भारत में पिछले 24 घंटों में कोविड के 90,928 नए मामले सामने आए हैं, जो एक दिन पहले के मुकाबले 55 प्रतिशत ज्यादा हैं. कई शहरों में अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.
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केंद्र सरकार ने कहा है कि लगभग पूरे देश में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि इसके लिए ओमिक्रॉन ही जिम्मेदार है. सरकार ने जोर दे कर कहा कि संक्रमण की रफ्तार दिखाने वाली "आर वैल्यू" दूसरी लहर से भी ऊपर पहुंच चुकी है.
भारत में 2021 में दूसरी लहर के दौरान "आर वैल्यू" 1.69 पर दर्ज की गई थी. इस समय वह 2.69 पर खड़ी है. लगभग सभी बड़े शहरों में संक्रमण के मामलों में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. मुंबई में बुधवार को 15,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए, जो शहर के लिए मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत से लेकर अभी तक की अवधि में एक नया रिकॉर्ड है.
चिंताजनक स्थिति
दिल्ली में नए मामले एक दिन में लगभग दोगुना हो कर 10,665 पर पहुंच गए. कोलकाता, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु जैसे शहरों में भी स्थिति चिंताजनक है. केंद्र और राज्य सरकारों अस्पताल तक पहुंचने वाले मामलों के आंकड़ों को देख कर थोड़ी राहत की सांस जरूर ले रही हैं लेकिन ये आंकड़े भी बदल रहे हैं.
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने एक समाचार वार्ता के दौरान कहा कि अस्पताल में भर्ती होने की दर दिल्ली में 3.7 प्रतिशत के आस पास है और मुंबई में पांच प्रतिशत. उन्होंने बताया कि 2020 और 2021 में यह दर 20 प्रतिशत के आस पास थी.
लेकिन लगभग सभी बड़े शहरों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. चेन्नई में इस आंकड़े में एक महीने में तीन गुना से भी ज्यादा उछाल आया है. मुंबई में पांच दिनों में अस्पताल में भर्ती 68 प्रतिशत बढ़ी है, पुणे में दो हफ्तों में 10 प्रतिशत और अहमदाबाद में 12 दिनों में 10 गुना बढ़ी.
दिल्ली में 15 दिनों में कोविड बिस्तरों पर मरीजों की संख्या 2.5 गुना बढ़ गई. हालांकि राज्य सरकारों ने अभी तक कोई पैनिक बटन नहीं दबाया है. कई राज्यों में पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत के चिंताजनक स्तर के ऊपर है लेकिन किसी भी राज्य में पूर्ण तालाबंदी जैसा कोई कदम उठाया नहीं गया है.
कई राज्यों में रात का कर्फ्यू और वीकएंड कर्फ्यू लगा दिए गए हैं. देखना होगा कि आने वाले दिनों में नए मामलों की दर, अस्पताल भर्ती की दर, ऑक्सीजन की जरूरत की दर और मृत्यु दर में कोई उछाल आता है या नहीं.
ऐसा दिखता है कोरोना वायरस
शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की मदद से कोरोना वायरस की अद्भुत तस्वीरें ली हैं. देखिए कैसा दिखता है यह वायरस, यह कैसे काम करता है और दूसरे वायरसों और इसमें क्या फर्क है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance
कोरोना की तस्वीर
यह है कोविड-19 महामारी को फैलाने वाले एसआरएस-सीओवी-2 की असली तस्वीर. इसके हर कण का व्यास करीब 80 नैनोमीटर होता है. हर कण में वायरस के जेनेटिक कोड यानी आरएनए की एक गेंद होती है. उसकी रक्षा करता है एक स्पाइक प्रोटीन यानी बाहर की तरफ निकले हुए मुकुट जैसे उभार जिनकी वजह से वायरस को यह नाम मिला. यह कोरोना वायरस परिवार का एक हिस्सा है, जिसके और भी सदस्य हैं.
तस्वीर: Peter Mindek/Nanographics/apa/dpa/picture alliance
हवा से प्रसार
इसके कण छोटी छोटी बूंदों और ऐरोसोल के जरिए तब फैलते हैं जब कोई सांस लेता है या खांसता है या बात करता है. यह संक्रमित सतहों के जरिए भी फैलता है.
तस्वीर: AFP/National Institutes of Health
मानव कोशिकाओं में प्रवेश
यह वायरस स्पाइक प्रोटीनों का इस्तेमाल कर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन से जुड़ जाता है. इससे कुछ रासायनिक बदलाव होते हैं जिनकी बदौलत वायरस का आरएनए (इस तस्वीर में हरे रंग में) कोशिकाओं में घुस जाता है. वहां वो कोशिकाओं से आरएनए की प्रतियां बनवाता है. एक कोशिका वायरस के हजारों नए कण (इस तस्वीर में बैंगनी रंग में) बना सकती है, जो फिर दूसरी स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं.
तस्वीर: NIAID/ZUMAPRESS.com/picture alliance
इंसानों के लिए नया
इस तस्वीर में बुरी तरह से संक्रमित एक कोशिका नीले रंग में दिखाई दे रही है. उसे संक्रमित करने वाले वायरस के कण लाल रंग में हैं. यह वायरस फ्लू या जुकाम करने वाले वायरसों से ज्यादा अलग नहीं है लेकिन 2019 से पहले इसका कभी किसी से पाला ही नहीं पड़ा था. इसी वजह से किसी में भी इसके खिलाफ इम्युनिटी नहीं थी.
तस्वीर: NIAID/Zuma/picture alliance
2002 में आया सदी का पहला कोरोनावायरस
2002 में चीन में इंसानों के बीच इस सदी का पहला कोरोनावायरस हमला सामने आया. यह एसआरएस-सीओवी था जिससे एसएआरएस नाम की बीमारी आई. यह बीमारी करीब 30 देशों में फैल गई लेकिन यह उतनी घातक नहीं निकली. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जुलाई 2003 में ही इस पर नियंत्रण कर लिए जाने की घोषणा कर दी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Center of Disease Control
मिलिए परिवार के एक और सदस्य से
2012 में खोज हुई एमईआरएस-सीओवी की जिसे एक नई फ्लू जैसी बीमारी को जन्म दिया. मध्य पूर्व में पहली बार सामने आने वाले इस बीमारी का नाम एमईआरएस रखा गया. यह कोविड-19 से कम संक्रामक होती है. संक्रमण अमूमन एक ही परिवार के सदस्यों में या अस्पतालों के अंदर फैलता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/NIAID-RML
एचआईवी: एक और महामारी
इस तस्वीर में पीले रंग में दिख रहा है एड्स बीमारी फैलाने वाला एचआई वायरस. नीले रंग में टी-कोशिकाएं हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम का हिस्सा होती हैं और वायरस इसी सिस्टम पर हमला करता है. एसआरएस-सीओवी-2 की ही तरह यह भी आरएनए आधारित वायरस है.
तस्वीर: Seth Pincus/Elizabeth Fischer/Austin Athman/National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP Photo/AP Photo/picture alliance