कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के लिए पुलिस के जवान फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं. काम के दौरान उन्हें भी संक्रमण का खतरा रहता है. कुछ पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए हैं.
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देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण से पुलिस कांस्टेबल की मौत का पहला मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 मई को कांस्टेबल अमित राणा की तबियत अचानक खराब हुई, तेज बुखार आया और सांस लेने में दिक्कत हुई. अमित के साथी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन 24 घंटे के भीतर ही उनकी मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 6 मई को जब अमित के सैंपल की रिपोर्ट आई तब इस बात की पुष्टि हुई कि अमित को कोविड-19 था. बताया जाता है कि 4 मई की शाम तक अमित बिल्कुल स्वस्थ थे और अचानक बीमार हुए और इस तरह से उनकी मौत हो गई. दिल्ली में पुलिस को लॉकडाउन लागू कराने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. उन्हें हॉटस्पॉट में भी ड्यूटी करनी पड़ रही है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. खाना बंटवाना हो या फिर अस्पताल के इलाके की सुरक्षा, पुलिसवालों की ड्यूटी हर जगह लग रही है और खतरा उनके बेहद नजदीक है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस के अब तक 70 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
यही हाल पूरे देश का है, हाल के दिनों में सैकड़ों पुलिस वाले कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं. पहले से ही दबाव झेल रही पुलिस फोर्स के लिए यह एक तरह की खतरे की घंटी है. देश में लॉकडाउन को लागू कराना हो या फिर हॉटस्पॉट इलाकों की निगरानी हो पुलिस ही इन सब पर नजर रख रही है. करीब 30 लाख पुलिसकर्मी यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि देश की 1.3 अरब आबादी अपने घरों में रहे. देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है और कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले 52 हजार के करीब पहुंच गए हैं जबकि 1,700 के ऊपर मौतें हो चुकी हैं. महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि राज्य में पुलिसबल में पिछले हफ्ते मामले दोगुने हो गए हैं. महाराष्ट्र में वैसे भी कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं और यहां मौत भी सबसे अधिक हुई है. पुलिस अधिकारी ने बताया, "राज्य पुलिस के 450 से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और चार की मौत इस वायरस के कारण हुई है."
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि राज्य की पुलिस के लिए विशेष तौर पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. यह कंट्रोल रूम पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के लिए बने हैं. इसी हफ्ते पड़ोसी राज्य गुजरात में पुलिस को विरोध कर रहे प्रवासी मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे. दिल्ली में शराब की दुकानों के बाहर जमा हुई भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा. यही नहीं पिछले महीने पंजाब में एक पुलिसकर्मी का हाथ काट दिया गया क्योंकि एएसआई ने लोगों से कर्फ्यू पास दिखाने को कहा था. कम से कम छह राज्यों के छह वरिष्ठ पुलिस अफसरों का कहना है कि पुलिसकर्मी सिक लीव की मांग कर रहे हैं, उन्हें डर है कि कहीं वे भी बीमार ना हो जाए. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय इस बात से अवगत है और हालात पर नजर बनाए हुए है.
मुंबई पुलिस के कर्मचारी जिन्होंने अपना उपनाम सलुंखे बताया कहते हैं, "COVID-19 प्रभावित क्षेत्रों में गश्त और भीड़ नियंत्रण करना अपराधियों से लड़ने से ज्यादा खतरनाक हो गया है. उन मामलों में हम अपराधी को देख पाते हैं." एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गुजरात में पुलिस के 155 जवान और अधिकारी संक्रमित हुए हैं जबकि कुछ अर्धसैनिक बलों के लोग भी वायरस की चपेट में आए हैं. अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर का कहना है कि पुलिस और अर्धसैनिक बल के 95 सदस्यों को कोविड-19 के कारण अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा है.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
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पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.