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समाज

कोरोना के कारण और घटी महिलाओं की कमाई

१५ मई २०२०

जर्मनी में हुए एक नए सर्वे की मानें तो कोरोना संकट के कारण महिलाओं और पुरुषों के बीच पहले से ही मौजूद आय का अंतर और गहराएगा. कई कामकाजी महिलाओं को नौकरी के घंटे कम कर घरेलू जिम्मेदारियां उठाने में समय लगाना पड़ रहा है.

Frau arbeitet im Home Office
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Grill

लॉकडाउन के कारण स्कूलों और नर्सरियों के बजाय घर में रहने वाले बच्चों की देखभाल में मांओं का पहले से कहीं ज्यादा समय लग रहा है. जर्मन घरों को देखें, तो नया सर्वे दिखाता है कि कैसे 14 साल के कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों में 27 फीसदी महिलाओं ने नौकरी के घंटों में कटौती की है जबकि केवल 16 फीसदी पुरुषों को बच्चों की देखभाल के लिए ऐसा करना पड़ा है. यह सर्वे रिसर्च संस्थान हंस बोएक्लर फाउंडेशन ने कम के कम 7,700 कर्मचारियों से बातचीत के आधार पर किया है.

जर्मनी में कोरोना वायरस को रोकने के लिए 17 मार्च से स्कूल और नर्सरी को बंद करने की शुरुआत हो गई थी ताकि वायरस के संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सके. मई के पहले हफ्ते से बच्चों को थोड़ी थोड़ी संख्या में स्कूलों में फिर से वापस लौटाने की शुरुआत हो गई लेकिन अगस्त-सितंबर के पहले सभी बच्चों के स्कूल में वापस जाने की संभावना नहीं है.

पुरुषों को भी करनी पड़ी है अपने नौकरी के घंटों में कटौती.तस्वीर: imago Images/Westend61

जर्मनी में कामकाजी महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले औसतन 21 फीसदी कम पैसे कमाती हैं. पूरे यूरोपीय संघ में जर्मनी महिलाओं के वेतन में बहुत ज्यादा अंतर वाले देशों में शामिल है. इसका कारण कुछ हद तक यह भी है कि जर्मनी में बहुत सारी महिलाएं पार्ट टाइम काम करने के मौके का इस्तेमाल करती हैं. फाउंडेशन के आर्थिक और समाजशास्त्र विभाग की निदेशिका बेटीना कोलराउष बताती हैं, "जितना अंतर अभी है, कोरोना वायरस के संकट के चलते वह और बढ़ सकता है."

कोरोना के लॉकडाउन काल में और ज्यादा महिलाओं ने अपने नौकरी के घंटों में कमी की है. खासतौर पर निम्न से लेकर मध्यम आय वाले घरों की महिलाओं ने इस दौरान घरेलू कामों की जिम्मेदारी के चलते नौकरी के घंटे कहीं ज्यादा घटाए हैं. इस पर कोलराउष कहती हैं, "गरीब परिवारों में कई बार घर के पुरुष की सैलरी के बिना गुजारा मुश्किल होता है क्योंकि अक्सर वह महिला से ज्यादा होती है.” सर्वे में, 14 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रहने वाले 48 प्रतिशत माता-पिता ने इस संकट के दौर में अपनी स्थिति को "बेहद” से लेकर "काफी तनावपूर्ण" बताया है.

आरपी/एमजे (रॉयटर्स)

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