दिल्ली में हर एक घंटे में 17 लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं तो वहीं पश्चिमी यूपी में 20 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिसमें आगरा भी है. आखिर क्या वजह है कि पहले आगरा मॉडल की तारीफ हुई और अब मामले बढ़ते जा रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मामले सोमवार 4 मई तक 2,645 पहुंच गए हैं और अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा खराब हाल ताज नगरी आगरा का है. उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला आगरा ही है. यहां कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 4 मई तक 612 पर पहुंच चुकी है. जैसे-जैसे आगरा में नए मरीज मिल रहे हैं वैसे-वैसे प्रशासन संक्रमण को रोकने के लिए हॉटस्पॉट भी बना रहा है. दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप के सफेद इमारत को देखने आगरा पहुंचने के अगले दिन ही एक कारोबारी इटली से आगरा लौटा. कपूर नाम का यह शख्स आगरा में जूता बनाने वाली फैक्ट्री में पार्टनर है.
इटली से लौटने के एक हफ्ते बाद कपूर कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाया गया. कपूर का मामला आगरा शहर में पहला था और यह देश के सबसे बड़े वायरस क्लस्टर में से एक था. 16 लाख की आबादी वाले शहर ने वायरस को काबू पाने के लिए बहुत तेजी से काम किया. प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन बनाए. हजारों-लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई और बड़े पैमाने पर कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग की गई. लोग कहां-कहां गए किस-किस से मिले, इन सबकी जानकारी जुटाई गई. इसके बाद हॉटस्पॉट और 38 एपिसेंटर की पहचान की गई . इसके साथ ही 3 किलोमीटर का कंटेनमेंट जोन और 5 किलोमीटर का बफर जोन बनाया गया. अप्रैल तक शहर को लगा कि उसने कोरोना को हरा दिया है, कोरोना के मामले 50 के भीतर सीमित हो गए, जबकि भारत के अन्य शहरों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते गए. केंद्र सरकार ने भी आगरा मॉडल की प्रशंसा की और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में इस मॉडल पर अमल करने का सुझाव जताया गया.
फिर कहां हुई चूक?
आगरा में वक्त रहते कंटेनमेंट उपायों और तमाम सख्ती के बावजूद शहर अब संक्रमण के दूसरे दौर को झेल रहा है. यहां के अस्पताल और डॉक्टर रोज नए मामले को लेकर चिंतित हैं. इससे पता चलता है कि वायरस पर काबू पाने के बावजूद वह पूरी ताकत से साथ पलटवार कर सकता है. आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहते हैं, "अगर यह अस्पताल में नहीं फैलता तो हम इस पर काबू पा लेते." ऑस्ट्रिया से होते हुए 44 साल के कपूर जब आगरा पहुंचे तो उन्हें एक मार्च को एहसास हुआ कि वे कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं. उनके रिश्तेदार को भी बुखार था और उन्होंने दिल्ली के अस्पताल में जांच कराया तो पता चला कि वे कोरोना पॉजिटिव है.वह भी कपूर के साथ विदेश से लौटा था.
कोरोना के समय सुरक्षित शॉपिंग कैसे करें?
लॉकडाउन से बाहर आने के पहले धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं. पड़ोस की दुकानें भी खुल रही हैं. लेकिन शॉपिंग के लिए जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकि वायरस से बचा जा सके.
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जरूरी सावधानी
कोरोनावायरस संक्रमण अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और ना ही उसके लिए टीका या दवा बन पाई है. ऐसे में अब भी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताए गए दिशा-निर्देश का पालन करना चाहिए. भले ही हम लॉकडाउन में रह रहे हों लेकिन दिन बीतने के साथ वायरस कमजोर पड़ा है या नहीं यह कहना मुश्किल है इसलिए सावधानी जरूरी है.
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दुकान में रखा सामान सुरक्षित?
छोटे स्टोर और दुकानें खुल रही हैं और वहां सामान भी रखा है. ऐसे में सवाल उठता है कि स्टोर में रखा पैकेज्ड सामान सुरक्षित है? अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक कोरोना वायरस का अस्तित्व सतह पर खत्म हो जाता है. कोरोना का वायरस आपके शरीर में तभी पहुंच सकता है जब यह आपके आंख, नाक या मुंह में पहुंचे. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के संक्रमण की प्रमुख वजह खांसना या छींकना ही है.
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शॉपिंग कैसे करें?
कोरोना काल में घर की शॉपिंग भी एक चुनौती है. आप मॉल या बाजार नहीं जा सकते हैं और पड़ोस की दुकानों से ही सामान खरीदना पड़ता है. ऐसे में वहां स्थानीय लोगों की भीड़ भी होती है. इन सब चीजों से बचने के लिए आपको अपनी जरूरतों के हिसाब से लिस्ट बना लेनी चाहिए. हो सके तो पहले से फोन कर दुकानदार को ऑर्डर कर दें. अगर मुमकिन हो तो दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले शॉपिंग बैग को अच्छे से धो लें.
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सामान बाहर छोड़ दें?
राशन के उन सामानों को अलग से रख देना चाहिए जिन्हें फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैकेट पर किसी अन्य स्रोत से आए कंटैमिनेशन को कम करने में मदद मिलेगी.
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सोशल डिस्टेंसिंग
अगर पड़ोस की दुकान में आप सामान खरीदने गए हैं तो वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें और मास्क और हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल करें. शॉपिंग के समय कर्मचारी से उचित दूरी बनाए रखें.
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घर लौटने पर हाथ धोएं
बाजार से शॉपिंग करने के बाद जब घर लौटें तो कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ साबुन से धोएं और फिर सामान को रखें और उसके बाद दोबारा हाथ को धो लें.
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किचन रखें साफ
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अपने दिशा-निर्देशों में किचन काउंटर्स को डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल करते हुए साफ रखने को कहा है. खाने के सामान को साफ करने के लिए डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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कपूर की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई. साथ ही उनके पिता, मां, बेटे,पत्नी और भाई, सभी छह लोगों को दिल्ली के अस्पताल में शिफ्ट करा दिया गया. बाद में कपूर के अकाउंटेट और उसकी पत्नी को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया. जबकि शहर के आसपास भी ऐसे मामले सामने आने लगे. सांस रोग विशेषज्ञ और सांस फाउंडेशन के संस्थापक डॉ.पीपी बोस कहते हैं, " हमें कभी भी मामलों की संख्या से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि मामलों की संख्या ज्यादा होगी ही क्योंकि वायरस फैलता है. मामले पकड़ में भी ज्यादा आ रहे हैं. हमारे देश में ऐसे भी लोग हैं जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण नहीं हैं लेकिन वह वायरस के कैरियर हो सकते हैं. मामलों की संख्या बढ़ने से हमें उतना चिंतित नहीं होना चाहिए जब तक मौत का आंकड़ा उसी अनुपात में नहीं बढ़ता है."
यह मामला सिर्फ आगरा का नहीं है लेकिन देश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कोरोना वायरस का तांडव है. अब केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश के 20 जिलों में स्वास्थ्यकर्मियों की अपनी टीमें भेजने का फैसला किया है. दिल्ली और अन्य नौ राज्यों में फैले इन जिलों में ये टीमें हालात से निपटने में खामियों के विश्लेषण के साथ क्लस्टर कंटेनमेंट प्लान और निगरानी उपायों के कार्यान्वयन में प्रशासन की मदद करेंगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि देश में कोरोना से मृत्यु दर 3.2 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे कम है. ठीक होने वालों की दर में भी सुधार हुआ है और अब तक 10 हजार से ज्यादा मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं. डॉ. पीपी बोस कहते हैं, "भारत जैसे बड़े देश में मृत्यु दर बेहद कम है. यह हो सकता है कि जो वायरस भारत में आया है वह कम तीव्रता वाला हो. अमेरिका जैसे देश का हाल आप देखिए वहां क्या हो रहा है. हमारे देश में इम्युनिटी सिस्टम भी अच्छी है इस वजह से कम लोग संक्रमण के कारण मर रहे हैं." डॉ. पीपी बोस कहते हैं कि मामले की गंभीरता मृत्यु दर से ही तय होगी और अभी देश में स्थिति उतनी चिंताजनक नहीं है.
कोरोना महामारी के कारण लंबी तालाबंदी के बाद दुनियाभर के कई देश धीरे-धीरे पाबंदियों में ढील दे रहे हैं. कई देशों में लंबी तालाबंदी के बाद जिंदगी सामान्य हो रही है. कई देशों में लॉकडाउन खत्म होने से लोग काम पर लौट रहे हैं.
तस्वीर: DW/R. Sharma
इटली
9 हफ्ते बाद लोगों को तालाबंदी में थोड़ी ढील मिली है. देश के नागरिकों को बाहर घूमने और रिश्तेदारों के यहां जाने की इजाजत है. 40 लाख लोग निर्माण कार्य और फैक्ट्रियां में काम पर लौट गए हैं. हालांकि आइसक्रीम पार्लर और बार अभी खोलने की इजाजत नहीं है. लोगों के लिए मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य है.
तस्वीर: Reuters/R. Casilli
जर्मनी
जर्मनी भी हालात सामान्य करने में जुट गया है. देश के कुछ स्कूल और व्यापारिक केंद्र 4 मई से खुल गए हैं. नाई की दुकानें करीब दो महीने बाद खुल गई हैं. सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सख्त पाबंदी लगाई थी. रविवार को लोग नदी किनारे टहलते नजर आए.
तस्वीर: DW/R. Sharma
स्पेन
स्पेन ने भी लॉकडाउन में ढील दे दी है. यहां सोमवार 4 मई से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में फेस मास्क अनिवार्य कर दिया गया है. 48 दिनों के लॉकडाउन के बाद शनिवार को लोग घरों से बाहर निकले और कसरत की. स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 18 मार्च के बाद पहली बार देश में कोविड-19 से सबसे कम मौत हुई है.
तस्वीर: Reuters/J. Medina
हंगरी
स्लोवेनिया, पोलैंड और हंगरी में सार्वजनिक स्थलों और व्यवसायों को आंशिक रूप से दोबारा खोलने की इजाजत दी गई है. हंगरी में सोशल डिस्टेंसिंग और फेस मास्क अनिवार्य है. लेकिन कई पाबंदियां 4 मई से हटा ली गई हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Kisbenedek
भारत
भारत में लॉकडाउन का तीसरा चरण 4 मई से लागू हो गया है. सरकार ने कुछ गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दी है और कुछ गतिविधियां अब भी बंद हैं. देश की राजधानी दिल्ली में सरकारी और निजी दफ्तर खुल गए हैं. निजी दफ्तरों में 33 फीसदी अधिकतम कर्मचारी होंगे.
तस्वीर: Deepalaya
ईरान
ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने बीते दिनों ऐलान कर दिया था कि 4 मई से देश के बड़े हिस्सों में मस्जिदें दोबारा खोल दी जाएंगी. ईरान में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है.
तस्वीर: IBNA
मलेशिया
मलेशिया में कई व्यापारिक केंद्र खुल गए हैं. मलेशिया सरकार ने कोरोना वायरस के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ बिजनेस केंद्रों का खोलने का फैसला किया है. हालांकि इस कदम के बाद से सार्वजनिक रुख बंट गया है. लोगों का कहना है कि इस तरह से बिजनेस केंद्र खोलने से वायरस तेजी से फैल सकता है.
तस्वीर: Reuters/Lim Huey Teng
वियतनाम
वियतनाम में 4 मई को छात्र तीन महीने बाद स्कूल लौटे. स्कूल आने पर उनके शरीर का तापमान मापा गया और फिर उसके बाद उन्हें स्कूल में दाखिल होने दिया गया. एक छात्र ने कहा, "मुझे बहुत खुशी हो रही है. घर पर रहना बहुत उबाऊ है."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Dinh
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में भी लोग घरों से बाहर निकले और बाजार और रेस्तरां में जाकर मन पसंद काम किया. हालांकि लोग एहतियात बरतने के लिए मास्क पहनना और अन्य जरूरी सावधानी बरत रहे हैं.