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प्रकृति और पर्यावरणदक्षिण कोरिया

प्लास्टिक प्रदूषण पर नहीं हो पाया अंतरराष्ट्रीय समझौता

२ दिसम्बर २०२४

बुसान में प्लास्टिक पर अंतरराष्ट्रीय संधि की कोशिशें नाकाम हो गई हैं. गहरे मतभेदों के चलते देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई.

बुसान में प्लास्टिक पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
दक्षिण कोरिया में विफल हुआ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनतस्वीर: Ahn Young-joon/AP/dpa/picture alliance

प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक संधि की कोशिशें नाकाम हो गई हैं. दक्षिण कोरिया के बुसान में एक हफ्ते की बातचीत के बाद भी देश किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके. प्रमुख मुद्दों पर गहरी असहमति के चलते फैसले टाल दिए गए हैं. अब बातचीत अगले चरण में होगी.

यह बैठक प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक बड़ा कदम मानी जा रही थी. लेकिन कई देशों के बीच बुनियादी मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई.

यूएन पर्यावरण प्रोग्राम की डायरेक्टर इंगर एंडरसन ने कहा, "स्पष्ट है कि अभी भी गंभीर मतभेद हैं.”

मुख्य विवाद क्या हैं?

पनामा के नेतृत्व में 100 से अधिक देश चाहते हैं कि प्लास्टिक उत्पादन पर रोक लगाई जाए. उनका कहना है कि उत्पादन कम किए बिना प्रदूषण रोकना संभव नहीं. जैसा कि यूरोपीय संघ के विशेष दूत एंथनी एगोथा ने कहा, "नल खुला हो तो फर्श पोंछने का कोई मतलब नहीं.” 

लेकिन सऊदी अरब, ईरान और रूस जैसे तेल उत्पादक देश इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि संधि का लक्ष्य प्लास्टिक खत्म करना नहीं, बल्कि उसके कचरे को संभालना होना चाहिए. कुवैत के प्रतिनिधि ने कहा, "प्लास्टिक ने समाजों को काफी फायदा पहुंचाया है. इसे पूरी तरह खत्म करना सही नहीं है.” 

रवांडा और नॉर्वे के नेतृत्व वाला हाई एंबिशन कोएलिशन (एचएसी) खतरनाक रसायनों पर प्रतिबंध चाहता है. फिजी के प्रतिनिधि ने इसे सबसे अहम बताया. एक यूएन रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक में 3,200 से ज्यादा खतरनाक रसायन होते हैं, जो खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए नुकसानदेह हैं.

लेकिन कुछ देशों ने इसे खारिज कर दिया. उनका कहना है कि पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय समझौते और राष्ट्रीय नियम पर्याप्त हैं. सेंटर फॉर इंटरनेशनल एनवायरनमेंटल लॉ (सीआईईएल) के अनुसार, बुसान में वार्ता के दौरान 200 से ज्यादा तेल और केमिकल उद्योगों के लॉबिस्ट मौजूद थे.

पैसों की दिक्कत

विकासशील देशों ने संधि लागू करने के लिए वित्तीय सहायता की मांग की. लेकिन अमीर देशों ने इस पर सहमति नहीं दी. वित्तीय मुद्दों पर मसौदे में कई विरोधाभासी विकल्प हैं.

चीन के प्रतिनिधि ने कहा, "संधि में देशों के बीच अंतर को ध्यान में रखना चाहिए और समानता दिखाई देनी चाहिए.” 

प्रक्रिया को लेकर भी विवाद हुआ. सऊदी अरब और अन्य देशों ने बातचीत को बार-बार टालने की कोशिश की. इससे अहम मुद्दों पर चर्चा धीमी हो गई. 

सम्मेलन के दौरान दक्षिण कोरिया में प्लास्टिक के विरोध में प्रदर्शनतस्वीर: Minwoo Park/REUTERS

सऊदी के प्रतिनिधि अब्दुर्रहमान अल ग्वाज ने कहा, "कभी सहमति बनी ही नहीं. कुछ अनुच्छेद मसौदे में डाले गए, जबकि हमने लगातार इसका विरोध किया.” 

सेनेगल के प्रतिनिधि चेख न्दियाये सिल्ला ने कहा कि वोटिंग की व्यवस्था नहीं होने से बातचीत रुक गई. 

समस्या गंभीर है

प्लास्टिक प्रदूषण का असर हर जगह दिख रहा है. माइक्रोप्लास्टिक हवा, पानी और यहां तक कि मां के दूध में भी पाया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उत्पादन और कचरे पर रोक नहीं लगी, तो 2050 तक प्लास्टिक उत्पादन तीन गुना हो जाएगा. 

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पनामा के प्रतिनिधि हुआन कार्लोस मोंटेरे गोमेज ने कहा, "हर दिन की देरी मानवता के खिलाफ है. संकट इंतजार नहीं करेगा.” 

अब अगली बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा होगी. यह बैठक 2025 के मध्य में हो सकती है. यह संधि पर्यावरण संरक्षण में पेरिस समझौते के बाद सबसे अहम कदम हो सकती है. लेकिन अभी सवाल यह है कि क्या समय रहते सभी देश एकमत हो पाएंगे.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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