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समाज

शहर चमकाने वाले भी लॉकडाउन के मारे

आमिर अंसारी
२४ अप्रैल २०२०

दिल्ली में ही 2,500 से 3,000 लोग कोविड-19 महामारी के बीच घर-घर जाकर कूड़ा उठा रहे हैं. महामारी के कारण लॉकडाउन है लेकिन वे तमाम संकटों को दरकिनार करते हुए कूड़ा उठा रहे हैं.

Indien: Umweltbelastung und Luftverschmutzung in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Faget

भारत में कूड़ा बीनने वालों की संख्या 20 लाख के करीब है. अकेले दिल्ली में कूड़ा बीनने, उसे अलग अलग करने और बेचने से लेकर रिसाइक्लिंग करने के काम में करीब डेढ़ लाख लोग लगे हुए हैं. हालांकि लॉकडाउन होने की वजह से कूड़ा बीनने का भी काम ठप्प है. जिनके पास लॉकडाउन के दौरान काम करने का पास है वही लोग काम पर जा रहे हैं और कूड़ा बीन रहे हैं. कुछ इलाकों के सील किए जाने और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के कूड़ा वालों पर रोक की वजह से वह नहीं जा पा रहे हैं. दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल और भलस्वा लैंडफिल जैसे इलाकों के पास अधिकतर कूड़ा बीनने वाले बहुत दयनीय हालत में रहते हैं. लॉकडाउन की वजह से उनका काम बंद है और जहां वे रहते हैं वहां की स्थिति पहले से ही खराब है.

कूड़ा बीनने वालों, दरवाजों पर जाकर कूड़ा इकट्ठा करने वालों, फेरीवालों और अन्य छोटे खरीदारों और कबाड़ खरीदारों के लिए काम करने वाले समूह सफाई सेना के संयोजक बालमुकंद बताते हैं कि दिल्ली में लॉकडाउन के बावजूद ढाई से तीन हजार लोग रोजाना काम पर जाते हैं. समूह उनके लिए ई-पास की व्यवस्था कराता है जिससे कूड़ा उठाने जाने वालों को कोई समस्या ना हो. पुलिस के द्वारा परेशान किए जाने पर भी समूह ऐसे व्यक्तियों की मदद करता है. बालमुकंद के मुताबिक, "जो लोग घर घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करते थे उनके पास फिलहाल कोई काम नहीं हैं. ऐसे लोगों के लिए हम लोग सूखा राशन बांटने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा हम लोगों में संक्रमण से बचाव को लेकर भी काम कर रहे हैं. लॉकडाउन होने की वजह से कूड़े वालों का एक छोटा प्रतिशत अपने गांव और कस्बों की तरफ लौट गया है लेकिन एक बड़ा तबका दिल्ली में ही मौजूद है."

कूड़ा उठाने वालों की मदद 

कूड़ा उठाने वाले लोग एक समुदाय के तौर पर रहते हैं. दिल्ली में गाजीपुर लैंडफिल स्थल और भलस्वा लैंडफिल स्थल के पास इनकी झुग्गी बस्ती हैं. कुछ और इलाकों में भी यह रहते हैं. रिसाइक्लिंग की जाने वाली चीजें बेचकर वे अपनी कमाई किसी तरह से करते हैं. जहां यह लोग रहते हैं वहां उनके पास साफ सफाई का पर्याप्त इंतजाम नहीं होता है. यहां तक की कूड़ा उठाने वालों के पास जरूरी सुरक्षा उपकरण जैसे कि दस्ताने, मास्क, सेफ्टी जूते भी नहीं होते हैं. कूड़ा उठाने वाले भले ही जोखिम के साथ काम करते हैं लेकिन उन्हें मजदूरों जितना महत्व नहीं मिलता और ना ही कोई अधिकार. सफाई सेना ने लॉकडाउन के दौरान 2700 लोगों को अब तक भोजन मुहैया कराया है.

कूड़े में से रिसाइक्लिंग लायक सामान निकालती महिलाएं. (फाइल.)तस्वीर: DW/A. Ansari

एनवायरमेंट रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप चिंतन में हेड ऑफ एडवोकेसी एंड पॉलिसी रिसर्च चित्रा मुखर्जी कहती हैं, "कूड़ा उठाने वालों के लिए हम पहले से ही काम करते आए हैं लेकिन जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो इन लोगों को काफी परेशानी हुई. इन्हें जानकारी नहीं थी कि राहत शिविर कहां हैं, खाने के लिए कहां जाना है. हमने इन लोगों तक अपने सदस्यों को भेजा और उन्हें पास के ही केंद्रों के बारे में बताया जहां से वे लोग भोजन प्राप्त कर सकते हैं." पिछले कुछ सालों से चिंतन सफाई सेना के साथ मिलकर कूड़ा उठाने वाले लोगों की बेहतरी के लिए काम करता आया है. चित्रा कहती हैं कि कूड़ा उठाने वाले अनपढ़ होते हैं और उनमें जानकारी का अभाव होता है. ऐसे में चिंतन ने भोजन वितरण केंद्रों के बारे में बताया और झुंड में नहीं जाने की सलाह दी.

चिंतन ने कूड़ा उठाने वालों के लिए ऑनलाइन धन जुटाने का भी काम किया जिसके नतीजे अच्छे आए. एनजीओ ने सूखा राशन के लिए अनुमानित लागत बताई और दान की अपील की. चित्रा के मुताबिक, "हम लोग हमेशा प्रवासी मजदूरों की बात करते हैं लेकिन उनके बारे में बात नहीं करते जो रोजाना कूड़ा उठाते हैं. हमने जनता को भी बताया कि यह लोग भी पीड़ित हैं और यह शहर को साफ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. महामारी के दौरान इनकी भी मदद होनी चाहिए. लॉकडाउन की वजह से कूड़ा उठाने वाले से लेकर रिसाइक्लिंग तक जुड़े लोग बेरोजगार बैठे हुए हैं."

बालमुकंद कहते हैं कि लैंडफिल में काम करने वालों के पास खाना बनाने के लिए स्टोव नहीं है और वह पहले लकड़ी का इस्तेमाल कर खाना बना लेते थे लेकिन अब उन्हें जलाने के लिए लकड़ी नहीं मिल रही हैं. ऐसे में सफाई सेना लैंडफिल में काम करने वालों को गैस स्टोव मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है. चित्रा के मुताबिक अगर कूड़ा उठाने वाला काम बंद कर देगा तो आज हम कोविड-19 के साथ लड़ रहे हैं तो कल कूड़े के साथ जूझते नजर आएंगे.

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