निवेश करने के लिए लगातार दूसरे साल भारत दुनिया की सबसे पहली पसंद के रूप में कायम है. अब सरकारें प्रतिबंधों के डर से अपना सोना विदेशों से वापस ला रही हैं.
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दुनिया में ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही है जो अपने यहां सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं क्योंकि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाये गये प्रतिबंधों के बाद वे खुद को सुरक्षित करना चाहते हैं. सोमवार को प्रकाशित एक सर्वेक्षण में यह बात कही गयी है. इन्वेस्को नामक संस्था ने केंद्रीय बैंकों और वेल्थ फंड्स के सर्वे के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है.
पिछले साल वित्तीय बाजार में मची उथल-पुथल से सरकारी फंड्स को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. लिहाजा अब वे अपनी रणनीतियों में आमूल-चूल बदलाव करने पर विचार कर रहे हैं. ये बदलाव इस बात पर आधारित हैं कि उच्च मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव लंबे समय तक बना रहेगा.
गरीब देशों पर कितना कर्ज
वर्ल्ड बैंक की अंतरराष्ट्रीय कर्ज रिपोर्ट 2021 के मुताबिक इन देशों पर जीडीपी से कई गुना ज्यादा कर्ज है.
अफ्रीकी देश सूडान पर जीडीपी का 181.9 फीसदी लोन है. सरकारी राजस्व का बड़ा हिस्सा कर्ज की अदायगी में खर्च हो रहा है.
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03. इरीट्रिया
कर्ज अदायगी पर बजट का 20 फीसदी खर्च करने वालों में अफ्रीकी देश इरीट्रिया भी शामिल है. लंबे वक्त से हिंसा का सामना कर रहे इरीट्रिया पर जीडीपी का 176.25 फीसदी ऋण है.
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04. लेबनान
50 लाख की आबादी वाला लेबनान मध्यपूर्व के सबसे छोटे देशों में शामिल है. 10,452 वर्ग किलोमीटर भूभाग में फैले लेबनान पर 150.6 प्रतिशत कर्ज है.
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05. केप वेर्डे
मध्य अटलांटिक महासागर में 10 द्वीप समूहों से बने देश केप वेर्डे पर 142.3 फीसदी लोन है. 1975 में पुर्तगाल से आजाद होने वाला यह देश जलवायु परिवर्तन से भी परेशान है.
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06. सूरीनाम
दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के एकदम उत्तरी सिरे पर बसे सूरीनाम पर जीडीपी का 125.7 फीसदी लोन है. देश एल्युमीनियम के अयस्क बॉक्साइट और कृषि उत्पादों के निर्यात पर काफी हद तक निर्भर है.
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07. मालदीव
भारत का पड़ोसी मालदीव, सफेद रेत वाले तटों और टूरिज्म के लिए मशहूर हैं. लेकिन टूरिज्म की इस चमक के पीछे छुपी अर्थव्यवस्था पर 124.8 प्रतिशत कर्जा है.
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इन्वेस्को ग्लोबल सॉवरिन एसेट मैनेजमेंट स्टडी नाम से हुए इस सर्वेक्षण में 57 केंद्रीय बैंकों और 85 सरकारी निवेश फंड शामिल हुए थे. इनमें से 85 फीसदी ने कहा कि उन्हें लगता है कि मुद्रास्फीति इस दशक में तो उच्च स्तर पर बनी रहेगी.
सोना सबसे अच्छा विकल्प
ऐसे माहौल में सोना और उभरते बाजारों के बॉन्ड अच्छा निवेश विकल्प माने जा रहे हैं. लेकिन पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो पश्चिमी देशों ने उस पर प्रतिबंध लगाते हुए उसके 640 अरब डॉलर का सोना और विदेशी मुद्रा भंडार फ्रीज कर दिया. इस बात ने भी निवेशकों की रणनीति को प्रभावित किया है.
सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि रूस के मामले में कायम की गई मिसाल से बड़ी संख्या में केंद्रीय बैंक चिंतित हैं. लगभग 60 फीसदी बैंकों ने कहा कि इससे सोने का आकर्षण बढ़ा है जबकि 68 फीसदी ने कहा कि अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विदेश में निवेश करने के बजाय घर पर रखना ज्यादा सुरक्षित है. 2020 में ऐसा मानने वालों की संख्या 50 फीसदी थी.
एक केंद्रीय बैंक ने कहा, "हमारा सोना पहले लंदन में था लेकिन हमने उसे वापस स्वदेश भेज दिया है ताकि उसे सुरक्षित रखा जा सके.”
इन्वेस्को में आधिकारिक संस्थानों के प्रमुख रोड रिंगरो कहते हैं कि अब आमतौर पर सरकारें इसी तरह सोच रही हैं. उन्होंने कहा, ”पिछले एक साल का मंत्र यही रहा है कि अगर मेरे पास सोना है तो वो मेरे घर में होना चाहिए.”
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डॉलर का आकर्षण घटा
भू-राजनीतिक चिंताएं और उभरते बाजारों में बढ़ते मौके मिलकर केंद्रीय बैंकों को डॉलर से विमुख होकर अन्य निवेश विकल्पों पर विचार के लिए उकसा रहे हैं. इसमें अमेरिका का 7 प्रतिशत की दर से बढ़ता कर्ज और ज्यादा योगदान दे रहा है. हालांकि ज्यादातर मानते हैं कि फिलहाल वैश्विक मुद्रा के तौर पर डॉलर का कोई विकल्प नहीं है. बल्कि युआन को डॉलर के विकल्प के तौर पर देखने वालों की संख्या पिछले साल के 29 फीसदी से घटकर 18 फीसदी रह गयी है.
यूरोप में गई कितनों की नौकरी
कई दशकों बाद इतनी ऊंची महंगाई दर और यूक्रेन युद्ध का असर झेल रहे यूरोप में कई कंपनियों ने छंटनी की घोषणा की है. एक नजर यूरोप में रोजगार के हालात पर.
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ऑटो क्षेत्र
स्वीडन की कंपनी वॉल्वो 2,900 लोगों को नौकरी से निकालने की घोषणा कर चुकी है. स्वीडन की ही ऑटोलिव कंपनी ने जून में 8,000 लोगों को निकालने की घोषणा की. बहुराष्ट्रीय कंपनी स्टेलैंटिस भी 2,300 लोगों को निकाल रही है.
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भोजन, रिटेल और कंज्यूमर उत्पाद
फ्रांस की रिटेल चेन कैरफोर 979 लोगों तक को नौकरी से निकाल सकती है. ब्रिटेन में खाना डिलीवर करने वाली कंपनी डेलीवरू 350 लोगों को निकाल सकती है. चश्मे बेचने वाली जर्मन कंपनी 2025 तक सैकड़ों नौकरियां खत्म कर देगी. ब्रिटेन का सुपरमार्केट समूह सेंसबरी अपने दो डिपो बंद करने वाला है, जिससे 1,400 लोगों की नौकरी जाएगी. जर्मनी की ऑनलाइन फैशन कंपनी जलांदो भी सैकड़ों नौकरियां खत्म कर सकती है.
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उद्योग और इंजीनियरिंग
चीनी कंपनी ब्रिटिश स्टील ने 260 नौकरियां खत्म करने की घोषणा की है. लिफ्ट बनाने वाली फिनलैंड की कंपनी कोन 1,000 लोगों को नौकरी से निकालेगी. स्वीडन की स्टील कंपनी साब करीब 1,000 लोगों को नौकरी से निकालेगी. बैटरी बनाने वाली जर्मन कंपनी वार्टा 88 नौकरियां खत्म करेगी.
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टेक क्षेत्र
ब्रिटेन की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बीते इस दशक के अंत तक 55,000 लोगों को नौकरी से निकालेगी. मेडिकल उपकरण बनाने वाली डच कंपनी फिलिप्स 6,000 नौकरियां खत्म करेगी. एरिक्सन 8,500 कर्मचारियों को, वोडाफोन करीब 12,000 कर्मचारियों को और जर्मन सॉफ्टवेयर कंपनी एसएपी 3,000 कर्मचारियों को निकालेगी.
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टेक की सूची लंबी है
इसके अलावा फिनलैंड की नोकिया 208 लोगों को, टेलीकॉम इटालिया 2,000 लोगों को, स्विट्जरलैंड की सुरक्षा कंपनी डोरमाकाबा 800 लोगों को और कंप्यूटर उपकरण बनाने वाली कंपनी लॉजिटेक करीब 300 लोगों को नौकरी से निकालेगी.
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बैंकिंग क्षेत्र
जर्मनी का सबसे बड़ा बैंक डॉयचे बैंक अगले कुछ सालों में 17,000 नौकरियां खत्म करना चाह रहा है. ब्रिटेन का स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक 100 से ज्यादा लोगों को निकाल रहा है. स्विस बैंक यूबीएस हजारों लोगों को निकालने पर विचार कर रहा है.
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अन्य क्षेत्र
केमिकल बनाने वाली जर्मन कंपनी बीएसएफ 2,600 लोगों को, स्पेन की दवा कंपनी ग्रिफोल्स करीब 2,300 लोगों को, पैकेजिंग का सामान बनाने वाली फिनलैंड की कंपनी स्टोरा एन्सो 1,150 लोगों को और विशेष केमिकल बनाने वाली जर्मन कंपनी एवोनिक 200 लोगों को नौकरी से निकाल रही है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
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सर्वे में शामिल कुल 142 संस्थानों में से लगभग 80 प्रतिशत ने माना है कि भू-राजनीतिक तनाव अगले दशक तक सबसे बड़ा खतरा बना रहेगा जबकि 83 फीसदी ने इसे अगले 12 महीने के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखा है.
इस वक्त विकास ढांचे को सबसे आकर्षक निवेश विकल्प माना जा रहा है, खासतौर पर वे परियोजनाएं जो अक्षय ऊर्जा से जुड़ी हैं.
भारत सबसे ऊपर
चीन को लेकर पश्चिमी जगत की चिंताओं का अर्थ यह है कि लगातार दूसरे साल भारत निवेशकों की पहली पसंद के रूप में कायम है. इस बात का चलन भी बढ़ रहा है कि फैक्ट्रियां वहां लगाई जाएं जहां उत्पाद बेचे जा रहे हैं. इसलिए मेक्सिको, इंडोनेशिया और ब्राजील आदि की ओर आकर्षण भी बढ़ रहा है.
चीन, ब्रिटेन और इटली को सबसे कम आकर्षक देश माना गया है जबकि कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन खरीदारी और घर से काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के कारण अब प्रॉपर्टी सबसे कम आकर्षक निजी संपत्ति हो गयी है.
रिंगरो कहते हैं कि पिछले साल जिन वेल्थ फंडों ने अच्छा प्रदर्शन किया वे वही थे जो अपने पोर्टफोलियो की जरूरत से ज्यादा बढ़ी कीमत के खतरों को पहचान पाये और अपने निवेश में विविधता ला पाये. ऐसा आगे भी जारी रहेगा.
रिंगरो कहते हैं, "फंड्स और केंद्रीय बैंक अब ऊंची मुद्रास्फीति दर के साथ जीने की आदत डाल रहे हैं. यह सबसे बड़ा बदलाव है.”