भारत में कई राज्यों में एक बार फिर कोविड संक्रमण के नए मामले तेज गति से बढ़ रहे हैं. दिल्ली और मुंबई में सबसे ज्यादा उछाल आया है लेकिन दूसरे कई इलाकों में भी स्थिति चिंताजनक है.
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भारत में पिछले 24 घंटों में 13,154 नए मामले सामने आए, जो कि छह महीनों में एक नया रिकॉर्ड है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक ही दिन में 923 नए मामले सामने आए, जो कि सिर्फ एक ही दिन पहले के आंकड़ों (496) से दोगुनी संख्या है.
दिल्ली में छह महीनों में पहली बार पॉजिटिविटी दर यानी टेस्ट किए सैंपलों में से पॉजिटिव सैंपलों का अनुपात 1.0 को पार कर गया. शहर के ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान के मुताबिक पॉजिटिविटी दर अगर दो दिनों तक 1.0 से ऊपर रहती है तो शहर में वीकएंड कर्फ्यू, शिक्षण संस्थान बंद, सिनेमा हॉल बंद, रेस्तरां बंद इत्यादि जैसी कई तरह की पाबंदियां लागू कर दी जाती हैं.
तीसरी लहर
मुंबई में एक ही दिन में 2,510 नए मामले सामने आए हैं. शहर में सात जनवरी तक धारा 144 लगा दी गई है. महाराष्ट्र में नए मामलों के साथ साथ सक्रिय मामलों में भी बड़ा उछाल आया है, जो राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है.
चेन्नई में 294, बेंगलुरु में 400 और कोलकाता में 540 नए मामले सामने आए. कर्नाटक, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात समेत दूसरे कई राज्यों में भी मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. पश्चिम बंगाल में पांच महीनों बाद पहली बार एक दिन में 1,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
राजस्थान में सिर्फ 100 नए मामले सामने आए हैं लेकिन यह आंकड़ा भी छह महीनों बाद सामने आया है. बिहार में तो मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने आधिकारिक तौर पर तीसरी लहर की शुरुआत की घोषणा कर दी है.
ओमिक्रॉन का बढ़ता असर
संक्रमण के सभी नए मामलों में ओमिक्रॉन से संक्रमण के मामले 1,000 से कम ही हैं लेकिन माना जा रहा है कि नए मामलों में आई इस उछाल के लिए नया वेरिएंट ही जिम्मेदार है.
संक्रमण किस वेरिएंट से हुआ है यह पता करने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग करनी होती है और उसमें वक्त लगता है. इसीलिए जानकार मान रहे हैं कि जैसे जैसे और ज्यादा सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी ओमिक्रॉन के प्रसार की पुष्टि हो जाएगी.
कोरोना वायरस के जेनोमिक बदलावों पर नजर रखने के लिए बनाए गए 38 प्रयोगशालाओं के संघ इनसाकोग ने कहा है कि अब यह साबित हो चुका है कि ओमिक्रॉन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी से बच जाता है और शरीर को संक्रमित कर देता है.
लेकिन इनसाकोग ने यह भी कहा कि इस बार संक्रमित लोगों में बीमारी की गंभीरता पिछली बार के मुकाबले कम नजर आ रही है.
ऐसा दिखता है कोरोना वायरस
शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की मदद से कोरोना वायरस की अद्भुत तस्वीरें ली हैं. देखिए कैसा दिखता है यह वायरस, यह कैसे काम करता है और दूसरे वायरसों और इसमें क्या फर्क है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance
कोरोना की तस्वीर
यह है कोविड-19 महामारी को फैलाने वाले एसआरएस-सीओवी-2 की असली तस्वीर. इसके हर कण का व्यास करीब 80 नैनोमीटर होता है. हर कण में वायरस के जेनेटिक कोड यानी आरएनए की एक गेंद होती है. उसकी रक्षा करता है एक स्पाइक प्रोटीन यानी बाहर की तरफ निकले हुए मुकुट जैसे उभार जिनकी वजह से वायरस को यह नाम मिला. यह कोरोना वायरस परिवार का एक हिस्सा है, जिसके और भी सदस्य हैं.
तस्वीर: Peter Mindek/Nanographics/apa/dpa/picture alliance
हवा से प्रसार
इसके कण छोटी छोटी बूंदों और ऐरोसोल के जरिए तब फैलते हैं जब कोई सांस लेता है या खांसता है या बात करता है. यह संक्रमित सतहों के जरिए भी फैलता है.
तस्वीर: AFP/National Institutes of Health
मानव कोशिकाओं में प्रवेश
यह वायरस स्पाइक प्रोटीनों का इस्तेमाल कर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन से जुड़ जाता है. इससे कुछ रासायनिक बदलाव होते हैं जिनकी बदौलत वायरस का आरएनए (इस तस्वीर में हरे रंग में) कोशिकाओं में घुस जाता है. वहां वो कोशिकाओं से आरएनए की प्रतियां बनवाता है. एक कोशिका वायरस के हजारों नए कण (इस तस्वीर में बैंगनी रंग में) बना सकती है, जो फिर दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं.
तस्वीर: NIAID/ZUMAPRESS.com/picture alliance
इंसानों के लिए नया
इस तस्वीर में बुरी तरह से संक्रमित एक कोशिका नीले रंग में दिखाई दे रही है. उसे संक्रमित करने वाले वायरस के कण लाल रंग में हैं. यह वायरस फ्लू या जुकाम करने वाले वायरसों से ज्यादा अलग नहीं है लेकिन 2019 से पहले इसका कभी किसी से पाला ही नहीं पड़ा था. इसी वजह से किसी में भी इसके खिलाफ इम्युनिटी नहीं थी.
तस्वीर: NIAID/Zuma/picture alliance
2002 में आया सदी का पहला कोरोनावायरस
2002 में चीन में इंसानों के बीच इस सदी का पहला कोरोनावायरस हमला सामने आया. यह एसआरएस-सीओवी था जिससे एसएआरएस नाम की बीमारी आई. यह बीमारी करीब 30 देशों में फैल गई लेकिन यह उतनी घातक नहीं निकली. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जुलाई 2003 में ही इस पर नियंत्रण कर लिए जाने की घोषणा कर दी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Center of Disease Control
मिलिए परिवार के एक और सदस्य से
2012 में खोज हुई एमईआरएस-सीओवी की जिसे एक नई फ्लू जैसी बीमारी को जन्म दिया. मध्य पूर्व में पहली बार सामने आने वाले इस बीमारी का नाम एमईआरएस रखा गया. यह कोविड-19 से कम संक्रामक होती है. संक्रमण अमूमन एक ही परिवार के सदस्यों में या अस्पतालों के अंदर फैलता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/NIAID-RML
एचआईवी: एक और महामारी
इस तस्वीर में पीले रंग में दिख रहा है एड्स बीमारी फैलाने वाला एचआई वायरस. नीले रंग में टी-कोशिकाएं हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा होती हैं और वायरस इसी सिस्टम पर हमला करता है. एसआरएस-सीओवी-2 की ही तरह यह भी आरएनए आधारित वायरस है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance