कोरोना वायरस ने दुनिया भर की सरकारों को पर्यावरण सम्मत तरीके से सोचने का मौका दिया है. उद्योगों की मदद के लिए कुछ देशों ने इको फ्रेंडली शर्तें लगाई हैं.
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हवाईअड्डों पर विमान यूं ही खड़े हैं. कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में लगे ट्रैवल बैन के कारण कर्मशियल एविएशन का बुरा हाल है. औद्योगिक गतिविधियां भी धराशायी हो चुकी हैं. जलवायु विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन सात फीसदी गिर सकता है. लेकिन ऐसा तभी होगा जब दुनिया भर में कुछ पाबंदियां जारी रहें. ऐसा हुआ तो यह बीते 75 साल में सीओटू के उत्सर्जन में सबसे बड़ी गिरावट होगी.
अर्थव्यवस्थाएं भी बीमार हुई हैं. सरकारें कंपनियों को दुरुस्त करने के लिए अरबों यूरो के पैकेज का एलान कर रही हैं. पैकेज के जरिए महामारी से हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी. लेकिन क्या इसकी कीमत पर्यावरण को चुकानी पड़ेगी?
कोरोना ने इन कंपनियों की सांस फुलाई
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था, खासकर पर्यटन और विमानन उद्योग पर बड़ी मार पड़ी है. विश्वव्यापी तालाबंदी ने कई बड़ी कंपनियों की सांस फुला दी है. महीनों से रनवे पर खड़े विमानों ने एयरलाइन और होटल उद्योग का बुरा हाल किया है.
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रयान एयर
यूरोप की एक बड़ी बजट एयरलाइन रेयान एयर अपने तीन हजार कर्मचारियों को निकालने पर बात कर रही है. जिन कर्मचारियों को कंपनी निकालेगी नहीं, उनके वेतनों में भी कटौती की तैयारी हो रही है. भारी नुकसान के चलते कंपनी ये कदम उठा रही है.
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टुई
पर्यटन सेक्टर की दिग्गज कंपनी टुई की हालत भी कोरोना ने खराब कर दी. कंपनी अपने आठ हजार कर्मचारियों को निकलने पर विचार कर रही है. कंपनी ने कोरोना संकट को पर्यटन उद्योग के लिए अब तक का सबसे बड़ा संकट करार दिया है.
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हयात
दुनिया की मशहूर होटल चेन हयात भी अगले महीने अपने 1300 कर्मचारियों की छुट्टी कर रही है. इसके अलावा कंपनी ने वरिष्ठ पदों पर तैनात अधिकारियों के अलावा आम कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की है.
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ब्रसेल्स एयर
ब्रसेल्स एयर अपने चार हजार कर्मचारियों में 25 प्रतिशत को हटाने के लिए मजबूर है. बेल्जियम में लुफ्थांसा की इस सहायक एयरलाइन ने रिस्ट्रक्चरिंग के तहत अपने बेड़े में विमानों की संख्या 54 से 38 करने का फैसला किया है.
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एयर फ्रांस-केएलएम
फ्रांस की एयर फ्रांस और नीदरलैंड्स की केएलएम एयरलाइनों को मिलाकर बना यह समूह कर्मचारियों की संख्या में कटौती के लिए फ्रांस की मजदूर यूनियनों के साथ बात कर रहा है. कितने लोगों की नौकरी जाएगी, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन कोरोना के कारण कंपनी को भारी घाटा उठाना पड़ा है.
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यूनाइटेड एयरलाइंस
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि इस अमेरिकी एयरलाइंस ने अपने 25 हजार फ्लाइट अटेंडेटों को बता दिया है कि उसके पास जून में सिर्फ तीन हजार लोगों के लिए ही काम है. सरकार की मदद की बदौलत अभी एयरलाइन सभी कर्मचारियों को वेतन दे पा रही हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे तो ऐसा कब तक चलेगा.
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डेल्टा एयरलाइन
अमेरिका की दिग्गज एयरलाइन डेल्टा ने यात्रियों से होने वाली कमाई का 95 फीसदी गंवाया है. कंपनी ने घोषणा की है कि वह लंबी दूरी वाले बोइंग 777 विमानों को रिटायर करेगी और इसी के साथ नौकरियों में कटौती का इशारा भी दिया गया है.
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हिल्टन होटल्स
होटल चेन हिल्टन के दुनिया भर में 60 फीसदी होटलों में काम ठप है. चीन में इस चेन के 150 होटल कोरोना संकट के दौरान पूरी तरह बंद रहे. हालांकि चीन में हालात सुधरने के बाद अब ये होटल खुल गए हैं, लेकिन दुनिया के अन्य इलाकों में हालात अब भी गंभीर हैं.
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कैसे दी जा रही है राहत
यूरोपीय आयोग ने 750 अरब यूरो का इकोनॉमिक रेस्क्यू पैकेज पेश किया है. आयोग का कहना है कि इस का 25 फीसदी हिस्सा भी पर्यावरण संरक्षण संबंधी कामों में खर्च किया जाएगा.
राष्ट्रीय स्तर पर कुछ देश, इकोनॉमिक सपोर्ट पैकेज का इस्तेमाल प्रदूषण को कम करने के लिए कर रहे हैं. इटली अपने शहरी बाशिंदों को साइकिल या ई-स्कूटर खरीदने के लिए 500 यूरो की मदद दे रहा है.
ऑस्ट्रिया इको फ्रेंडली बदलाव की शर्त के साथ कंपनियों को आर्थिक राहत दे रहा है. ऑस्ट्रियन एयरलाइंस के लिए इसका मतलब है कई छोटी दूरी की उड़ानों को कम करना, ईंधन की किफायत बढ़ाना और सीओटू उत्सर्जन को कम करना.
क्रैश हुआ एयरलाइन उद्योग
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महामारी ने आटो सेक्टर पर भी चोट की है. कंसल्टिंग फर्म मैकेंजी का अनुमान है कि 2019 के मुकाबले इस साल दुनिया भर में 75 लाख वाहन कम बनाए जाएंगे. यह 10 फीसदी की गिरावट है.
भारत में क्या है हाल
भारत में लॉकडाउन के दौरान हवा की क्वॉलिटी काफी बेहतर हुई. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में जबरदस्त कटौती इसकी एक वजह रही. भारत सरकार ने 250 अरब यूरो के राहत पैकेज का एलान किया है. इसका एक हिस्सा कारोबार की मदद करेगा लेकिन पर्यावरण संबंधी कोई शर्त नहीं है.
पैकेज में संकट से घिरे ऑटो सेक्टर के लिए कोई राहत नहीं है. देश की जीडीपी में इस सेक्टर की हिस्सेदारी सात फीसदी है. पर्यावरण प्रेमी इससे खुश हो सकते हैं. शायद, इस संकट से ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम का रास्ता खुल जाए.
रिपोर्ट: टाबेया मैर्गेनथालर
कोरोना के चलते राहत की सांस लेता पर्यावरण
दुनिया भर में कोरोना वायरस ने इंसानी गतिविधियों पर ब्रेक लगाकर कुदरत को बड़ा आराम पहुंचाया है. देखिए प्रकृति और उसके दूसरे बाशिंदे कैसे इस शांति का आनंद ले रहे हैं.
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साफ होती गंगा
भारत में लॉकडाउन के चलते जैसे व्यावसायिक और आम गतिविधियां बंद हुईं, वैसे ही गंगा नदी के पानी की क्वालिटी सुधरने लगी. आईआईटी बनारस में कैमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. पीके मिश्रा के मुताबिक गंगा में 40-50 फीसदी सुधार आया है.
तस्वीर: DW/R. Sharma
बेखौफ घूमते पशु पक्षी
भारत समेत कुछ और देशों से वन्य जीवों के शहर के बीचोंबीच टहलने की तस्वीरें आ रही हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हाथी घूमता दिखाई पड़ा. राज्य के शहरी इलाकों में बाघ और हिरणों के आवाजाही भी रिकॉर्ड हो रही है. यहां ब्रसेल्स में बतखों का एक झुंड शहर में दीख रहा है.
तस्वीर: Imago Images/ZUMA Wire/D. Le Lardic
हिमालय का साफ दीदार
भारत और नेपाल के कई शहरों में हवा की क्वालिटी में बहुत जबरदस्त सुधार आया है. दिल्ली और काठमांडू जैसे महानगर लंबे वक्त बाद इतनी साफ हवा देख रहे हैं. भारत के जालंधर शहर की तरह नेपाल की राजधानी काठमांडू से भी अब हिमालय साफ दिखने लगा है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Maharjan
शांति और साफ पानी
करोड़ों सैलानियों की मेजबानी की थकान इटली के मशहूर शहर वेनिस पर दिखाई पड़ती थी. शहर की सुंदरता के साथ साथ गंदा पानी और क्रूज शिपों का प्रदूषण वेनिस की पहचान से बन गए थे. लेकिन अब वेनिस आराम कर रहा है. लॉकडाउन की वजह से वेनिस के पानी में पहली बार मछलियां साफ दिख रही हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Silvestri
बेखौफ बकरियां
ब्रिटेन के एक तटीय कस्बे लियांडुंडो में कभी कभार कश्मीरी बकरियां गुजरती हुई दिख जाती हैं. लेकिन जिस आजादी के साथ ये बकरियां इन दिनों चहलक़दमी करती हैं, वैसा पहले नहीं देखा गया. निडर होकर बकरियां जो चाहे वो चरते हुए आगे बढ़ती हैं.
तस्वीर: Getty Images/C. Furlong
झगड़ा करते भूखे बंदर
थाईलैंड के लोपबुरी में इन दिनों बंदरों की अशांति हावी है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक पर्यटकों की कमी के चलते बंदरों को पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है. बंदरों के कई झुंड भोजन के लिए आपस में खूब झगड़ रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
CO2 उत्सर्जन में बड़ी गिरावट
विकसित औद्योगिक देश जर्मनी में भी इन दिनों गजब की शांति है. सड़कों पर बहुत कम कारें, आसमान में इक्का दुक्का हवाई जहाज और फैक्ट्रियों में भी बहुत ही कम काम. एक अनुमान के मुताबिक अगर उत्सर्जन का स्तर इतना ही रहा तो जर्मनी 2020 के लिए तय जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्य हासिल कर लेगा.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
कुछ ही दिनों की शांति
कई देशों में आर्थिक गतिविधियां भले ही थमी हों, लेकिन चीन में फिर से कारखाने सक्रिय होने लगे हैं. देश के कई इलाकों में लोग काम पर लौट रहे हैं. यह तस्वीर पूर्वी चीन के आनहुई शहर में स्थित एक बैटरी फैक्ट्री की है. लॉकडाउन के दौरान चीन में भी हवा की क्वालिटी काफी बेहतर हुई.