चीन के सख्त कोविड प्रोटोकॉल के नियम तोड़ने वाले चार संदिग्धों को देश के दक्षिण में एक शहर में परेड में घुमाया गया.
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चीन के सख्त कोरोना वायरस विरोधी उपायों के तहत कम से कम चार संदिग्ध नियम तोड़ने वालों को देश के दक्षिण में एक शहर में सार्वजनिक रूप से बदनाम किया गया. राज्य मीडिया ने बताया कि गुआंग्जी के स्वायत्त क्षेत्र के जिनशी शहर में एक बड़ी भीड़ के सामने आरोपियों का सफेद सुरक्षात्मक सूट में जुलूस निकाला गया.
इन लोगों पर अवैध प्रवासियों को सीमा पार करने में मदद करने का आरोप है. प्रवासी पड़ोस के विएतनाम से हैं. महामारी के प्रकोप के बाद से ही चीन अपनी सीमाओं को लगभग पूरी तरह से बंद कर चुका है. सीमाओं को सील कर चीन बाहर से आने वाले संक्रमणों को रोकना चाहता है.
आटे और अंडे वाली अनोखी लड़ाई
स्पेन के एल्स एनफरिनैट्स फेस्टिवल को देख ऐसा लगता है कि यह कोई युद्ध है लेकिन इसमें हथियार के रूप में आटे और अंडे का इस्तेमाल होता है. जानिए, इस लड़ाई की असली वजह क्या है.
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200 साल पुराना उत्सव
1856 के दिसंबर के अंत से एलिकांटे प्रांत के इबी शहर में इस त्योहार को मनाया जाता रहा है. इस दिन एक तख्तापलट का मंचन किया जाता है जिसमें विरोधी दल एक दूसरे से आटे और अंडे से लड़ते हैं.
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असली जैसी "लड़ाई"
एल्स एनफरिनैट्स का उत्सव हर साल 28 दिसंबर को मनाया जाता है. यह दिन मासूम बच्चों का दिन होता है. इस दिन स्पेन में, जैसा कि 1 अप्रैल को जर्मनी और अन्य देशों में एक-दूसरे पर मजाक करने और चुटकुले बनाने का रिवाज है. इसी तरह से यहां मजाक होता है.
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एक नया मेयर
उत्सव में एक प्रकार का "तख्तापलट" का मंचन किया जाता है. प्रतिभागियों को पुरानी सैन्य वर्दी पहनाई जाती है और उनके चेहरों को रंगीन रंग से रंगा जाता है. वे एक दिन के लिए सत्ता हासिल करने की कोशिश करते हैं. उनमें से ही किसी को महापौर नियुक्त किया जाता है और बेतुके "कानून" पारित किए जाते हैं जिनका सभी को पालन करना होता है.
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'नया न्याय'
इबी में एल्स एनफरिनैट्स इस दिन शहर में परेड करते हैं. एल्स एनफरिनैट्स का मोटे तौर पर अर्थ है "आटे में ढके हुए" सुबह 9 बजे, पुरुष चर्च के चौक पर इकट्ठा होते हैं और हर साल यही मांग करते हैं-वे "नया न्याय" चाहते हैं.
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अंडे का हमला
जो कोई भी अनुपालन नहीं करता है, वह जुर्माना का जोखिम उठाता है या यहां तक कि जेल की कोठरी में समाप्त हो सकता है, जो चौक पर बनी है. "विपक्ष" इसे स्वीकार नहीं कर सकता और इसलिए वे जल्द ही वापस लड़ना शुरू कर देते हैं और एक जंगली लड़ाई शुरू होती है.
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गंभीर पृष्ठभूमि के साथ मजेदार दिन
यह उत्सव उस दिन को भी याद करता है जब बाइबिल के अनुसार, राजा हेरोद ने बेथलेहम में बच्चों को मारने का आदेश दिया था. यह आदेश ईसा मसीह को पकड़ने की उम्मीद में दिया गया था. राजा ईसा को एक प्रतियोगी मानता था. शाम को एक नृत्य के साथ यह उत्सव समाप्त होता है. हां सफाई भी होती है. रिपोर्ट-क्लाउडिया डेन
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इस परेड का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में चारों आरोपी पीपीई किट पहने हुए नजर आ रहे हैं और हाथ में उनकी तस्वीर वाले प्लेकार्ड हैं. इनपर उनके नाम भी लिखे हुए हैं. इनके साथ दो-दो सुरक्षाकर्मी भी पीपीई किट पहने चल रहे हैं.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अभियान की वजह से चीन ने साल 2010 में संदिग्ध अपराधियों को इस तरह सार्वजनिक तौर पर सजा देने के चलन को बंद कर दिया था. लेकिन एक बार फिर इस तरह से सजा की तीखी आलोचना हो रही है.
वीबो पर एक यूजर ने लिख, "इस तरह के लोग इसके ही लायक हैं. क्या होगा अगर वे वायरस को देश के अंदर ले आएं?" यह तस्वीरें माओत्से तुंग के तहत 1966 से 1976 के बीच हुई सांस्कृतिक क्रांति के दौरान आम थीं. उस समय भी इसी तरह से आरोपियों को सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत किया जाता था.
चीनी सरकार ने 2010 में अपराधियों की सार्वजनिक बदनामी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन हाल के महीनों में यह प्रथा कोरोना वायरस विरोधी कार्रवाई के मद्देनजर बार-बार सामने आई है.
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)
भारत तक कैसे पहुंचता है नया साल
भारत में जब नया साल पहुंचता है तो साढ़े आठ घंटे पुराना हो चुका होता है. देखिए, भारत तक कैसे पहुंचता है नया साल.
तस्वीर: IANS
3:30 बजे
सबसे पहले नया साल होता है समोआ में. तब भारत में दोपहर बाद साढ़े तीन बजते हैं.
तस्वीर: AP
4:30 बजे
जब भारत में शाम के साढ़े चार बजते हैं तो न्यूजीलैंड में लोग नया साल मना रहे होते हैं.
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5:30 बजे
भारत के शाम साढ़े पांच बजे नया साल पहुंचता है द्वीपीय देश तुवालू में.
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6:30 बजे
ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर सिडनी में जब नए साल की आतिशबाजी शुरू होती है, तब भारत में शाम के साढ़े छह बजते हैं.
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7:30 बजे
नया साल घंटाभर आगे बढ़कर ऑस्ट्रेलिया के ही ब्रिसबेन में पहुंच पाता है. तब भारत में तो साढ़े सात ही बजे हैं.
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8:30 बजे
नया साल आगे बढ़ता है जापान और दक्षिण कोरिया की ओर, जब भारत में साढ़े आठ बजते हैं.
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9:30 बजे
सिंगापुर में नए साल का जश्न शुरू होते वक्त भारत में रात के साढ़े नौ बजते हैं.
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10:30 बजे
नए साल का अगला पड़ाव होता है थाईलैंड, जब भारत में साढ़े दस बजते हैं.
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11:30 बजे
भारत में जब साढ़े ग्यारह बज जाते हैं तब नया साल उसके पड़ोस में यानी बांग्लादेश पहुंचता है.
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और फिर भारत
और साढ़े आठ घंटे की यात्रा कर नया साल आखिरकार भारत पहुंचता है यानी वहां 00:00 बजते हैं.