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विज्ञानऑस्ट्रेलिया

कोविड ने छेड़े, चूहे के स्पर्म

१२ अक्टूबर २०२५

कोविड-19 से संक्रमित चूहों के बच्चों में बेचैनी और घबराहट जैसा व्यवहार देखा गया है. क्या ऐसा ही असर इंसानों में मिलेगा?

लैब में नर चूहे
तस्वीर: Katsuhiko Hayashi/AP/picture alliance

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित फ्लोरे इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग के दौरान नर चूहों को कोविड वायरस से संक्रमित किया. संक्रमण के बाद उन्हें प्रजनन करने के लिए मादा चूहों के साथ रखा गया. मकसद था, इस ब्रीडिंग से पैदा हुई भावी संतानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का आकलन करना.

शोध की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ क्लीमैन के मुताबिक, हमें पता चला कि गैर संक्रमण वाले पिता की संतानों के मुकाबले, संक्रमित पिता की संतानों में घबराहट जैसा व्यवहार ज्यादा था. वैज्ञानिकों के मुताबिक, संक्रमित पिता की मादा संतानों में बदलाव ज्यादा स्पष्ट था. उनके मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस क्षेत्र में कुछ जीन अलग तरह से सक्रिय थे. दिमाग का यही हिस्सा भावनाओं को नियंत्रित करता है.

स्पर्म में छुपे रहते हैं जीनोम संबंधी रहस्यतस्वीर: Research Institute of Molecular Pathology/AP/picture alliance

चूहे के स्पर्म पर कोविड का असर

यह शोध अब प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन में छापा गया है. शोध की सहायक वरिष्ठ लेखिका कारोलिना गुबेर्ट के मुताबिक, "भावी पीढ़ी में हमने जिस तरह की बेचैनी देखी शायद, यह इसी का नतीजा हो सकता है."

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कोविड संक्रमण के दिमाग और व्यवहार पर पड़ने वाले दीर्घकालीन असर को जांचने वाली पहली रिसर्च है. इसी दौरान पता चला कि वायरस, पिता के शुक्राणु में मौजूद आरएनए पर असर डालता है. आरएनए के अणु मस्तिष्क का विकास करने वाले जीनों के लिए जिम्मेदार होते हैं.

2020 की शुरुआत से 2021 के अंत तक बुरी तरह कोविड की चपेट में रही दुनियातस्वीर: Niharika Kulkarni/AFP/Getty Images

क्या इंसान पर भी होगा ऐसा ही असर

शोध के मुख्य रिसर्चर एंथनी हैनन के मुताबिक, यह देखना अभी बाकी है कि चूहों में सामने आया ये बदलाव क्या इंसान पर भी ऐसा ही असर डालेगा. वह कहते हैं, "अगर हमारे नतीजे इंसान पर भी लागू होते हैं तो ये दुनिया भर में लाखों बच्चों, उनके परिवार और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी बड़ा असर डालेगा."

2020 की शुरुआत में दुनिया ने कोविड-19 महामारी देखी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस महामारी ने 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली. बुरी तरह संक्रमण की चपेट में आने वाले लोग और रोकथाम में जुटे अधिकारियों के मुताबिक, महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर छोड़ा है.

15 देशों में किए गए करीब 40 शोधों के मुताबिक, कोविड लॉकडाउन के दौरान अलग थलग हुए बच्चे आज भी अधूरी पढ़ाई का गैप भर नहीं सके हैं.

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