क्या ओडर नदी में फिर से बड़ी संख्या में मर सकती हैं मछलियां?
२४ जून २०२३पोलैंड में ओडर नदी से जुड़ी नहरों में हाल ही में मरी हुई मछलियां मिली हैं. यह इलाका जर्मनी और पोलैंड की सीमा के नजदीक स्थित है. इस घटना ने एक बार फिर पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है. उन्हें आशंका है कि यह घटना पिछले साल नदी में हुई पारिस्थितिक तबाही की पुनरावृत्ति का संकेत दे रही है.
आधिकारिक जांच के मुताबिक, जुलाई और अगस्त 2022 में दोनों देशों में ओडर नदी से कम से कम 300 टन मरी हुई मछलियां निकाली गई थीं. माना गया था कि पानी में खारापन बढ़ जाने की वजह से जहरीले सुनहरे शैवाल काफी ज्यादा बढ़ गए और आखिरकार इतनी ज्यादा तादाद में मछलियां मारी गईं.
संभावना जताई जा रही है कि खेती और सीवेज सिस्टम की वजह से नदी में पोषक तत्वों की कमी, जलवायु परिवर्तन के कारण लंबे समय तक चलने वाली गर्म लहरों और निम्न जल स्तर की वजह से इस तरह की घटना बढ़ गई है.
पोलिश अधिकारियों ने बताया कि 450 किलो मरी हुई मछलियां मिलने के बाद इस महीने की शुरुआत में ऊपरी सिलेसियन कोयला क्षेत्र में ग्लिविस नहर में उसी जहरीले शैवाल का पता चला.
जर्मनी के लाइबनित्स इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर इकोलॉजी एंड इनलैंड फिशरीज के शोधकर्ता क्रिश्टियान वाल्टर ने कहा, "फिलहाल नहरों में ही मरी हुई मछलियां मिली हैं, लेकिन गर्म मौसम, पानी का निम्न स्तर, काफी ज्यादा खारापन और पोषक तत्वों की कमी जैसी समस्या अब भी मौजूद है, जिससे गर्मियों में काफी ज्यादा मछलियों के मरने की स्थिति बन रही है.”
दुनिया की सबसे बड़ी झीलों से गायब हुआ खरबों लीटर पानी
वाल्टर ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारे सामने यह भी समस्या है कि हमने पिछले साल न सिर्फ मछलियां खोईं, बल्कि सीपियां भी खोईं. ये सीपियां पानी को साफ करती हैं. सीपियां नदी में शैवाल की प्राकृतिक दुश्मन हैं और अब वे भी काफी ज्यादा कम हो गई हैं.”
पर्यावरण समूहों ने पोलैंड पर कोयला खदानों की अनदेखी करने का लगाया आरोप
पोलिश सरकार ने मार्च में ओडर नदी की 24 घंटे यानी हर समय निगरानी रखने के लिए एक प्रणाली स्थापित की. जहरीले शैवाल के पनपने की संभावना के बारे में जानने के लिए पानी का परीक्षण किया. साथ ही, हाल ही में सीवेज प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए बिल को मंजूरी दी, जिससे उद्योगों से निकलने वाले खारे पानी को सीधे नदियों में जाने से रोका जा सकेगा.
हाल में मरी हुई मछलियां मिलने के बाद पोलैंड के जलवायु और पर्यावरण मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन टीम की बैठक बुलाई. इस टीम ने कई सिफारिशें की हैं. इनमें "सुनहरे शैवाल” को बढ़ने और विषैले फूलों को खिलने से रोकने के लिए प्राकृतिक सुरक्षात्मक अवरोध बनाने के साथ-साथ औद्योगिक और घरेलू कचरे का प्रबंधन शामिल है.
ओडर नदी में मरी मछलियों का रहस्य नहीं सुलझा
पोलैंड की जलवायु मामलों की मंत्री अन्ना मोस्कवा ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया, "मुझे विश्वास है कि हमने वह सब किया है जो किया जा सकता था. पिछले कुछ हफ्तों से हम इसी मुख्य चुनौती से निपटने में लगे हैं.”
हालांकि, पोलैंड में ग्रीनपीस और जर्मनी में बीयूएनडी जैसे पर्यावरण समूहों ने आरोप लगाया है कि इन शैवालों के बढ़ने के पीछे की जो मुख्य वजह है उसे पोलिश अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं. वह वजह है कोयला खदानों और अन्य उद्योगों से नदी में छोड़ा जाने वाला कचरा, जिसकी वजह से पानी में खारापन काफी ज्यादा बढ़ रहा है.
बीयूएनडी में जल नीति अधिकारी साशा मायर ने डीडब्ल्यू को बताया, "अधिकारी इस बात को स्वीकार नहीं करते कि पानी में बढ़ता खारापन मुख्य समस्या है. वे कहते हैं कि पोषक तत्वों की कमी हो रही है और इसके लिए घरेलू लोग जिम्मेदार हैं. इससे निपटने के लिए काफी ज्यादा निवेश करना होगा.”
मार्च में प्रकाशित ग्रीनपीस पोलैंड के एक अध्ययन में पाया गया कि ओडर की कई सहायक नदियों के पानी में मौजूद खारापन बाल्टिक सागर से अधिक था. ये ऐसी नदियां हैं जहां कई कोयला खदानों से निकलने वाला गंदा पानी गिराया जाता है. समूह ने इस परिणाम को "भयानक” बताया, क्योंकि बाल्टिक सागर खारे पानी वाला समुद्र है और ओडर मीठे पानी वाली नदी है.
ग्रीनपीस ने पोलिश अधिकारियों से कहा है कि वे कोयला खदानों द्वारा ओडर और अन्य नदियों में गिराए जा रहे गंदे पानी को लेकर ज्यादा सख्ती बरतें. साथ ही, जल कानून के तहत खनन कंपनियों को दी जा रही छूट की जांच की जाए. दरअसल, 2022 में पोलैंड में कुल बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 70 फीसदी थी. देश सरकारी कोयला खदानों को 2049 तक चालू रखना चाहता है.
अलग-अलग देशों के बीच बेहतर सहयोग का आह्वान
बीयूएनडी की मायर ने कहा, "ओडर नदी का प्रबंधन थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि यह तीन देशों से होकर गुजरती है. चेक गणराज्य से शुरू होकर पश्चिमी पोलैंड से गुजरते हुए जर्मनी के कुछ हिस्सों में भी बहती है.”
ओडर नदी पोलैंड और जर्मनी के इस इलाके में जीवनधारा की तरह काम करती है. यह पोलैंड से बहने वाली दूसरी सबसे बड़ी नदी है. चेक गणराज्य से निकलने के बाद ओडर नदी पश्चिमी पोलैंड में 700 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करके, जर्मनी और पोलैंड के बीच 187 किलोमीटर लंबी सीमा बनाती है.
बीयूएनडी ने कहा, "ओडर नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आयोग बना हुआ है, जो तीनों देशों के बीच का संयुक्त समझौता है. इसे बरकरार रखने की जरूरत है.”
मायर ने कहा, "हालांकि, यह आयोग काफी कमजोर है. ओडर नदी बेसिन का ज्यादातर हिस्सा पोलैंड में है, इसलिए आयोग में सबसे ज्यादा प्रभाव पोलैंड का है. चेक गणराज्य और जर्मनी थोड़ा बहुत दबाव डालने की कोशिश कर सकते हैं.”
जर्मनी की पर्यावरण मंत्री स्टेफी लेम्के ने 7 जून को पोलैंड की पर्यावरण मंत्री से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान उन्होंने शुरुआती चेतावनी प्रणाली बनाने के लिए जर्मनी और पोलैंड के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया. साथ ही, पोलैंड में ओडर नदी में खारा पानी गिराए जाने की सीमा तय किए जाने पर भी चर्चा की. पोलैंड की पर्यावरण मंत्री ने भी अपने पड़ोसी के साथ मिलकर काम करने का वादा किया और कहा कि ‘अवैध' तरीके से नदी में गंदा पानी गिराए जाने पर रोक लगा दी गई है.
हालांकि, ग्रीनपीस ने कहा कि कानूनी रूप से गिराए जाने वाले पानी से जुड़ी समस्या को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ. जर्मन मंत्री लेम्के ने बैठक के बाद जर्मनी के सरकारी टीवी को बताया कि रिपोर्टिंग डाटा और आंकलन से जुड़ी प्रणालियों को बेहतर बनाया गया है, लेकिन मछलियों को मरने से बचाने के लिए "नदी में छोड़ा जाने वाला खारा पानी निर्णायक कारक है.”
ओडर को प्राकृतिक तरीके से बहने दिया जाए
पोलैंड में इस साल के अंत में आम चुनाव होने वाले हैं. मायर का मानना है कि पोलिश सरकार आम चुनाव से पहले कोई बड़ा कदम नहीं उठाएगी. इसलिए, इस समस्या को हल करने के लिए, यूरोपीय आयोग को जर्मनी और पोलैंड, दोनों पर दबाव बनाना चाहिए.
बीयूएनडी और पोलैंड के अन्य पर्यावरण समूहों ने कहा कि नदी की रक्षा के लिए खारा पानी गिराने की निगरानी और उससे जुड़े रोकथाम के उपायों के अलावा भी काफी कुछ करने की जरूरत है. ओडर को सिर्फ माल ढोने वाली नाव और पर्यटन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जलमार्ग नहीं माना जाना चाहिए. अगर देश यह चाहते हैं कि नदी में कोई दूसरी आपदा न आए, तो जितना संभव हो सके उतना इसे प्राकृतिक बनाए रखने की जरूरत है. इसे अपने प्राकृतिक स्वरूप में बहने देना चाहिए.
मायर ने कहा, "उदाहरण के लिए, किसी तरह की तबाही आती है, लेकिन हमारे पास बाढ़ के बड़े मैदान हैं, तो मछलियां भी जहरीले लहर से बच सकती हैं.”
इस बीच, पोलैंड में ओडर के किनारे रहने वाले लोग यह उम्मीद खो रहे हैं कि यह नदी फिर से अपने पुराने स्वरूप में वापस आ सकती है. नदी की मौजूदा स्थिति को लेकर रेज्जर्ड गावरोन कहते हैं, "मैं इस नदी के किनारे ही बड़ा हुआ हूं. नदी के किनारे ही हमारा खेलने का मैदान था.”
उन्होंने कहा, "मैंने यहीं से मछली पकड़ना शुरू किया था. मौजूदा स्थिति मेरे लिए एक बड़ा झटका है. अब सब खत्म हो गया है. अब मेरी उम्मीद खत्म हो गई है. मुझे नहीं लगता कि इस प्रदूषित पानी में मछली पकड़ने का कोई मतलब है.”