोगों ने इसका विरोध किया था. 2016 में पहली बार तमिल में राष्ट्रगान गाया गया था. तब विपक्ष के नेता रहे गोटबाया राजपक्षे के भाई महिंदा राजपक्षे ने इसका भारी विरोध किया था.

तस्वीर: Reuters

पत्रिका दा डिप्लोमैट के मुताबिक श्रीलंका की आजादी के बाद से तमिल बाहुल्य राज्यों में तमिल राष्ट्रगान गाया जाता था. श्रीलंका के संविधान में पहले सिंघली राष्ट्रगान को ही मान्यता दी गई थी लेकिन बाद में तमिल राष्ट्रगान को मान्यता दे दी गई. 2010 में कई तमिल नेताओं ने सरकार को विरोध दर्ज करवाया था कि जाफना के स्कूलों में तमिल बच्चों से सिंघली राष्ट्रगान गवाया जा रहा है.

2019 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में बहुसंख्यक बौद्ध सिंघली लोगों ने बड़ी संख्या में राजपक्षे को वोट दिया था. वहीं तमिल और मुस्लिम उनके सामने लड़ रहे सजित प्रेमदासा के साथ थे. राजपक्षे की जीत से उनके इतिहास के कारण तमिल अल्पसंख्यक आशंकित थे. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भाषण देते हुए राजपक्षे ने कहा कि वे पूरे देश के नेता हैं. वे किसी एक समुदाय के नेता नहीं हैं. उनका काम पूरे देश के लिए है.

आरएस/एके (एएफपी, एपी)


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