अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण से 5,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. दूसरी ओर एक दिन में 884 लोगों की मौत इस महामारी के कारण हुई है जो कि एक रिकॉर्ड है.
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अमेरिका के जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण अमेरिका में 5,116 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि देश में 2,16,515 लोग संक्रमित हैं. 24 घंटे के भीतर इस बीमारी ने 884 लोगों की जान ले ली है. अमेरिका में एक दिन में मरने वालों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. अमेरिका में संक्रमित लोगों की संख्या भी दुनिया में सबसे अधिक है. इटली और स्पेन के बाद सबसे अधिक मौतें अमेरिका में ही हुई हैं. चीन में इस महामारी के कारण 3,316 लोगों की मौत हो गई जबकि अमेरिका में मौत का आंकड़ा उससे कहीं अधिक है.
जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक कोरोना वायरस के नए मामलों में अमेरिका दुनिया भर में शीर्ष पर है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुरुआत में इस बीमारी के कारण देश पर पड़ने वाले प्रभाव को बहुत ही कम बताया था. लेकिन उन्होंने बुधवार को कहा, "कुछ हफ्ते, अब से शुरू हो रहे हैं...वे बहुत ही भयानक होने जा रहे हैं." पिछले रविवार को देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक एंथोनी फौकी ने चेतावनी जारी करते हुए आशंका जताई थी कोरोना वायरस के कारण देश में 1,00,000 से 2,00,000 लोगों की मौत हो सकती है.
दूसरी ओर ट्रंप कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट तक यात्राएं सीमित कर सकते हैं. न्यू यॉर्क और डेट्रायट के बीच थोड़ी बहुत उड़ानें चालू हैं लेकिन यात्रियों की संख्या में देश भर में भारी गिरावट दर्ज की गई है. बुधवार को ट्रंप ने कहा कि देश में कई घरेलू उड़ानों को रद्द किया जा सकता है. उनके मुताबिक कोरोना वायरस से प्रभावित इलाकों में फ्लाइट्स जा रही हैं और वायरस को फैलने से रोकने के लिए उड़ानों पर रोक लगाई जा सकती है. पत्रकारों से ट्रंप ने कहा, "हम ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं."
अमेरिका में कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी के आखिरी दिनों में सामने आया. लेकिन अब वहां इस वायरस से संक्रमण के केसों की तादाद छह लाख की तरफ बढ़ रही है. आखिर ऐसा हुआ कैसे?
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गंभीर स्थिति
अमेरिका में कोरोना विस्फोट की कई वजहें हैं, हालांकि कई जानकार आशंका जता रहे हैं कि सबसे बदतर स्थिति अभी आनी बाकी है. इस वक्त अमेरिका में इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले हैं.
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ट्रंप की चूक
जब अमेरिका में वायरस फैलना शुरू हुआ तो राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर इसे गंभीरता से ना लेने के आरोप लगे. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि ये वायरस ज्यादा लोगों में फैले.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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कानूनी अड़चनें
सरकार ने शुरू में नियामक अड़चनों में ढील देने से इनकार कर दिया. इसके चलते अमेरिकी राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के मुताबिक अपनी खुद की टेस्टिंग किट तैयार नहीं कर पाए.
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खराब किटें
सभी शुरुआत सैंपलों को टेस्ट के लिए अटलांटा के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में भेजा गया. बाद में सीडीसी की तरफ से राज्यों को जो टेस्ट किट भेजी गईं, वे भी खराब थी. इससे टेस्टिंग में और विलंब हुआ.
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ढीला रवैया
अमेरिका में पहला मामले सामने आने के एक महीने बाद 29 फरवरी को वहां इस वायरस से पहली मौत हुई. तब कहीं जाकर अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंध हटाया और प्राइवेट सेक्टर इस मामले में सक्रिय हो सका.
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देरी ने की गड़बड़
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ गेबोर केलेन कहते हैं, "अगर हम जल्दी ज्यादा से ज्यादा मामलों का पता लगा लेते तो वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जगहों को बंद कर सकते थे."
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बचाव
अमेरिकी अधिकारी अपने रुख का बचाव करते हैं. वह बार बार कह रहे हैं कि दक्षिण कोरिया में टेस्ट के जिस तरीके को शुरू में सबसे प्रभावी बताया गया, उससे कभी कभी गलत नतीजे भी सामने आए. रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)