भारत में शनिवार से कोरोना के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. कोविड-19 के पहले चरण में कुछ खास लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है. आम जनता में वैक्सीन कार्यक्रम को लेकर काफी उत्सुकता दिख रही है.
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केंद्र सरकार के मुताबिक कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन के लिए प्राथमिकता वाले समूहों में संक्रमित होने या मृत्यु का खतरा ज्यादा होने वाले लोग, स्वास्थ्यकर्मी, अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारी, 50 वर्ष के ऊपर के उम्र वाले लोग और पहले से बीमार व्यक्ति शामिल हैं. भारत जैसे देश में जहां आबादी 1.3 अरब के करीब है, वहां वैक्सीन कार्यक्रम चलाना कोई आसान काम नहीं है. इसीलिए सरकार ने इसे चरणबद्ध तरीके से शुरू करने का फैसला लिया है. सरकार टीका कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी राज्यों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के साथ बांट भी रही है ताकि लोगों तक जानकारी का अभाव ना हो. यहीं नहीं सरकार टीके को लेकर कोई भी गलत जानकारी लोगों तक ना पहुंचे और अफवाह से बचाने के लिए उचित समय पर सोशल मीडिया के सहारे सूचना दे रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है और यह चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध होगी. उसका कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन के साथ-साथ कोरोना अनुरूप व्यवहार भी कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है. कोविड-19 वैक्सीन के लाभार्थियों का पहले से रजिस्टर्ड होना जरूरी है. सरकार के मुताबिक वैक्सीन उनको नहीं दी जाएगी जो पंजीकृत नहीं है.
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कोविड-19 वैक्सीन के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?
दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए एक पुख्ता आधार और सहायक व्यवस्था देने के लिए सरकार ने एक मजबूत प्रौद्योगिकी विकसित की है. बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीकाकरण के मुख्य आधार कोविन सॉफ्टवेयर पर चर्चा के लिए एक अहम बैठक भी की थी. सरकार ने दो वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है. जिनमें सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन शामिल हैं. देश में आपात मंजूरी मिलने के साथ ही लोगों में कोरोना के खिलाफ टीके को लगवाने की उत्सुकता भी बढ़ गई है. कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन पर गठित अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष और कोविड-19 के टीकाकरण प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के सदस्य राम सेवक शर्मा के मुताबिक एक सक्षम, विश्वसनीय और त्वरित तकनीक से देश के कोविड-19 टीकाकरण के लिए आधार और बैकअप दोनों तैयार होगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम होगा. उनके मुताबिक टीकाकरण संबंधी डाटा रियल टाइम हासिल करना अहम है और कोविन ऐप से इसमें खास तौर पर मदद मिलेगी. इससे लाभार्थियों को आसानी से पहचाना जाएगा.
अनुमान के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मचारियों और अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों जिन्हें टीका लगाया जाएगा उनकी संख्या करीब तीन करोड़ है. हालांकि कोविड-19 वैक्सीन की शुरूआत के लिए कोविन डिजिटल मंच होगा लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि गूगल प्ले या एप्पल स्टोर से किसी भी तरह का ऐप नहीं डाउनलोड करना चाहिए क्योंकि आधिकारिक ऐप अभी रिलीज नहीं हुआ है. रिपोर्टों के मुताबिक ऐसे किसी ऐप पर अपनी निजी जानकारी नहीं डालनी चाहिए जो कि सरकार द्वारा अधिकृत नहीं है. कोविन ऐप अभी प्री-प्रोडक्ट चरण में है. इसमें स्वास्थ्य अधिकारियों का डाटा है जो टीकाकरण कराने के लिए पहली कतार में होंगे.
आम लोगों को क्या करना होगा?
वर्तमान में आम लोग कोरोना वायरस महामारी के लिए शुरू हो रही वैक्सीन के लिए पंजीकरण नहीं करा सकते हैं क्योंकि फिलहाल इस तक पहुंच अधिकारियों के पास ही है. एक बार जब ऐप लाइव हो जाएगा और प्ले स्टोर पर उपलब्ध होगा तो इसके चार मॉड्यूल होंगे-यूजर एडमिनिस्ट्रेटर मॉड्यूल, लाभार्थी पंजीकरण, टीकाकरण-स्वीकृति और स्टेटस अपडेशन. एक बार लाइव होने के बाद कोविन ऐप या वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के विकल्प मिलेंगे जिसमें सेल्फ रजिस्ट्रेशन, इंडीविजुअल रजिस्ट्रेशन और बल्क अपलोड शामिल होगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐप लाइव होने पर लोगों को इसमें पंजीकरण कराने के लिए फोटो पहचान पत्र अपलोड करना होगा. जरूरी दस्तावेजों में आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट या जॉब कार्ड मान्य होंगे.
कोरोना वैक्सीन के हैं ये साइड इफेक्ट
कोरोना की वैक्सीन जितनी जल्दबाजी में बनी हैं, उसे देखते हुए कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इसे लेना ठीक भी रहेगा या नहीं. जानिए कौन सी कंपनी की वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हैं ताकि आपके सभी शक दूर हो जाएं.
कुछ सामान्य साइड इफेक्ट
कोई भी टीका लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है. कुछ लोगों को पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है. इसका मतलब होता है कि टीका अपना काम कर रहा है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है.
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बड़े साइड इफेक्ट का खतरा?
अब तक जिन जिन टीकों को अनुमति मिली है, परीक्षणों में उनमें से किसी में भी बड़े साइड इफेक्ट नहीं मिले हैं. यूरोप की यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए), अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन तीनों ने इन्हें अनुमति दी है. एक दो मामलों में लोगों को वैक्सीन से एलर्जी होने के मामले सामने आए थे लेकिन परीक्षण में हिस्सा लेने वाले बाकी लोगों में ऐसा नहीं देखा गया.
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बायोनटेक फाइजर
जर्मनी और अमेरिका ने मिलकर जो टीका बनाया है वह बाकी टीकों से अलग है. वह एमआरएनए का इस्तेमाल करता है यानी इसमें कीटाणु नहीं बल्कि उसका सिर्फ एक जेनेटिक कोड है. यह टीका अब कई लोगों को लग चुका है. अमेरिका में एक और ब्रिटेन में दो लोगों को इससे काफी एलर्जी हुई. इसके बाद ब्रिटेन की राष्ट्रीय दवा एजेंसी एमएचआरए ने चेतावनी दी कि जिन लोगों को किसी भी टीके से जरा भी एलर्जी रही हो, वे इसे ना लगवाएं.
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मॉडेर्ना
अमेरिकी कंपनी मॉडेर्ना का टीका भी काफी हद तक फाइजर के टीके जैसा ही है. परीक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब दस फीसदी लोगों को थकान महसूस हुई. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके चेहरे की नसें कुछ वक्त के लिए पेरैलाइज हो गई. कंपनी का कहना है कि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ऐसा टीके में मौजूद किसी तत्व के कारण हुआ या फिर इन लोगों को पहले से ऐसी कोई बीमारी थी जो टीके के कारण बिगड़ गई.
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एस्ट्रा जेनेका
ब्रिटेन और स्वीडन की कंपनी एस्ट्रा जेनेका के टीके के परीक्षण को सितंबर में तब रोकना पड़ा जब उसमें हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति ने रीढ़ की हड्डी में सूजन की बात बताई. इसकी जांच के लिए बाहरी एक्सपर्ट भी बुलाए गए जिन्होंने कहा कि वे यकीन से नहीं कह सकते कि सूजन की असली वजह वैक्सीन ही है. इसके अलावा बाकी के टीकों की तरह यहां भी ज्यादा उम्र के लोगों में बुखार, थकान जैसे लक्षण कम देखे गए हैं.
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स्पूतनिक वी
रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी को अगस्त में ही मंजूरी दे दी गई थी. किसी भी टीके को तीन दौर के परीक्षणों के बाद ही बाजार में लाया जाता है, जबकि स्पूतनिक के मामले में दूसरे चरण के बाद ही ऐसा कर दिया गया. रूस के अलावा यह टीका भारत में भी दिया जाना है. जानकारों की शिकायत है कि इसके पूरे डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए साइड इफेक्ट्स के बारे में ठीक से नहीं बताया जा सकता.
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन भी स्पूतनिक की तरह विवादों में घिरी है. सरकार ने इसे इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति दी है लेकिन इसके भी तीसरे चरण के परीक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है और ना ही यह बताया गया है कि यह कितनी कारगर है. भारत में महामारी पर नजर रख रही संस्था सेपी की अध्यक्ष गगनदीप कांग ने कहा है कि वे सरकार के फैसले को समझ नहीं पा रही हैं और अपने करियर में उन्होंने कभी ऐसा होते नहीं देखा.
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बच्चों के लिए टीका?
आम तौर पर पैदा होते ही बच्चों को टीके लगने शुरू हो जाते हैं लेकिन कोरोना के टीके के मामले में ऐसा नहीं होगा. इसकी दो वजह हैं: एक तो बच्चों पर इसका परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही इसकी अनुमति है. और दूसरा यह कि महामारी की शुरुआत से बच्चों पर कोरोना का असर ना के बारबार देखा गया है. इसलिए बच्चों को यह टीका नहीं लगाया जाएगा. साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी फिलहाल यह टीका नहीं दिया जाएगा.
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सुरक्षित टीका क्या होता है?
जर्मनी में कोरोना पर नजर रखने वाले रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट की वैक्सीनेशन कमिटी के सदस्य के सदस्य क्रिस्टियान बोगडान बताते हैं कि किसी टीके से अगर एक वृद्ध व्यक्ति की उम्र 20 प्रतिशत घटती है लेकिन साथ ही अगर 50 हजार में से सिर्फ एक व्यक्ति को उससे एलर्जी होती है, तो वे ऐसे टीके को सुरक्षित मानेंगे. उनके अनुसार यूरोप में इसी पैमाने पर टीकों को अनुमति दी जा रही है.