खेतों के पास जंगल में स्टील के फंदे सेट कर दिए गए. इंडोनेशिया में इन्हीं फंदों में फंसकर तीन दुर्लभ सुमात्रन बाघों की मौत हो गई. सुमात्रन टाइगर लुप्त होने का सबसे ज्यादा खतरा झेल रहे जीवों में शामिल हैं.
फंसे में फंसकर मारा गया सुमात्रन बाघतस्वीर: Sijori Images/ZUMAPRESS/picture alliance
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इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में भारी पैसा खर्च कर सुमात्रन बाघों के संरक्षण का अभियान चल रहा है. लेकिन 24 अप्रैल 2022 को इस अभियान को एक और बड़ा झटका लगा. द्वीप के उत्तर में स्थित आचे में अधिकारियों को दो बाघों के शव मिले. स्टील के तार से बनाए गए फंदों में दोनों बाघों का पैर फंसा था. मुआयना करते हुए अधिकारियों को 500 मीटर दूर एक और बाघ का शव मिला. उसकी मौत भी फंदे की वजह से हुई.
आचे के पुलिस चीफ हेंद्रा सुकमना कहते हैं, "शुरुआती शक तो यही है कि ये बाघ, जंगली सूअर को फंसाने के लिए लगाए गए फंदों में उलझ गए. हमें उनके पैरों में स्टील के तार का फंदा मिला." जांच के दौरान अधिकारियों को इलाके में ऐसे कई और फंदे मिले.
जंगलों में अब 400 से कभी सुमात्रन टाइगर बचे हैंतस्वीर: Avalon.red/picture alliance
दो बाघिनें और एक बाघ
संरक्षण अभियान से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, घोर निराशा की बात तो यह है कि मरने वाले बाघों में दो बाघिनें हैं. मौत के बाद उनके शावकों के जिंदा बचने की संभावनाएं भी बहुत कमजोर पड़ जाएंगी. शावक एक से डेढ़ साल तक अपनी मां के साथ रहते हैं. इस दौरान बाघिन शिकार पकड़कर लाती है और शावकों का पेट भरती है. करीब 18 महीने के हो जाने के बाद बच्चों को मां का साथ छोड़कर अपना इलाका खोजना होता है. प्रजजन चक्र के लिहाज से मारी गई बाघिनों के शावक अभी सात से आठ महीने के होंगे.
सुमात्रन टाइगर के संरक्षण की कोशिशें बहुत कारगर नहीं हो पा रही हैंतस्वीर: Donal Husni/ZUMA Press/picture alliance
कितने खास सुमात्रा के बाघ
सुमात्रन बाघ, आकार में साइबेरियन टाइगर और रॉयर बंगाल टाइगर से छोटे होते हैं. वैज्ञानिक अभी तक पूरी तरह यह नहीं समझ पाए हैं कि बाघों की यह प्रजाति महासागर का बड़ा इलाका पार कर सुमात्रा तक कैसे पहुंच गई. इंडोनेशिया के जंगलों में अब 400 से भी कम सुमात्रन टाइगर बचे हैं. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने सुमात्रा के बाघों को लुप्त होने का गंभीर खतरा झेल रही प्रजातियों में रखा है.
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Lomka
सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.v. Erichsen
ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
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अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
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सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
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कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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इंडोनेशिया के वन मंत्रालय के मुताबिक संरक्षण की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में हर साल 10 सुमात्रन टाइगर मारे जाते हैं. पारंपरिक चीनी दवाओं में बाघ के कई अंगों का इस्तेमाल होता है. तमाम वैज्ञानिक शोध साफ कर चुके हैं कि बाघ के अंगों से बनाई जाने वाली चीनी दवाओं का कोई भी फायदा नहीं होता है, लेकिन इसके बावजूद शिकारियों को चीनी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. आचे में ही पुलिस ने बीते साल चार लोगों को गिरफ्तार किया था. वे बाघ के अंग बेच रहे थे. 2021 में भी ऐसे दो मामले सामने आए जब दो सुमात्रन टाइगर फंदों की वजह से मारे गए.
इंडोनेशिया के कंजर्वेशन ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज एंड इकोसिस्टम्स कानून के तहत संरक्षित वन्य जीवों का शिकार करने पर पांच साल की जेल और एक करोड़ इंडोनेशियाई रुपये (7000 डॉलर) के जुर्माने का प्रावधान है.