देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से हताशा भरा माहौल बन गया है लेकिन इस मौके पर भी कुछ लोगों ने इन चुनौतियों से लड़ने का बीड़ा उठाया है.
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खास तौर पर इन लोगों ने अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके लोगों तक निशुल्क दवाइयां प्रदान करने, आईसीयू बेड की व्यवस्था, ऑक्सीजन सिलेंडर और यहां तक कि रोगियों को अस्पतालों तक पहुंचाया है. समाचार एजेंसी आईएएनएस ने कोविड के बढ़ते मामलों की जमीनी हकीकत जानने के लिए इन लोगों के साथ दिल्ली और मुंबई के सबसे प्रभावित इलाकों का जायजा लिया.
इन लोगों में पूर्वी दिल्ली के 39 वर्षीय व्यवसायी वरुण त्यागी शामिल हैं जिन्होंने ना केवल कोविड के रोगियों को सुरक्षित दवाइयां मुहैया करने में मदद की बल्कि कई मौकों पर जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त में दवाइयां भी दीं. त्यागी कहते हैं, "मेरे कारोबारी नेटवर्क से, मैं बाजार में दवा की उपलब्धता से पूरी तरह परिचित हूं. लोग मुझे रेमेडीसविर, फैबफ्लू, ऑक्सीजन, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाइयां की सुरक्षित चिकित्सा में मदद करने के लिए कहते हैं जो आपूर्ति में कम हैं." वे आगे कहते हैं, "मैं किसी भी दवा के लिए कोई भुगतान स्वीकार नहीं करता हूं."
उदारता और सामाजिक सेवा की एक ऐसी ही कहानी 45 साल के संचार विशेषज्ञ अमित खन्ना की है, जो लोगों को घर पर चिकित्सा देखभाल में मदद करते हैं. खन्ना कहते हैं, "मैं आमतौर पर लोगों को आवश्यक दवाओं और ऑक्सीजन, इनहेलर जैसी अन्य महत्वपूर्ण चीजों के साथ घरेलू सेटिंग्स पर चिकित्सा देखभाल में मदद करता हूं."
इसके अलावा, वीर फाउंडेशन के एक ट्रस्टी राहुल संघवी ने इसे और अपने संगठन को पूरे मुंबई में ऑक्सीजन सिलेंडर मुफ्त वितरण करने का बीड़ा उठाया है. संघवी कहते हैं, "वर्तमान में, हमारे पास मुंबई शहर में 55 केंद्र हैं, जिसके माध्यम से हम मुफ्त चिकित्सा ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई कर रहे हैं. महामारी की शुरूआत में हमने सोसायटीज को मुफ्त स्वच्छता उपकरण की आपूर्ति के लिए केंद्र शुरू किए थे."
व्यक्तियों के अलावा, भारतीय कंपनियां भी चिकित्सा आपूर्ति बढ़ाने में सहायक भूमिका निभा रहा है. खास तौर से टाटा समूह, लिंडे, आईटीसी, स्पाइसजेट, इंडियन ऑयल, बीपीसीएल कोविड के बढ़ते मामलों से बाहर निकलने में लोगों की मदद करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
एए/सीके (आईएएनएस)
वायरस के आगे हारती जिंदगी
भारत में कोरोना वायरस के संकट का सबसे अधिक प्रभाव देश के कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों में महसूस किया जा रहा है. लाशों का अंतिम संस्कार भी लोग सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं. कब्रिस्तान और श्मशान में जगह कम पड़ रही है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/dpa/picture alliance
अंतिम संस्कार
देश के कई बड़ों शहरों के श्मशान घाटों में लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. लोग शव को अस्पताल से सीधे श्मशान घाट लाते हैं और फिर वहीं उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. बस कुछ ही लोग अंतिम दर्शन कर पाते हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
यह कैसी मौत
कोरोना से जिन लोगों की मौत हो जाती है, अस्पताल प्रशासन शव को परिजन को सौंप देता है. उसके बाद परिजन सीधे उसे कब्रिस्तान या श्मशान घाट ले जाते हैं. प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का पालन करना होता है.
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance
अभूतपू्र्व संकट
भारत इस वक्त अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. देश ने कभी सोचा नहीं था कि उसके कांधे पर इतना बड़ा दुखों का पहाड़ आ जाएगा. बच्चे, बुजुर्ग और जवान कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं.
दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान के कर्मचारी मोहम्मद शमीम कहते हैं कि महामारी के बाद से 1,000 लोगों को यहां दफनाया गया है. वे कहते हैं, "पिछले साल की तुलना में कई और शवों को दफनाने के लिए लाया जा रहा है. जल्द ही यह जगह कम हो जाएगी."
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
लाचार अस्पताल
अस्पतालों में हालात जस के तस हैं. डॉक्टर मरीजों को देख-देख थक चुके हैं. संक्रमण की इस लहर में अस्पतालों में नए मरीजों का आना जारी है. कई बार रोगियों के रिश्तेदारों को चिकित्सा उपकरण और दवाएं खरीदने में बहुत कठिनाई होती है. इन उपकरणों और दवाओं को बाजार में बहुत अधिक कीमत पर अवैध रूप से बेचा जा रहा है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
ऑक्सीजन के लिए भटकते परिजन
अस्पतालों में जिन मरीजों को ऑक्सीजन के सहारे रखा गया है, कई बार उनके रिश्तेदारों को ही अस्पताल की तरफ से ऑक्सीजन का इंतजाम करने को कहा जाता है. परिवार के सदस्य और दोस्त सुबह से लेकर शाम तक कतार में खड़े रहते हैं ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर भरा जा सके. कई बार वे मायूस होकर लौटते हैं और अस्पताल में प्रियजन ऑक्सीजन की कमी से दुनिया को अलविदा कह देता है.
भारत से जैसी तस्वीरें पिछले कुछ दिनों में आई हैं वैसी शायद कभी नहीं आई होंगी. देर रात तक श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार हो रहा है और कब्रिस्तानों में भी सुबह से लेकर रात तक कब्र खोदी जा रही हैं और शवों को दफनाया जा रहा है. कई परिवारों में कोरोना के कारण एक से ज्यादा मौतें हुई हैं.