क्या जलवायु परिवर्तन जर्मन वाइन के लिए अवसर बन सकेगा ?
१० जून २०२३"ये डायनोसोर का स्वाद चखने जैसा है. जलवायु परिवर्तन में आप ये वाइन्स फिर से नहीं बना सकते."
सूट और टाई में सजे-धजे डीइटर ग्राइनर एक भव्य, लकड़ी की नक्काशी वाले हॉल में बैठे कई वाइन निर्माताओं के बीच मुस्करा रहे हैं. उनके पीछे की दीवार पर काले कपड़े पहने, तटस्थ चेहरे वाले जर्मन भिक्षु कतार में लगे अपने चित्रों से झांक रहे हैं. ग्राइनर के सामने और कमरे में मौजूद हरेक व्यक्ति के सामने रखी मेज पर वाइन के नौ गिलास रखे हैं, जिनमें ऐंबर यानी भूरे-पीले रंग वाली रीजलिंग भरी हुई है. इसे आइस वाइन भी कहा जाता है. सबसे पुरानी 1981 की है.
तापमान में बढ़ोत्तरी की वजह से, उनकी वाइनरी में 2012 से उस किस्म की रीजलिंग नहीं तैयार हो पा रही है. ग्राइनर बताते हैं कि ये वाइन ठंडे मौसम पर निर्भर है. उधर उनके मेहमान अपने गिलासों को सूंघते और हिलाते हैं.
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जर्मन वाइन विशेषज्ञ ग्राइनर अपने वाइन उत्पादन के लिए विख्यात एक पूर्व सिस्टरसियन मठ- क्लोस्टर एबरबाख के प्रबंध निदेशक हैं. जून में, जर्मनी की राइन नदी के किनारे स्थित ईसाई मठ ने अपने वाइन आर्काइव की झलक पेश की. इस खास टेस्टिंग इवेंट में यूरोप भर के चुने हुए वाइन निर्माता बुलाए गए थे. दो दिन तक, फ्रांस, स्पेन, इटली और अन्य जगहों से वाइन उद्योग से जुड़े दर्जनों लोग मठ में जमा हुए, उन्होंने जर्मन रीजलिंग की 101 किस्म की पुरानी वाइनों का स्वाद चखा.
जर्मन परंपरा के कसीदे गढ़ता 'वाइन का जी20'
जर्मन वाइन निर्माता और वाइन के विशेषज्ञ-वेटर रह चुके राल्फ फ्रेन्सल ने डीडब्ल्यू को इवेंट शुरू होने से पहले दिए एक इंटरव्यू में बताया कि "विचार जर्मन वाइन और जर्मन संस्कृति की ओर ध्यान खींचने का है." फ्रेन्सल के मुताबिक "वाइन का ये जी20" मठ और उनकी वाइन पत्रिका "फाइन" के बीच सहयोग है. फ्रेन्सल को उम्मीद है कि इस इवेंट से विदेशों में जर्मनी की कलनरी यानी पाक्-कला छवि का विस्तार होगा जिसमें बीयर के अलावा और भी चीजें शामिल की जा सकेंगी.
दूसरे देशों में प्रेजन्टेशन देते हुए, फ्रेन्सल कहते हैं कि वो हमेशा एक स्लाइड रखते हैं जिसमें लेदर की हाफपेंट पहने एक बंदर को बीयर पीते और जाउअरक्राउट (खट्टी नमकीन पत्तागोभी) खाते दिखाया गया है.
वो कहते हैं, "फिर मैं दूसरी स्लाइड दिखाता हूं जो कहती हैः 321 एक सितारा मिशेलिन रेस्तरां, 58 दो सितारा रेस्तरां और 12 तीन सितारा रेस्तरां. ये उन जर्मन रेस्तरां की लिस्ट है जिन्हें प्रतिष्ठित कलनरी अवार्ड से सम्मानित किया गया है."
हम लोग ऐसे ही एक रेस्तरां की बालकनी में बैठे हैं. एन्टे नाम का ये रेस्तरां वीजबाडेन में है जहां फ्रेन्सल ने 1980 के दशक में अपनी शुरुआत वाइन वेटर के रूप में की थी. उन दिनों, उत्पादन के स्तरों में गिरावट ने जर्मन वाइन की प्रतिष्ठा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था. पिछले 40 साल में, जर्मन वाइन निर्माता और वेटर-विशेषज्ञ ने उस साख को बहाल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया है जो पहले विश्व युद्ध से पूर्व वर्ल्ड क्लास थी जब जर्मनी यूरोपीय धनिकों के लिए एक लोकप्रिय ठिकाना हुआ करता था.
जर्मन राजनीति बरतती है दूरी
बाल्कनी से फ्रेन्सल अपने मेहमानों को आता हुआ और वाइन का पहला गिलास थामते देखते हैं. गौरतलब अनुपस्थिति उन जर्मन राजनीतिज्ञों की है जिन्हें उन्होंने दावत दी थी. इस बात को वो खिन्न होकर रेखांकित करते हैं. इतनी राहत उन्हें मिल गई कि वीजबाडेन के मेयर दावत में आ गए. लंच से पहले आए और शहर के टूरिस्ट आकर्षणों की लंबी फेहरिस्त नीरसता में पढ़ते चले गए.
एक भूखा मेहमान भुनभुना उठा, "हम समझ गए, शानदार शहर है."
फ्रेन्सल कहते हैं कि अगर यही कार्यक्रम पेरिस में हो रहा होता तो फ्रांस के राष्ट्रपति खुद वहां मौजूद होते, उद्घाटन करने. लेकिन फ्रांस जैसे देशों से उलट, जहां वाइन राष्ट्रीय संस्कृति के केंद्र में पुख्ता ढंग से मौजूद है, जर्मनी को अपनी वाइनों की क्वालिटी को लेकर पर्याप्त गौरव नहीं महसूस होता.
वह कहते हैं, "ठीक वहीं पर आप इस जर्मन कम कीमत वाली मानसिकता को असल में देख लेते हैं और मेरे ख्याल से ये बड़े शर्म की बात है. राजनीतिज्ञ और भी बहुत कुछ कर सकते हैं. खासकर विदेशों में, जर्मन गुणवत्ता के बारे में बता सकते हैं कि उसके क्या मायने हैं- क्योंकि वो दरअसल है ही बड़ी जबरदस्त!"
आज जर्मनी में उपभोक्ता सामान की कीमत कई लोगों के लिए निहायत ही ऊंची है. पिछले साल ऊर्जा कीमतों ने दूसरी चीजों के दाम भी बढ़ा दिए. देश अभी मंदी में है. इसीलिए राजनीतिज्ञ ऐसी दावतों में आने से बचते हैं जिन्हें कई लोग विलासी आयोजन करार दे सकते हैं.
फ्रेन्सल कहते हैं कि "मेहमान जब आते हैं तो हमें उन्हें अपनी सबसे बढ़िया चीज पेश करनी ही होगी. और उसे गलत नहीं समझा जाना चाहिए. विदेशों में एक अच्छी वाइन की कीमत 50 डॉलर से 100 डॉलर के बीच है. और यहां जर्मनी में हम मोल-भाव के बाद वाइन ले रहे हैं."
सबसे गरम साल में जर्मन वाइन में उछाल
खाना खत्म हुआ. मेहमान रेस्तरां से निकलकर निजी कारों के काफिले की ओर बढ़ रहे हैं जो उन्हें राइन घाटी की पहाड़ियों पर बने मठ तक ले जाएंगी.
दो दिनों के दौरान, वाइन टेस्टिंग से 20 मिनट का आना जाना होता है और काम की बात करने के लिए एक शांत वातावरण मिलता है. ऑस्ट्रिया के एक वाइनमेकर ने एक जर्मन वाइनमेकर को बताया कि जलवायु परिवर्तन के लिए उनकी इंडस्ट्री क्या तैयारी कर रही है. एक इतालवी वाइनमेकर और फ्रांस के शैम्पेन उस्ताद, आपस में मजाक कर रहे है कि जर्मनी के 1,03,000 हेक्टेयर वाइनयार्डो को मैनेज करना कितना आरामदेह होगा. सरकारों के एक पारस्परिक संगठन, अंगूर और शराब के अंतरराष्ट्रीय संगठन की 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में फ्रांस और इटली के पास अंगूर की खेती के लिए पूरी दुनिया का क्रमशः 11 और 10 फीसदी क्षेत्र उपलब्ध था. राइन नदी और दूसरे इलाकों में अपने शराब उत्पादक इलाकों के रूप में जर्मनी के हिस्से सिर्फ 1.2 फीसदी जमीन थी. रूस और अफगानिस्तान में भी यही स्थिति थी.
लेकिन जर्मनी थोड़े में भी बहुत कर रहा है. 2022 में, साउथ अफ्रीका के बाद और पुर्तगाल से पहले जर्मनी दुनिया का नौंवा सबसे बड़ा वाइन उत्पादक देश था. और जर्मनी पिछले साल अपना वाइन उत्पादन बढ़ाने वाला यूरोपीय संघ का इकलौता देश था. इस कामयाबी का श्रेय जाता है, अंगूर की खेती के सूखे और गरम होते सीजन को. जर्मनी के मौसम संगठन के मुताबिक देश में 1881 में रिकॉर्ड रखे जाने की शुरुआत से 2022 सबसे गरम साल था.
ज्यादा गरम मौसम पर बंटी वाइन निर्माताओं की राय
क्लोस्टर एबरबाख में पहले दिन, ग्रुप ने 40 किस्म की रीजलिंग्स का स्वाद चखा. टेस्टिंग के दौरान माहौल शांत था, सबका ध्यान एक जगह ही है, इम्तिहान की तरह. हॉल के इर्दगिर्द वाइन निर्माता अपने गिलासों को हिला रहे हैं, वाइन को सूंघ रहे हैं, उसका घूंट भर रहे हैं और स्वाद चखने के फौरन बाद ही मेज पर रखे एक छोटे से बर्तन में उलट दे रहे हैं. स्वाद और सुगंध के बारे में टिप्पणियां दर्ज करने के बाद वे उन पर बहस करते हैं.
नाशपाती. जड़ी बूटियां. जर्बदस्त संरचना. "मुझे दिख रहा है...खलिहान," एक मेहमान खुशी से फुसफुसाता है, "घोड़े."
दोपहर में, ये ग्रुप एबरबाख के वाइनयार्डों का दौरा करता है. प्रबंध निदेशक ग्राइनर मेहमानों के साथ एक हरे, अंगूर की बेल से ढकी ढलान पर खड़े हैं. कुछ दूर, आपको रेंगती हुई राइन नदी बामुश्किल ही दिखती है. नजदीक जाने पर, वो भिक्षुओं की बनाई सदियों पुरानी एक पत्थर की दीवार की ओर इशारा करते हैं.
तबसे काफी कुछ बदल गया है. भिक्षुओं को गए लंबा समय हुआ. आज हेसन सूबा वाइनरी का मालिक है. मौसम भी और गरम हो चला है. पिछले साल, राइन नदी के किनारे जर्मन विनयार्डों में ढाई महीने कोई बारिश नहीं हुई. "हमने पहले कभी ऐसा नहीं देखा," ग्राइनर ग्रुप को बताते हैं. ग्रुप में मिलीजुली प्रतिक्रिया होती है.
एक फ्रांसीसी वाइनमेकर कहता है, "मुझे लगता है- और आज फ्रांस में कई लोग मानते हैं- कि ग्लोबल वॉर्मिंग वाइन के लिए एक बढ़िया चीज है. वाइन इतनी अच्छी पहले कभी नहीं थी!"
इसके जवाब में एक दूसरी आवाज उभरती है, "सिर्फ अभी!"
ग्राइनर कूटनीतिक ढंग से सुनते हैं और तब प्रतिक्रिया देते हैं.वो मानते हैं कि, "हम नई चुनौतियों का सामना करते हैं लेकिन आम क्वालिटी ज्यादा बढ़िया है. चुनौतियां तो हैं."
बदलती जलवायु से बदलता सूरते-हाल
टेस्टिंग हॉल में डीडब्ल्यू ने म्यूनिख स्थिक लेबनानी वाइनमेकर मार्क होचार से पूछा कि क्या उन्हें भी गरम होता मौसम, अपने उद्योग के लिए एक अवसर की तरह दिखता है. वो इस पर खुलकर कुछ भी कहने से हिचकिचाते हैं.
वो कहते हैं, "बदलाव तो है, इसमें कोई शक नहीं, और ये किसी पर और की अपेक्षा ज्यादा असर डाल रहा है, जबकि कुछ लोग फायदे में हैं." वो जर्मनी की रेड वाइन और ब्रिटेन की स्पार्कलिंग वाइनों की बढ़ती हुई क्वालिटी की बात करते हैं. लेकिन सब लोग ऐसा नहीं मानते. "अगर आप ज्यादा गरीब देशों की ओर जाएं तो पाएंगे कि वे तकलीफ में हैं."
दूसरे दिन, ग्रुप के पास 60 और वाइन बची हैं स्वाद लेने के लिए. तरीका वही है- सूंघना, घूंट भरना, थूकना, वापस यही.
विंटेज वाइनें चलन में हैं. 1910, 1905 और 1901 में बोतल में भरी गई वाइन, जल्द ही पेश की जा रही हैं. स्वाद चखने वाले यानी टेस्टर्स उम्र और पुरानेपन से गद्गद् हो उठते हैं. इन पेशेवर वाइन जानकारों को भी मुश्किल से ही ऐसी पुरानी वाइन को आजमाने का मौका मिल पाता है.
टाइम ट्रैवल जारी है, बात है 19वीं सदी की. परोसी गई 79वीं वाइन, 1893 की है. पूरी खेप में सबसे पुरानी शराब रीजलिंग को रुडेशहाइम में नदी के नीचे बोतलों में बंद कर रखा गया था. उस दौरान क्रमशः भारत, जर्मनी और चीन से क्रमशः विक्टोरिया, विल्हेल्म द्वितीय और ग्वानजू बादशाहों की तरह हुकूमत चलाते थे.
डीडब्ल्यू ने भी ये स्वाद चखा है. गोल्डन वाइन मीठी है और अपने पुरानेपन के लिहाज से शानदार है. वो एक अजीब सी भावना होती है जब आप 130 साल पहले जीवित रहे लोगों की बनाई वाइन का घूंट भरते हैं. और लेखक को महसूस होता है कि उनका इतिहास के साथ इतना करीबी सामना कभी नहीं हो सका था.
भविष्य के लिए, फ्रेन्सल के मुताबिक, शानदार जर्मन वाइन पैदा करने के अवसर उपलब्ध हैं. खासकर जलवायु स्थितियां जर्मनी के पक्ष में हैं- कम से कम अभी के लिए. लेकिन जर्मन वाइन उद्योग को कड़ी मेहनत करते रहनी होगी और खुद को किसी तरह की ढील नहीं देनी होगी.
वो कहते हैं, "क्योंकि बढ़िया हमेशा बेहतरीन का दुश्मन होता है."