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अफ्रीका में प्रदूषण फैलाती अमीर मुल्कों की पुरानी कारें

२१ सितम्बर २०२२

जापान, यूरोप और अमेरिका की सड़कों पर आपको खूब जहरीला धुआं छोड़ने वाली बहुत पुरानी कारें नहीं मिलेंगी. इन देशों की ज्यादातर पुरानी गाड़ियां अफ्रीका भेज दी जाती हैं. जानिए कैसे पहुंचती हैं अफ्रीका तक ये पुरानी गाड़ियां.

घाना की सड़कों पर ट्रैफिक
तस्वीर: Gero Breloer/photothek/picture alliance

1,70,000 किलोमीटर चलने के बाद टोयोटा मैट्रिक्स काफी हद तक घिस चुकी है. यूरोप में अब ये गाड़ी इंस्पेक्शन टेस्ट पास नहीं कर सकेगी, इसीलिए उसे अफ्रीका भेज दिया गया. गाड़ी अफ्रीकी देश बेनिन भेजी गई और वहां एक कंप्यूटर साइंटिस्ट ने उसे खरीद लिया. यह अकेला मामला नहीं हैं. दुनिया में पुरानी गाड़ियां सबसे ज्यादा अफ्रीका भेजी जाती हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2015 से 2020 के बीच 56 लाख पुरानी गाड़ियां अफ्रीकी महाद्वीप पहुंचीं. पुरानी गाड़ियां सबसे ज्यादा यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका से अफ्रीका भेजी जाती हैं. इनमें से ज्यादातर गाड़ियां बहुत ज्यादा वायु प्रदूषण करती हैं. 

बेनिन का सेकेंड हैंड कार मार्केट

तटीय शहर कोटोनो को बेनिन की आर्थिक राजधानी कहा जाता है. कोटोनो के पोर्ट के पास कई किलोमीटर लंबा सेकेंड हैंड कार मार्केट है. 1.1 करोड़ की आबादी वाला बेनिन, बुर्किना फासो, नाइजर, चाड और नाइजीरिया जैसे देशों के लिए कार मार्केट का गेटवे जैसा है. कनाडा में 2004 में खरीदी गई टोयोटा मैट्रिक्स जब बेनिन के सेकेंड हैंड कार बाजार में पहुंची तो कंप्यूटर साइंटिस्ट एडम अदेबियी उस पर फिदा हो गए. नई कार खरीदने लायक पैसे उनके पास नहीं थे. अदेबिया कहते हैं, "इंजन बढ़िया चल रहा है और आप उसकी आवाज सुनकर भी ये कह सकते हैं."

ओसामा अलौच, बेनिन में सेकेंड हैंड कारों के डीलर हैं. 15 साल पुरानी सेडान गाड़ी वह करीब 2,300 डॉलर में बेचते हैं. नई गाड़ी का दाम इससे 12 गुना ज्यादा है. अपनी गाड़ियों की कतार के पास खड़े अलौच कहते हैं, "हम कूड़ा आयात नहीं करते हैं."  

कहां कहां से पहुंचती हैं अफ्रीका तक पुरानी गाड़ियां

यूएनईपी की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम (यूएनईपी) की 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, "विकासशील देशों को भेजी जाने वाली ज्यादातर गाड़ियां पुरानी, प्रदूषण करने वाली, खूब तेल पीने वाली और जोखिमों से भरी रहती हैं." रिपोर्ट कहती है कि गाड़ियों का ऐसा सौदा कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कोशिशों को भी धक्का पहुंचाता है.

2019 के आखिर में एम्सर्टडम की पोर्ट पर नीदरलैंड्स के अधिकारियों ने इस कारोबार की पड़ताल की. जांच में पता चला कि वहां से हर हफ्ते पुरानी गाड़ियों से लदे जहाज अफ्रीका के लिए निकलते हैं. इंस्पेक्शन से पता चला कि ज्यादातर गाड़ियां 18 साल पुरानी थी और औसतन दो लाख किलोमीटर चल चुकी थीं. यूरोप के ज्यादातर देशों में जहां यूरो 4 और यूरो 6 पॉल्यूशन सर्टिफिकेट वाली गाड़ियां चलती हैं, वहीं अफ्रीका भेजी जाने वाली कई कारें यूरो 3 नॉर्म की थीं.

ओसामा अलौच मानते है कि कई बार सौदे के बाद गाड़ियों के कुछ अहम पार्ट्स चोरी हो जाते हैं. इनमें प्रदूषण को कंट्रोल करने वाला महंगा कैटेलिक कंवर्टर भी शामिल हैं. यूरोप और अमेरिका में इस कंवर्टर के बिना गाड़ी सड़क पर नहीं चल सकती है.

डरबन में एक पुरानी बीएमडब्ल्यूतस्वीर: Darren Stewart/Gallo Images/IMAGO

अफ्रीका में बढ़ता वायु प्रदूषण

यूएनईपी के मुताबिक, पुरानी कारें और ऊपर से पश्चिमी अफ्रीका में खराब क्वालिटी का ईंधन, इलाके के शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण का एक अहम कारण यह भी है. यूएन की शाखा के मुताबिक सड़कों पर पैदल चलकर स्कूल जाने वाले बच्चे और सड़कों पर काम करने वाले इसकी सबसे ज्यादा चपेट में आते हैं.

पश्चिमी अफ्रीकी देशों ने दो साल पहले फैसला किया था कि वे जनवरी 2021 से सिर्फ यूरो 4 स्टैंडर्ड की गाड़ियों को ही अफ्रीका आने देंगे. हालांकि इस फैसले पर अमल होता नहीं दिख रहा है. समाचार एजेंसी एएफपी ने बेनिन के परिवहन मंत्रालय से कई बार संपर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

ओएसजे/एनआर (एएफपी)

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