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समाज

फ्रांस में वैक्सीन ना लगवाने पर कड़ी पाबंदियां

३ अगस्त २०२१

फ्रांस की सरकार ने टीका ना लगवाने के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. ऐसे लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति भी नहीं होगी.

तस्वीर: Sadak Souici/Zumapress/picture alliance

पेरिस के एक रेस्तरां मालिक सिल्वेन बेलॉद के लिए लिए कोविड की शुरुआत से ही जिंदगी और व्यापार मुश्किल रहे हैं. पिछले साल उनका धंधा 60 प्रतिशत कम रहा. और अब पेरिस स्थित इस रेस्तरां के लिए हालात और मुश्किल होने वाले हैं. सरकार कोविड वैक्सीन न लेने वालों के लिए नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जिसका सीधा असर बेलॉद के धंधे पर पड़ेगा.

जल्दी ही फ्रांस में एक हेल्थ पास जारी किए जाएगा जिसके बिना ट्रेनों, घरेलू उड़ानों, लंबी दूरी की बसों और रेस्तरां व कैफे में जाने की अनुमति नहीं होगी. यह पास स्मार्ट फोन या कागज पर एक क्यूआर कोड है जो दिखाता है कि कोविड वैक्सीन लगवाई जा चुकी है और कोविड संक्रमण की मौजूदा स्थिति क्या है.

टीका नहीं तो सुविधा नहीं

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तो पहले से ही क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया गया है. 9 अगस्त से इसका इस्तेमाल बाकी जगहों पर भी जरूरी कर दिया जाएगा, बशर्ते फ्रांस की सर्वोच्च अदालत इस पर मुहर लगा दे.

नए उपायों के तहत स्वास्थ्यकर्मियों और बीमार व कमजोर लोगो के साथ काम करने वालों के लिए भी कोविड का टीका लगवाना अनिवार्य किया जाएगा. जो कर्मचारी इस आदेश को नहीं मानेंगे उन्हें बिना तन्ख्वाह के निलंबित किया जाएगा.

फ्रांसीसी अधिकारी कोविड की चौथी लहर के खतरे को देखते हुए टीकाकरण की रफ्तार और सीमा बढ़ाना चाहते हैं. इसलिए ये सख्त उपाय किए जा रहे हैं. हाल के हफ्तों में रोजाना आने वाले कोविड के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है. जुलाई में जहां 3,000 मामले आ रहे थे, वहीं अब इनकी संख्या 20 हजार को पार कर चुकी है.

सरकार देश में एक सामूहिक इम्यूनिटी के स्तर को हासिल करना चाह रही है, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 80-90 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण से ही संभव है. लेकिन सभी लोग टीकाकरण पर विश्वास नहीं करते. और बहुत से ऐसे हैं जो सख्त उपायों के खिलाफ हैं.

आजादी का हनन?

रेस्तरां मालिक बेलॉद हालांकि टीकाकरण के समर्थक हैं. वह खुद पूरी खुराक ले चुके हैं और जल्दी ही उनके सभी कर्मचारी भी ले लेंगे. लेकिन उन्हें नए सख्त नियमों से अपने व्यापार को लेकर चिंता हो रही है.

तस्वीरेंः किसने कितने टीके दान किए

बेलॉद ने डीडबल्यू को बताया, "हमारे कुछ ग्राहकों ने हमें बताया है कि वे अब यहां नहीं आएंगे. उनमें से सभी वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते और हर 48 घंटे पर टेस्ट भी नहीं करवाना चाहते. और हमारा टर्नओवर पहले ही सामान्य से 30 प्रतिशत कम है क्योंकि सामान्य सालो के मुकाबले पर्यटक कम हैं.”

32 साल का यह व्यापारी इसलिए भी चिढ़ा हुआ है कि महीनों तक बंद रहने के बाद रेस्तरां खोलने की इजाजत दो महीने पहले ही मिली थी और अब ये नए नियम लागू किए जा रहे हैं. वह कहते हैं, "हमें इस बात की राहत है कि अब ग्राहकों को अब अंदर भी बुला सकते हैं. ऐसे में बारिश के वक्त हमें ज्यादा विकल्प मिल जाते हैं. और अच्छी बात ये भी है कि अब कर्फ्यू पूरी तरह उठा लिया जाएगा.”

12 जुलाई को लागू किए गए नए नियमों से निराश लोगों की संख्या काफी बड़ी है. पिछले तीन हफ्तों से हर सप्ताहांत पर दसियों हजार लोग विरोध करने सड़कों पर उतर रहे हैं.

देखिएः बच्चों की नजर से कोरोना

विरोधी प्रदर्शनकारियों का मानना है कि उनकी स्वतंत्रता खतरे में है. कुछ लोग तो कहते हैं कि समुदाय को ही बांट दिया जा रहा है. हर हफ्ते विरोधी प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है.

माक्रों नहीं मानेंगे!

पिछले महीने मीडिया से बातचीत में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने स्वतंत्रता की इस मांग को गलत बताया था. उन्होंने कहा था, "बिना कुछ दिए स्वतंत्रता नहीं मिलती.”

फिर भी, हेल्थ पास के समर्थकों की संख्या ज्यादा है. हाल ही में एक सर्वेक्षण संस्था आईफोप ने सर्वे किया जिसमें सिर्फ एक तिहाई लोगों ने ही विरोधियों को सही बताया.

एक अन्य सर्वे इप्सोस और सोपरा स्टेरिया ने रेडियो स्टेशन फ्रांसइन्फो के लिए किया था, जिसमें पता चला कि 60 प्रतिशत लोग हेल्थ पास के पक्ष में हैं जबकि 74 प्रतिशत मानते हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए अनिवार्य वैक्सीनेशन उचित है.

तस्वीरों मेंः टीका लगवाने पर दावत

माक्रों द्वारा नए नियमों के ऐलान के बाद से ही टीका लगवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जुलाई के शुरुआत में करीब टीका लगवाने वालों की संख्या औसतन साढ़े तीन लाख साप्ताहिक थी, जो अब बढ़कर साढ़े छह लाख हो चुकी है.

रिपोर्टः लीजा लुईस (पेरिस से)

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