फ्रांस की सरकार ने टीका ना लगवाने के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फैसला किया है. ऐसे लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति भी नहीं होगी.
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पेरिस के एक रेस्तरां मालिक सिल्वेन बेलॉद के लिए लिए कोविड की शुरुआत से ही जिंदगी और व्यापार मुश्किल रहे हैं. पिछले साल उनका धंधा 60 प्रतिशत कम रहा. और अब पेरिस स्थित इस रेस्तरां के लिए हालात और मुश्किल होने वाले हैं. सरकार कोविड वैक्सीन न लेने वालों के लिए नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जिसका सीधा असर बेलॉद के धंधे पर पड़ेगा.
जल्दी ही फ्रांस में एक हेल्थ पास जारी किए जाएगा जिसके बिना ट्रेनों, घरेलू उड़ानों, लंबी दूरी की बसों और रेस्तरां व कैफे में जाने की अनुमति नहीं होगी. यह पास स्मार्ट फोन या कागज पर एक क्यूआर कोड है जो दिखाता है कि कोविड वैक्सीन लगवाई जा चुकी है और कोविड संक्रमण की मौजूदा स्थिति क्या है.
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टीका नहीं तो सुविधा नहीं
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तो पहले से ही क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया गया है. 9 अगस्त से इसका इस्तेमाल बाकी जगहों पर भी जरूरी कर दिया जाएगा, बशर्ते फ्रांस की सर्वोच्च अदालत इस पर मुहर लगा दे.
नए उपायों के तहत स्वास्थ्यकर्मियों और बीमार व कमजोर लोगो के साथ काम करने वालों के लिए भी कोविड का टीका लगवाना अनिवार्य किया जाएगा. जो कर्मचारी इस आदेश को नहीं मानेंगे उन्हें बिना तन्ख्वाह के निलंबित किया जाएगा.
फ्रांसीसी अधिकारी कोविड की चौथी लहर के खतरे को देखते हुए टीकाकरण की रफ्तार और सीमा बढ़ाना चाहते हैं. इसलिए ये सख्त उपाय किए जा रहे हैं. हाल के हफ्तों में रोजाना आने वाले कोविड के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है. जुलाई में जहां 3,000 मामले आ रहे थे, वहीं अब इनकी संख्या 20 हजार को पार कर चुकी है.
सरकार देश में एक सामूहिक इम्यूनिटी के स्तर को हासिल करना चाह रही है, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक 80-90 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण से ही संभव है. लेकिन सभी लोग टीकाकरण पर विश्वास नहीं करते. और बहुत से ऐसे हैं जो सख्त उपायों के खिलाफ हैं.
आजादी का हनन?
रेस्तरां मालिक बेलॉद हालांकि टीकाकरण के समर्थक हैं. वह खुद पूरी खुराक ले चुके हैं और जल्दी ही उनके सभी कर्मचारी भी ले लेंगे. लेकिन उन्हें नए सख्त नियमों से अपने व्यापार को लेकर चिंता हो रही है.
तस्वीरेंः किसने कितने टीके दान किए
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ विकासशील और गरीब देशों में टीकाकरण की रफ्तार बहुत धीमी है. जानिए जी-सात समूह के शक्तिशाली सदस्य देशों ने दुनिया को टीकों की कितने खुराक देने का वादा किया है.
तस्वीर: Bernd Riegert/DW
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वो अमेरिकी कंपनी फाइजर के टीके की 50 करोड़ खुराक खरीद कर 90 से भी ज्यादा देशों को दानस्वरूप देंगे. फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोएनटेक 2021 में 20 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएंगी और 2022 के पहले छह महीनों में बाकी 30 करोड़ खुराक.
तस्वीर: Toby Melville/Reuters
ब्रिटेन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वादा किया है कि उनके देश के पास टीकों का जो अतिरिक्त भंडार है उसमें से वो कम से कम 10 करोड़ खुराक अगले एक साल में दुनिया के कई देशों को देंगे. इसमें से 50 लाख खुराक अगले कुछ हफ्तों में ही दी जा सकती हैं. जॉनसन ने यह भी कहा है कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि जी-सात के सदस्य देश एक अरब खुराक तक उपलब्ध कराएंगे ताकि 2022 में महामारी को खत्म किया जा सके.
तस्वीर: Simon Dawson/Avalon/Photoshot/picture alliance
ईयू, जर्मनी, फ्रांस, इटली
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि यूरोपीय संघ ने इसी साल के अंत तक मध्य आय और कम आय वाले देशों को कम से कम 10 करोड़ खुराक देने का लक्ष्य बनाया है. इसमें फ्रांस और जर्मनी द्वारा तीन-तीन करोड़ खुराक और इटली द्वारा 1.5 करोड़ खुराक का योगदान शामिल है. फ्रांस ने कहा है कि वो कोवैक्स टीका-साझेदारी कार्यक्रम के तहत सेनेगल को ऐस्ट्राजेनेका टीके की 1,84,000 खुराक दे चुका है.
जापान ने कहा है कि वो देश के अंदर बनने वाले टीकों की करीब तीन करोड़ खुराक कोवैक्स के जरिए ही दानस्वरूप देगा. पिछले सप्ताह जापान ने ताइवान को ऐस्ट्राजेनेका के टीके की 12.4 लाख खुराक निशुल्क दीं.
तस्वीर: Sadayuki Goto/AP/picture alliance
कनाडा
कनाडा ने अभी तक वैक्सीन की खुराक दूसरे देशों को देने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
तस्वीर: picture-alliance/S. Kilpatrick
वैश्विक स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन और टीकों के लिए बने वैश्विक गठबंधन गावी के समर्थन से कोवैक्स कार्यक्रम ने इस साल के अंत तक कम आय वाले देशों के लिए दो अरब खुराक सुरक्षित करने का लक्ष्य रखा है. इस सप्ताह की घोषणाओं के पहले कोवैक्स को सिर्फ 15 करोड़ खुराक का वादा पाया था. यह कार्यक्रम के सितंबर तक 25 करोड़ खुराक और साल के अंत तक एक अरब खुराक के पुराने लक्ष्य से भी बहुत पीछे था.
तस्वीर: Akhtar Soomro/REUTERS
वैक्सीन अन्याय
अभी तक दुनिया में टीकों की 2.2 अरब खुराक दी जा चुकी हैं, जिनमें से अकेले जी-सात देशों में ही करीब 56 करोड़ खुराक दी गई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने कहा है कि टीके के वितरण में हो रहा "लज्जाजनक अन्याय" महामारी को बनाए रख रहा है. - रॉयटर्स
तस्वीर: Sirachai Arunrugstichai/Getty Images
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बेलॉद ने डीडबल्यू को बताया, "हमारे कुछ ग्राहकों ने हमें बताया है कि वे अब यहां नहीं आएंगे. उनमें से सभी वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते और हर 48 घंटे पर टेस्ट भी नहीं करवाना चाहते. और हमारा टर्नओवर पहले ही सामान्य से 30 प्रतिशत कम है क्योंकि सामान्य सालो के मुकाबले पर्यटक कम हैं.”
32 साल का यह व्यापारी इसलिए भी चिढ़ा हुआ है कि महीनों तक बंद रहने के बाद रेस्तरां खोलने की इजाजत दो महीने पहले ही मिली थी और अब ये नए नियम लागू किए जा रहे हैं. वह कहते हैं, "हमें इस बात की राहत है कि अब ग्राहकों को अब अंदर भी बुला सकते हैं. ऐसे में बारिश के वक्त हमें ज्यादा विकल्प मिल जाते हैं. और अच्छी बात ये भी है कि अब कर्फ्यू पूरी तरह उठा लिया जाएगा.”
12 जुलाई को लागू किए गए नए नियमों से निराश लोगों की संख्या काफी बड़ी है. पिछले तीन हफ्तों से हर सप्ताहांत पर दसियों हजार लोग विरोध करने सड़कों पर उतर रहे हैं.
देखिएः बच्चों की नजर से कोरोना
बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
कोरोना वायरस महामारी के बारे में बच्चे क्या महसूस कर रहे हैं, यह जानने के लिए डीडब्ल्यू ने एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की थी. देखिए दुनिया भर के बच्चों ने कैसे कैसे चित्र बनाए.
तस्वीर: Marie
गुआदालुप
11 साल, कोलंबिया
तस्वीर: Guadalupe
जूड
पांच साल, लेबनान
तस्वीर: Jude
ऐंटोनिस
छह साल, ग्रीस
तस्वीर: Antonis
जेसिका
11 साल, सिंगापुर
तस्वीर: Jessika
पौला
14 साल, जर्मनी
तस्वीर: Paula
वीनस
10 साल, ईरान
तस्वीर: Venus
डैनिल
10 साल, रूस
तस्वीर: Daniil
जोशी
17 साल, भारत
तस्वीर: Joshi
अनीसा
11 साल, इंडोनेशिया
तस्वीर: Annisa
यास्मीन
10 साल, मोरक्को
तस्वीर: Yasmine
मीरा जेनेप
10 साल, तुर्की
तस्वीर: Mira Zeynep
सखा
छह साल, इंडोनेशिया
तस्वीर: Sakha
नूर
11, इंडोनेशिया
तस्वीर: Nur
एमिलिया
नौ साल, चिली
तस्वीर: Emilia
लूसिया
नौ साल, वेनेजुएला
तस्वीर: Lucía
बिलाल
आठ साल, इंडोनेशिया
तस्वीर: Bilal
रिजकी
नौ साल, इंडोनेशिया
तस्वीर: Rizki
आगुस्तीना
12 साल, चिली
तस्वीर: Agustina
वोकिम
10 साल, चिली
तस्वीर: Joaquin
एलेग्जेंडर
10 साल, रूस
तस्वीर: Alexander
आंद्रे
10 साल, रूस
तस्वीर: Andrej
अलिसा
11 साल, रूस
तस्वीर: Alisa
रेजिना
10 साल, मेक्सिको
तस्वीर: Regina
क्लावियो
11 साल, कोलंबिया
तस्वीर: Clavijo
रफन
सात साल, भारत
तस्वीर: Rafan
लोपेज
11 साल, कोलंबिया
तस्वीर: Camillo
आमिर
नौ साल, मेक्सिको
तस्वीर: Amir
साल्वादोर
पांच साल, चिली
तस्वीर: Salvador
रैदनि
दो साल, भारत
तस्वीर: Radnyi
सोसिच
13 साल, फ्रांस
तस्वीर: Soazic
गेब्रियल
सात साल, बोलीविया
तस्वीर: Gabriel
रिया
नौ साल, भारत
तस्वीर: Riya
दानिएला
10 साल, कोलंबिया
तस्वीर: Daniela
डेलीला
छह साल, भारत
तस्वीर: Delilah
मार्क
आठ साल, लेबनान
तस्वीर: Mark
मारी
11 साल, जर्मनी
तस्वीर: Marie
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विरोधी प्रदर्शनकारियों का मानना है कि उनकी स्वतंत्रता खतरे में है. कुछ लोग तो कहते हैं कि समुदाय को ही बांट दिया जा रहा है. हर हफ्ते विरोधी प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है.
माक्रों नहीं मानेंगे!
पिछले महीने मीडिया से बातचीत में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने स्वतंत्रता की इस मांग को गलत बताया था. उन्होंने कहा था, "बिना कुछ दिए स्वतंत्रता नहीं मिलती.”
फिर भी, हेल्थ पास के समर्थकों की संख्या ज्यादा है. हाल ही में एक सर्वेक्षण संस्था आईफोप ने सर्वे किया जिसमें सिर्फ एक तिहाई लोगों ने ही विरोधियों को सही बताया.
एक अन्य सर्वे इप्सोस और सोपरा स्टेरिया ने रेडियो स्टेशन फ्रांसइन्फो के लिए किया था, जिसमें पता चला कि 60 प्रतिशत लोग हेल्थ पास के पक्ष में हैं जबकि 74 प्रतिशत मानते हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए अनिवार्य वैक्सीनेशन उचित है.
तस्वीरों मेंः टीका लगवाने पर दावत
कोरोना का टीका लगाने पर "दावत"
लंबे समय के बाद लॉकडाउन खत्म हुआ है, इसलिए सर्बिया में रेस्तरां खुल गए हैं. हालांकि, पूरे देश में अभी भी टीकाकरण गतिविधियां जारी हैं. ऐसे में शहर के एक रेस्तरां ने एक खास पेशकश की है.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
टीका लगवाओ और भुना गोश्त पाओ
वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए सर्बिया के क्रागुएवात्स शहर में रेस्तरां मालिक स्ताव्रो रासकोविच ने उन लोगों को मुफ्त में स्थानीय व्यंजन खाने का मौका दिया जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवा ली. इसके जरिए रासकोविच ने लोगों को धन्यवाद करने की कोशिश की.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
वैक्सीन और खाना
लॉकडाउन की वजह से देश के रेस्तरां, कैफे और बार बुरी तरह प्रभावित हुए. इस साल भी कोरोना को लेकर पाबंदियां लगाई गई थीं, अब पाबंदियां हटा ली गईं हैं और ऐसे में स्ताव्रो रासकोविच ने इस मौके पर लोगों को रेस्तरां के बाहर खाना पेश किया, रेस्तरां के भीतर लोगों को वैक्सीन दी जा रही.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
रेस्तरां में दो टीके
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने रेस्तरां के मुख्य हॉल को एक टीकाकरण केंद्र में बदल डाला है. यहां पर लोगों को फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन और चीन की सिनोफार्म वैक्सीन दी जा रही है. टीका लगवाने के बाद लोग भुने गोश्त का आनंद ले सकते हैं.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
टीकाकरण पर जोर
सर्बिया ने पिछले साल दिसंबर में ही पूरे देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी. उसने जनता को फाइजर-बायोएनटेक, एस्ट्राजेनेका, स्पुतनिक वी या फिर सिनोफार्म की वैक्सीन लेने का विकल्प दिया.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
इतिहास का हिस्सा
बीयर के साथ रोस्टेड मीट का आनंद लेते 63 साल के बेन यायिक रासकोविच की पहल की सराहना करते हैं और कहते हैं, "एक दिन कोई कहेगा कि बेन अंकल ने यहीं टीका लगवाया था." 70 लाख की आबादी वाले देश में करीब एक तिहाई लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है.
तस्वीर: MARKO DJURICA/REUTERS
डिस्काउंट वाउचर
सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में तो एक शॉपिंग मॉल ने वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए डिस्काउंट वाउचर देने का ऐलान किया. मॉल में वैक्सीन लगवाने वालों की भीड़ लग गई और पहले 100 लोगों को करीब 30 डॉलर का वाउचर भी मिला.
तस्वीर: Marko Djurica/REUTERS
कोरोना टेस्ट पर बीयर
डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में एक बार ऐसे लोगों को बीयर पिलाता है जो उनके बार में कोरोना के लिए एंटीजेन टेस्ट करवाने के लिए आते हैं. बार का मानना है कि इस तरह से उसका कारोबार चल पड़ेगा.
तस्वीर: TIM BARSOE/REUTERS
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माक्रों द्वारा नए नियमों के ऐलान के बाद से ही टीका लगवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जुलाई के शुरुआत में करीब टीका लगवाने वालों की संख्या औसतन साढ़े तीन लाख साप्ताहिक थी, जो अब बढ़कर साढ़े छह लाख हो चुकी है.