लॉकडाउन में मरे होंगे 2,67,000 से ज्यादा शिशुः रिपोर्ट
२५ अगस्त २०२१
कोरोना वायरस ने बच्चों को सीधे तौर पर तो प्रभावित नहीं किया लेकिन पाबंदियों के जरिए जानें बहुत लीं. एक रिपोर्ट कहती है कि आर्थिक पाबंदियों ने शिशुओं की जानें लीं.
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कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए जो आर्थिक पाबंदियां लगाई गईं, उनके कारण कम विकसित और गरीब देशों में दो लाख 67 हजार ज्यादा शिशुओं की जान गई होगी. वर्ल्ड बैंक ने ऐसा अनुमान जाहिर किया है.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपे वर्ल्ड बैंक के शोध के मुताबिक गरीब और मध्यम आय वाले देशों में कोरोना वायरस के कारण लगीं पाबंदियों का घातक असर हुआ है. इन पाबंदियों ने आर्थिक असमानता और गरीबी तो बढ़ाई ही है, पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा औसत जानें भी लीं.
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल आर्थिक पाबंदियों ने औसत से 2,67,000 ज्यादा शिशुओं की जानें ली होंगी. वैसे वायरस का शिशुओं की मौत पर सीधा असर बहुत कम हुआ है, लेकिन इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि "आर्थिक प्रभावों और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़े असर के कारण” ज्यादा शिशुओं की जानें गईं.
कर्ज लेकर कोरोना का इलाज
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रिपोर्ट कहती है कि 128 देशों में शिशु मृत्यु दर में लगभग सात फीसदी की वृद्धि का अनुमान है. बदलती अवधि और गंभीरता वाली पाबंदियों ने अमीर और गरीब, ज्यादातर देशों की जीडीपी को प्रभावित किया है. ज्यादातर देशों में कोरोना वायरस को प्राथमिकता देने के कारण अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को या तो कम कर दिया गया या पूरी तरह बंद कर दिया गया.
वर्ल्ड बैंक के शोधकर्ता कहते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम और इलाज के लिए कोशिशों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए लेकिन देशों को "सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं” उपलब्ध रहें.
जीडीपी गिरावट से बढ़ी गरीबी
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि गरीब और मध्यम आय वाले देशों में जीडीपी में एक प्रतिशत की गिरावट से हर हजार बच्चों पर मृत्यु दर में 0.23 फीसदी की वृद्धि होती है. इन देशों में लॉकडाउन के कारण हो रही आर्थिक तंगी से निपटने के लिए जरूरी धन नहीं था.
इससे पहले भी वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि महामारी और लॉकडाउन ने दुनियाभर में 1.2 से 1.5 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेल दिया है.
देखेंः कब कब कहा सरकार ने, आंकड़े नहीं हैं
कब-कब सरकार ने कहा आंकड़े नहीं हैं
भारत में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर भारत सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं. विपक्ष सरकार से आंकड़े मांगता है सरकार कहती है हमें जानकारी ही नहीं है. एक नजर, ऐसे मुद्दों पर जिनके बारे में सरकार के पास डेटा नहीं हैं.
तस्वीर: Sonali Pal Chaudhury/NurPhoto/picture alliance
ऑक्सीजन की कमी से मौत
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं होने के बयान के बाद सरकार दोबारा से डेटा जुटाएगी. सरकार ने संसद में 20 जुलाई को बयान दिया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे और आलोचना के बाद सरकार ने राज्यों से दोबारा से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आंकड़ा मांगा है.
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर पैदल ही शहरों से गांव की ओर निकल पड़े. सफर के दौरान प्रवासी मजदूरों की सड़क हादसे, रेल ट्रैक पर चलने और अन्य कारणों से मौत हुई. स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के दौरान 971 प्रवासी मजदूरों की गैर कोविड मौतें हुईं. सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत के बारे में उसके पास डेटा नहीं है.
तस्वीर: DW/M. Kumar
बेरोजगारी और नौकरी गंवाने पर डेटा
मानसून सत्र में सरकार से सभी दलों के कम से कम 13 सांसदों ने कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी और नौकरी गंवाने वालों का स्पष्ट डेटा मांगा था, लेकिन सरकार ने डेटा मुहैया नहीं कराया. इसके बदले केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज, मेड इन इंडिया परियोजनाओं, स्वरोजगार योजनाओं और ऋणों का विवरण देकर इस मुद्दे को टाल दिया.
तस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance
किसान आंदोलन के दौरान मौत का आंकड़ा
23 जुलाई 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन पंजाब सरकार ने जो डेटा इकट्ठा किया है उसके मुताबिक कुल 220 किसानों की राज्य में मौत हुई. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10.86 करोड़ मुआवजा भी दिया है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
कितना काला धन
मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि पिछले दस साल में स्विस बैंकों में कितना काला धन छिपाया गया है उसे इस बारे में कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद विन्सेंट एच पाला के सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते कई सालों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को लाने की कई कोशिशें की हैं.
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क्रिप्टो करेंसी के कितने निवेशक
भारत में काम कर रहे निजी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों की संख्या बढ़ रही है, केंद्र के पास उन पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. इन एक्सचेंजों से जुड़े निवेशकों की संख्या के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. देश में एक्सचेंजों की संख्या और उनसे जुड़े निवेशकों की संख्या पर एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने 27 जुलाई को संसद में एक लिखित जवाब में कहा, "यह जानकारी सरकार द्वारा एकत्र नहीं की जाती है."
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पेगासस जासूसी मामला
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पेगासस जासूसी मामला इस वक्त सबसे गर्म मुद्दा है. दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. भारत के संचार मंत्री ने इस मामले में लोकसभा में एक बयान में कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत है.
जून में बैंक ने अनुमान जारी किया था कि 2020 में जीडीपी साढ़े तीन फीसदी की गिरावट के बाद इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था 5.6 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. लेकिन यह चेतावनी भी जारी की गई है कि गरीब देशों को एक असमान आर्थिक बहाली से गुजरना होगा.