आकार के हिसाब से सुमात्रन टाइगर बाघों की सबसे छोटी उपप्रजाति है. जंगलों में अब सिर्फ 400 से 600 सुमात्राई बाघ बचे हैं. इनमें से एक की इंडोनेशिया में दर्दनाक मौत हुई.
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इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में स्थानीय अधिकारियों को जंगल में एक बाघ के अवशेष मिले. सितंबर के दूसरे हफ्ते में मिले इस अवशेष की जांच करने पर अधिकारियों को पता चला कि ये एक बाघिन के अस्थिपंजर हैं. बाघिन, दुर्लभ सुमात्राई बाघ उपप्रजाति की थी. छिन्न-भिन्न होते शव की जांच के आधार पर स्थानीय वन्यजीव संरक्षकों ने दावा किया कि उसकी उम्र तीन साल के आस पास थी. शव परीक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघिन लंबे समय तक फंदे में फंसकर मारी गई.
इंडोनेशिया में फंदों के फंसकर पहले भी बाघ मारे जाते रहे हैं. वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी संस्था, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के मुताबिक, ऐसे फंदे, तार जैसी घरेलू इस्तेमाल की चीजों से बनाए जाते हैं. इन फंदों में फंसने के बाद वन्यजीव छटपटाते रहते हैं. छटपटाहट के साथ फंदा और कसता जाता है और अंत में थकान, भूख, प्यास और फंसे हुए अंग में खून का प्रवाह रुकने से वन्यजीव मारे जाते हैं.
इंडोनेशिया में फसल को जंगली सुअरों से बचाने कई किसान खेत के आस पास ऐसे फंदे लगा देते हैं. कभी कभार इन फंदों में दुर्लभ सुमात्रन टाइगर भी फंस जाते हैं. स्थानीय संरक्षण प्रशासन के प्रमुख रेफदी आजमी के मुताबिक यह जांच की जा रही है कि फंदा बाघ के लिए ही लगाया गया था या फिर किसी और मंशा से.
भारी मुश्किल में सुमात्रन और मलय बाघ
दुनिया भर के जंगलों में आज करीब 400 से 600 सुमात्राई बाघ हैं. इंटरनेशल यूनियन फॉर कंर्जेवशन ने बाघों की इस उपप्रजाति को गंभीर से रूप से लुप्त होने का खतरा झेलने वाले जीवों की सूची में डाला है. इंडोनेशिया से बाघों की दो उप्रजातियां, बाली टाइगर और जावा टाइगर लुप्त हो चुकी हैं.
बाघ, पैंथरा टाइग्रिस प्रजाति के जीव हैं. बाघों के परिवार को कई उपप्रजातियों में बांटा गया है. इनमें अब सिर्फ साइबेरियन या आमूर टाइगर, बंगाल टाइगर, मलय टाइगर और सुमात्रन टाइगर ही बचे हैं. रूस और पूर्वोत्तर चीन में बसने वाले साइबेरियन टाइगर आकार में सबसे बड़े होते हैं. साइज के मामले में दूसरे नंबर पर भारत, नेपाल और बांग्लादेश में पाया जाने वाला बंगाल टाइगर आता है. मलेशिया में पाया जाने वाला मलय टाइगर इन दोनों से छोटा होता है. वहीं सुमात्रन टाइगर बाघों की सबसे छोटी उपप्रजाति है.
आज जंगलों में 120 के आस पास मलय हैं और अधिकतम 600 सुमात्रन टाइगर. इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर ताड़ की खेती शुरू की गई. ताड़ की इस खेती के लिए जंगल काटे गए, जिससे बाघों का प्राकृतिक आवास सिमटता चला गया.
ओएसजे/केबी (डीपीए)
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
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सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
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ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
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अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
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सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
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कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.