ग्रीस में सरकार ने 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए कोविड वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया है. जो व्यक्ति वैक्सीन नहीं लगवाएगा उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.
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ग्रीस में 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को वैक्सीन अनिवार्य रूप से लगवानी होगी. ऐसा ना करने पर उन्हें 100 यूरो प्रति माह जुर्माना देना होगा. देश में कोविड के मामलों में एक बार फिर वृद्धि के चलते यह फैसला किया गया है.
ग्रीस के प्रधानमंत्री कीरियाकोस मित्सोताकीस ने मंगलवार को टीवी पर एक संबोधन में इस फैसले का ऐलान किया. उन्होंने बताया कि यह निर्णय 16 जनवरी से लागू होगा और जुर्माने की राशि टैक्स बिल में जोड़ दी जाएगी.
तस्वीरेंः बेलारूस में फंसे आप्रवासियों का क्या होगा
बेलारूस में फंसे आप्रवासियों का क्या होगा
मध्य पूर्व से यूरोप जाने की कोशिश कर रहे हजारों आप्रवासी बर्फीली सर्दी के मौसम में बेलारूस की सीमा पर फंसे हुए हैं. उनका भविष्य अभी भी अनिश्चित है और अब उनके बीच कोविड के फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है.
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यूरोप की राह में
बेलारूस के नेता ऐलेग्जैंडर लुकाशेंको ने जर्मनी से इन 2,000 आप्रवासियों को स्वीकार करने को कहा है लेकिन जर्मनी ने ऐसा करने से मना कर दिया है. यूरोपीय संघ उन्हें वहां उनके मूल देश वापस भेजना चाह रहा है.
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कोविड का खतरा
लुकाशेंको ने जोर दे कर कहा है कि वो इन्हें यूरोपीय संघ की तरफ बढ़ने से नहीं रोकेंगे. इन 2,000 लोगों को इस समय पोलैंड की सीमा के पास ब्रूज्गी में एक गोदाम में ठहराया गया है. अब यहां कोविड का एक मामला भी सामने आ गया है और संक्रमण के फैलने को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.
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दवाओं और मदद की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप निदेशक हांस क्लुग इस अस्थायी शिविर में गए और दवाएं और रसद भेजने का वादा किया. निमोनिया जैसी बीमारियों की शिकायत होने के बाद अभी तक करीब 100 लोगों को आस पास के अस्पतालों तक पहुंचाना पड़ा है.
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बेलारूस में फंसे
यूरोपीय संघ ने लुकाशेंको पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पश्चिम पर दबाव डालने के लिए इराक, सीरिया, यमन और अफगानिस्तान जैसे संकट ग्रस्त इलाकों से आप्रवासियों की संघ की सीमा तक पहुंचने में मदद की. पोलैंड और पड़ोस के बॉल्टिक देशों ने अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं जिसकी वजह से कई आप्रवासी बेलारूस में फंस गए हैं.
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प्रतिबंधित क्षेत्र
पिछले सप्ताह करीब 375 लोगों ने बेलारूस से यूरोपीय संघ में घुसने की कोशिश की लेकिन पोलिश सीमा सुरक्षा एजेंसी ने उन्हें वापस बेलारूस भेज दिया. पांच लोगों को भारी थकावट की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. पुलिस ने कहा है कि तीन संदिग्ध मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन चूंकि वहां मीडियाकर्मियों को जाने की अनुमति नहीं है, इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है.
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वापस भेजना चाह रहा है ईयू
संघ के विदेश नीति प्रमुख के एक प्रवक्ता ने कहा कि संघ बेलारूस के विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में है और इस बार में चर्चा कर रहा है कि इन आप्रवासियों को उनके मूल देश कैसे वापस भेजा जाए. पिछले दो सप्ताह में इराक के रहने वाले करीब 600 लोग दो जत्थों में विशेष उड़ानों के जरिए इराक के उत्तरी कुरदीश इलाके में वापस जा चुके हैं. (फिलिप बोल)
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ग्रीस में अब तक कुल 18,000 लोगों की मौत कोविड-19 से हो चुकी है. देश में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले रिकॉर्ड स्तर पर हैं जबकि देश की करीब एक चौथाई आबादी को टीका नहीं लगा है.
लॉकडाउन नहीं लगेगा
इससे पहले ग्रीस की सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी ऐसा ही फैसला किया था. तब सभी स्वास्थ्यकर्मियों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों के लिए वैक्सीन लेना अनिवार्य कर दिया गया था और ऐसा न करने पर उन्हें बिना वेतन नौकरी से अनिश्चितकाल के लिए निलंबन की सजा तय की गई थी.
सरकार ने कहा है कि देश में और लॉकडाउन नहीं लगाए जाएंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि बुजुर्गों के लिए सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं ताकि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमराने से बचाया जा सके. देश में आईसीयू के बिस्तर लगभग पूरी तरह भरे हुए हैं
मित्सोताकीस ने कहा, "नया ओमिक्रॉन वेरिएंट चिंता का विषय है और हमें सचेत रहन की जरूरत है. दुर्भागय से जिन लोगों ने अब तक टीका नहीं लगवाया है उनमें से पांच लाख 80 हजार लोग 60 साल से ऊपर हैं. नवंबर में टीका लगवाने के लिए सिर्फ 60 हजार लोगों ने अपॉइंटमेंट ली है."
प्रधानमंत्री मित्सोताकीस ने सचेत किया कि 60 साल से ऊपर के लोगों को ही ज्यादातर अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है और उन्हीं की जान भी ज्यादा जा रही है.
यूरोप में कई जगह गंभीर हालात
यूरोप के कई देशों में कोरोनावायरस के कारण स्थिति एक बार फिर गंभीर हो गई है. फ्रांस में स्वास्थ्य मंत्री ओलिविए वेरान ने चेतावनी दी है कि हालात खराब हो रहे हैं. संसद में मंगलवार को उन्होंने कहा, "बीते 24 घंटे में 47 हजार नए मामले आए हैं जो दिखाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है."
तस्वीरेंः सिर्फ बीमारी नहीं फैलाते चमगादड़
सिर्फ बीमारी नहीं फैलाते हैं चमगादड़
कोरोना वायरस का स्रोत माने जाने की वजह से चमगादड़ बड़े बदनाम हो गए हैं, लेकिन असल में धरती पर इनकी काफी उपयोगिता भी है. क्या आप जानते हैं ये सब इनके बारे में?
तस्वीर: DW
ना कैंसर और ना बुढ़ापा छू सके
साल में केवल एक ही संतान पैदा कर सकने वाले चमगादड़ ज्यादा से ज्यादा 30 से 40 साल ही जीते हैं. लेकिन ये कभी बूढ़े नहीं होते यानि पुरानी पड़ती कोशिकाओं की लगातार मरम्मत करते रहते हैं. इसी खूबी के कारण इन्हें कभी कैंसर जैसी बीमारी भी नहीं होती.
ऑस्ट्रेलिया की झाड़ियों से लेकर मेक्सिको के तट तक - कहीं पेड़ों में लटके, तो कहीं पहाड़ की चोटी पर, कहीं गुफाओं में छुपे तो कहीं चट्टान की दरारों में - यह अंटार्कटिक को छोड़कर धरती के लगभग हर हिस्से में पाए जाते हैं. स्तनधारियों में चूहों के परिवार के बाद संख्या के मामले में चमगादड़ ही आते हैं.
तस्वीर: Imago/Bluegreen Pictures
क्या सारे चमगादड़ अंधे होते हैं
इनकी आंखें छोटी होने और कान बड़े होने की बहुत जरूरी वजहें हैं. यह सच है कि ज्यादातर की नजर बहुत कमजोर होती है और अंधेरे में अपने लिए रास्ता तलाशने के लिए वे सोनार तरंगों का सहारा लेते हैं. अपने गले से ये बेहद हाई पिच वाली आवाज निकालते हैं और जब वह आगे किसी चीज से टकरा कर वापस आती है तो इससे उन्हें अपने आसपास के माहौल का अंदाजा होता है.
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काले ही नहीं सफेद भी होते हैं चमगादड़
यह है होंडुरान व्हाइट बैट, जो यहां हेलिकोनिया पौधे की पत्ती में अपना टेंट सा बना कर चिपका हुआ है. दुनिया में पाई जाने वाली चमगादड़ों की 1,400 से भी अधिक किस्मों में से केवल पांच किस्में सफेद होती हैं और यह होंडुरान व्हाइट बैट तो केवल अंजीर खाते हैं.
चमगादड़ों को आम तौर पर दुष्ट खून चूसने वाले जीव समझा जाता है लेकिन असल में इनकी केवल तीन किस्में ही सचमुच खून पीती हैं. जो पीते हैं वे अपने दांतों को शिकार की त्वचा में गड़ा कर छेद करते हैं और फिर खून पीते हैं. यह किस्म अकसर सोते हुए गाय-भैंसों, घोड़ों को ही निशाना बनाते हैं लेकिन जब कभी ये इंसानों में दांत गड़ाते हैं तो उनमें कई तरह के संक्रमण और बीमारियां पहुंचा सकते हैं.
कुदरती तौर पर चमगादड़ कई तरह के वायरसों के होस्ट होते हैं. सार्स, मर्स, कोविड-19, मारबुर्ग, निपा, हेन्ड्रा और शायद इबोला का वायरस भी इनमें रहता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनका अनोखा इम्यूम सिस्टम इसके लिए जिम्मेदार है जिससे ये दूसरे जीवों के लिए खतरनाक बीमारियों के कैरियर बनते हैं. इनके शरीर का तापमान काफी ऊंचा रहता है और इनमें इंटरफेरॉन नामका एक खास एंटीवायरल पदार्थ होता है.
तस्वीर: picture-lliance/Zuma
ये ना होते तो ना आम होते और ना केले
जी हां, आम, केले और आवोकाडो जैसे फलों के लिए जरूरी परागण का काम चमगादड़ ही करते हैं. ऐसी 500 से भी अधिक किस्में हैं जिनके फूलों में परागण की जिम्मेदारी इन पर ही है. तस्वीर में दिख रहे मेक्सिको केलंबी नाक वाले चमगादड़ और इक्वाडोर के ट्यूब जैसे होंठों वाले चमगादड़ अपनी लंबी जीभ से इस काम को अंजाम देते हैं. (चार्ली शील्ड/आरपी)
तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos
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दो हफ्ते पहले फ्रांस में कुल मामले 15 हजार थे जो एक हफ्ता पहले 23 हजार पर और इस हफ्ते की शुरुआत में 30 हजार पर पहुंच गए थे. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "अगर इसी तरह चलता रहा तो हफ्ते के आखिर तक मरीजों की संख्या तीसरी लहर से भी ऊपर चली जाएगी."
फ्रांस में ओमिक्रॉन का पहला मामला भी दर्ज हो चुका है और वेरान ने कहा कि आने वाले घंटों में और कई मामले सामने आ सकेत हैं. यूरोप में फ्रांस उन देशों में है जहां सबसे ज्यादा वैक्सीन लग चुकी हैं. देश की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को टीका लग चुका है.
ब्रिटेन में भी ओमिक्रॉन के मामले सामने आ रहे हैं. मंगलवार को आठ नए मामलों के साथ देश में ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों की संख्या 22 हो गई थी. मीडिया से बातचीत में देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि जनवरी के आखिर तक देश के सभी योग्य लोगों को बूस्टर डोज देने की योजना है.
जॉनसन ने कहा, "देश में अस्थायी टीकाकरण केंद्र क्रिसमस ट्री की तरह जगह-जगह लगाए जाएंगे." ब्रिटेन में 12 साल से ऊपर के 88 फीसदी से ज्यादा लोगों को कोविड वैक्सीन की पूरी खुराक मिल चुकी है.
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ओमिक्रॉन का बढ़ता डर
दुनियाभर में कोरोनवायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के कारण चिंता बढ़ गई है. कई देशों ने अपने यहां लोगों के आने पर पाबंदी लगा दी है जिनमें हांग कांग, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देश शामिल हैं.
अमेरिका ने विदेशी यात्रियों के लिए कोविड जांच के नियमों को और सख्त कर दिया है. वहां की केंद्रीय संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन ने मंगलवार को कहा कि विदेशी यात्रियों के लिए ‘ग्लोबल टेस्टिंग ऑर्डर' में बदलाव किए गए हैं और अब अमेरिका आने वाले लोगों को यात्रा शुरू करने से एक दिन पहले टेस्ट कराना होगा.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
महंगाई से कराहते आम भारतीय
पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल या फिर आटा, भारत में हर चीज की कीमत आसमान छू रही है. बेकाबू महंगाई से रोजमर्रा की चीजें भी अछूती नहीं है. कोविड काल में महंगाई जनता को जोर का झटका दे रही है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
महंगा पेट्रोल
पेट्रोल का दाम करीब-करीब हर रोज बढ़ता जा रहा है. दाम बढ़ने से मिडिल क्लास परिवारों पर काफी बोझ पड़ रहा है. कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को अर्से पहले ही पार कर चुका है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
डीजल महंगा, माल ढुलाई महंगी
डीजल का दाम भी आसमान छूता जा रहा है. कई शहरों में डीजल तो 100 रुपये के पार जा चुका है, जिससे माल ढुलाई भी महंगी हो गई है. खेतों में सिंचाई के लिए भी डीजल का इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
रसोई गैस
रसोई गैस पिछले चार महीनों में 90 रुपये के करीब महंगी हो चुकी है. फिलहाल दिल्ली और मुंबई में रसोई गैस सिलेंडर का दाम 899.50 रुपये है. वहीं कोलकाता में यह 926 रुपये है.
तस्वीर: AFP
सीएनजी भी महंगी
कभी किफायती मानी जाने वाली सीएनजी और पीएनजी अब महंगी होती जा रही है. अक्टूबर महीने में सीएनजी 4.56 रुपये प्रति किलो और पीएनजी 4.20 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो चुकी है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/X. Galiana
खाने का तेल
सरसों का तेल 200 रुपये प्रति किलो के ऊपर जा चुका है. सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी घटाई थी लेकिन इसका कीमत पर असर होता नहीं दिख रहा है.
तस्वीर: Imago Images/Panthermedia
सब्जी और फल
बेमौसमी बारिश और माल ढुलाई दर में वृद्धि के कारण सब्जियों के दामों पर खासा असर पड़ा है. आलू, प्याज, टमाटर और हरी सब्जियां खुदरा बाजार में महंगी हो गई है. त्योहारों के मौसम में लोग इस महंगाई से खासे परेशान हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
माचिस पर महंगाई की मार
14 साल के अंतराल के बाद माचिस की डिबिया महंगी होने वाली है. एक दिसंबर से इसकी कीमत एक रुपये से बढ़कर दो रुपये हो जाएगी. आखिरी बार 2007 में माचिस की कीमत में संशोधन हुआ था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Zimmer
केंद्रीय बैंक की चिंता
रिजर्व बैंक ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल से उत्पाद और सेवाओं के रिटेल दाम बढ़ने की चिंता जताई है. आरबीआई का कहना है कि महंगा पेट्रोल-डीजल यातायात और माल ढुलाई का बोझ बढ़ा रहा है.