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समाज

कोरोना के समय में वैश्विक भुखमरी विकराल रूप ले सकती है

१४ जुलाई २०२०

यूएन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक मंदी और जलवायु संबंधी घटनाओं ने और अधिक लोगों को भुखमरी की ओर धकेला है.जबकि पोषक आहार अभी भी महंगाई के कारण लोगों की पहुंच से बाहर है.

तस्वीर: DW/Prabhakar

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ गई थी और उसने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भुखमरी की ओर धकेल सकती है. सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं. रिपोर्ट कहती है कि करीब नौ में से एक व्यक्ति को भूखा रहना पड़ रहा है.

इस रिपोर्ट को यूएन की पांच एजेंसियां- खाद्य और कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर तैयार किया है. रिपोर्ट कहती है कि बीते पांच सालों में भुखमरी और कुपोषण के अलग-अलग रूपों के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और कोरोना वायरस महामारी के कारण समस्या और गंभीर रूप धारण कर सकती है. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस साल महामारी के कारण लगाई पाबंदियां और आर्थिक मंदी से आठ करोड़ से 13 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर सकते हैं. साथ ही रिपोर्ट के लेखकों ने पूर्वी अफ्रीका में "टिड्डी के प्रकोप" का भी जिक्र किया है.

तस्वीर: Imago Images/epd/S. Vogt

यूएन की ताजा रिपोर्ट कहती है कि साल 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार थे और 2018 की तुलना में इस संख्या में एक करोड़ लोगों की बढ़ोतरी हुई. छह साल में यह संख्या छह करोड़ बढ़ी है. दशकों तक लगातार गिरावट के बाद साल 2014 से भुखमरी के आंकड़ों में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होनी शुरू हुई जो कि अब तक जारी है.

एशिया में सबसे बड़ी संख्या में लोग कुपोषित हैं जिनकी संख्या करीब 38 करोड़ है. इसके बाद लातिन अमेरिका और कैरिबयाई क्षेत्र का नंबर आता है. रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि भुखमरी से लड़ाई महामारी के पहले ही रुक गई थी. लेखकों के मुताबिक, "भोजन के उत्पादन, वितरण और खपत से जुड़ी गतिविधियों और प्रक्रियाओं की कमियां और निर्बलताएं और ज्यादा गहरी हो रही हैं."

यूएन की एजेंसियों का कहना है कि करीब तीन अरब लोगों के पास सेहतमंद आहार सुनिश्चित करने के साधन नहीं है. रिपोर्ट कहती है कि इस दिशा में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है. उसके मुताबिक, ''सभी लोगों की पहुंच ना केवल भोजन तक होनी चाहिए बल्कि पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक भी होनी चाहिए जो एक स्वस्थ आहार बनाते हैं.'' रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस महामारी के परिणामस्वरूप खाद्य वितरण प्रणाली बाधित हुई, आजीविका को नुकसान हुआ और विदेशों में काम करने वाले अपने घर पैसे भेज नहीं पाए जिस वजह से गरीब परिवारों को स्वस्थ आहार तक पहुंच बनाने में मुश्किल पैदा हुई.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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